Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Oct, 2024 12:58 PM
सितंबर महीने में थोक महंगाई (wholesale inflation) बढ़कर 1.84% पर पहुंच गई है। इससे पहले अगस्त में थोक महंगाई घटकर 1.31% पर आ गई थी। जुलाई में ये 2.04% पर थी। सब्जियों और खाने-पीने के चीजों के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ी है।
बिजनस डेस्कः सितंबर महीने में थोक महंगाई (wholesale inflation) बढ़कर 1.84% पर पहुंच गई है। इससे पहले अगस्त में थोक महंगाई घटकर 1.31% पर आ गई थी। जुलाई में ये 2.04% पर थी। सब्जियों और खाने-पीने के चीजों के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ी है।
खाने-पीने की चीजें और प्राइमरी आर्टिकल्स की कीमतें बढ़ी
- रोजाना की जरूरत वाले सामानों की महंगाई दर 2.42% से बढ़कर 6.69% हो गई।
- खाने-पीने की चीजों की महंगाई 3.26% से बढ़कर 9.47% हो गई।
- फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर -0.67% से घटकर 4.05% रही।
- मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर 1.22% से घटकर 1% रही।
WPI का आम आदमी पर असर
थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है, तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।
जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।