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Black Budget: जब देश में पहली बार पेश हुआ था ब्लैक बजट, इतिहास में बन गया घाटे का प्रतीक

Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Jan, 2025 02:04 PM

when the black budget was presented for the first time in the country

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को देश का आम बजट पेश करेंगी। इस बजट से देशभर के लोग आर्थिक विकास की उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के इतिहास में एक ऐसा बजट भी पेश हुआ था जिसे "ब्लैक बजट" के नाम से जाना गया?

बिजनेस डेस्कः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को देश का आम बजट पेश करेंगी। इस बजट से देशभर के लोग आर्थिक विकास की उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के इतिहास में एक ऐसा बजट भी पेश हुआ था जिसे "ब्लैक बजट" के नाम से जाना गया? 

1973-74 का बजट भारत के आर्थिक इतिहास में एक अहम मोड़ साबित हुआ। यह बजट तब पेश किया गया जब देश गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था। इसे "ब्लैक बजट" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह घाटे का बजट था। उस समय देश के सामने दोहरी चुनौती थी- एक तरफ वैश्विक ऊर्जा संकट और दूसरी तरफ घरेलू उत्पादन की धीमी गति। बजट में कुल खर्च 5,746 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया, जबकि राजस्व सिर्फ 3,726 करोड़ रुपए का था। इस प्रकार बजट घाटा 2,020 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो उस समय के लिए एक अभूतपूर्व स्थिति थी।

क्यों पेश करना पड़ा था ब्लैक बजट

1973-74 का बजट इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत पेश हुआ था। उस वक्त देश के वित्त मंत्री थे यशवंतराव चव्हाण। उस समय देश की अर्थव्यवस्था संकट में थी। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद से देश आर्थिक दृष्टि से कमजोर हो गया था। इसके अलावा, 1973 में मानसून भी फेल हो गया और देश में सूखा पड़ा, जिससे खाद्यान्न उत्पादन में भारी कमी आई। इन कारणों से सरकार को अपनी आय से ज्यादा खर्च करना पड़ा। नतीजतन देश को बजटीय घाटे का सामना करना पड़ा।

वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने इस बजट को पेश करते हुए कहा कि देश की आर्थिक स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी थी कि ब्लैक बजट की जरूरत महसूस हो रही थी। इसका उद्देश्य यह था कि सरकार को खजाने में और अधिक धन की कमी का सामना करना पड़ रहा था और इसके लिए अलग-अलग सरकारी योजनाओं में कटौती करनी पड़ी थी।

क्यों इसे कहा गया ब्लैक बजट

यह बजट 550 करोड़ रुपए के घाटे का था। इसे ब्लैक बजट का नाम इसलिए दिया गया क्योंकि यह सरकार के लिए घाटे का प्रतीक था। जब सरकार की आय कम और खर्च अधिक हो, तो ऐसी स्थिति में बजट में घाटा आना स्वाभाविक होता है। इसे पेश करते समय चव्हाण ने कहा था कि देश में सूखा और खाद्यान्न की कमी के कारण स्थिति बिगड़ गई थी और इस कारण बजट में घाटा हुआ।

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