Edited By jyoti choudhary,Updated: 17 Sep, 2024 12:21 PM
अगस्त महीने में थोक महंगाई 1.31% पर आ गई है। ये इसके 4 महीने का निचला स्तर है। रोजाना की जरूरत वाला सामान सस्ता होने से महंगाई घटी है। इससे पहले जुलाई में थोक महंगाई घटकर 2.04% पर आ गई थी। जून में ये 3.36% और मई में 2.61% पर थी। वहीं अप्रैल में ये...
बिजनेस डेस्कः अगस्त महीने में थोक महंगाई 1.31% पर आ गई है। ये इसके 4 महीने का निचला स्तर है। रोजाना की जरूरत वाला सामान सस्ता होने से महंगाई घटी है। इससे पहले जुलाई में थोक महंगाई घटकर 2.04% पर आ गई थी। जून में ये 3.36% और मई में 2.61% पर थी। वहीं अप्रैल में ये 1.26% पर थी।
इससे पहले 12 सितंबर को रिटेल महंगाई के आंकड़े जारी किए गए थे। अगस्त महीने में रिटेल महंगाई बढ़कर 3.65% हो गई है। जुलाई महीने में ये 3.54% पर थी। सब्जियों के महंगे होने से अगस्त महीने में रिटेल महंगाई बढ़ी है।
फ्यूल और पावर की महंगाई बढ़ी, प्राइमरी आर्टिकल्स की घटी
- रोजाना की जरूरत वाले सामानों की महंगाई दर 3.08% से घटकर 2.42% हो गई।
- खाने-पीने की चीजों की महंगाई 3.55% से घटकर 3.26% हो गई।
- फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर 1.72% से बढ़कर -0.67% रही।
WPI का आम आदमी पर असर
थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है, तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।
जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।
RBI ने इस वित्त वर्ष के लिए रिटेल महंगाई अनुमान 4.5% रखा था
हाल ही में हुई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग के दौरान RBI ने इस वित्त वर्ष के लिए अपने महंगाई अनुमान को 4.5% पर अपरिवर्तित रखा था। RBI गवर्नर ने कहा था- महंगाई कम हो रही है, लेकिन प्रोग्रेस धीमी और असमान है। भारत की महंगाई और ग्रोथ ट्रैजेक्टरी संतुलित तरीके से आगे बढ़ रही है, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना महत्वपूर्ण है कि महंगाई टारगेट के अनुरूप हो।