Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Feb, 2025 05:13 PM
![why are foreign investors running away from india](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_17_13_096745936fii-ll.jpg)
भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों (FIIs) की बड़ी भूमिका होती है लेकिन हाल ही में उनका आउटफ्लो तेजी से बढ़ा है। जनवरी 2025 में ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय बाजार से करीब 77,000 करोड़ रुपए निकाल लिए। विदेशी निवेशक भारतीय बाजार...
बिजनेस डेस्कः भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों (FIIs) की बड़ी भूमिका होती है लेकिन हाल ही में उनका आउटफ्लो तेजी से बढ़ा है। जनवरी 2025 में ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय बाजार से करीब 77,000 करोड़ रुपए निकाल लिए। विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से अपना पैसा निकालकर दूसरे देशों के मार्केट में लगा रहे हैं। पिछले तीन महीनों में यह आंकड़ा 1.77 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।
ऐसा क्यों हो रहा है?
FIIs आमतौर पर ऐसे बाजारों में निवेश करते हैं, जहां उन्हें उच्च रिटर्न, स्थिरता और बेहतर टैक्स बेनिफिट्स मिलते हैं लेकिन भारत में रुपए की कमजोरी, टैक्स प्रणाली और अन्य आर्थिक कारणों की वजह से वे अपने निवेश को अमेरिका और अन्य देशों के बाजारों में स्थानांतरित कर रहे हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि FIIs क्यों लगातार भारतीय बाजार में बिकवाली कर रहे हैं।
रुपए की कमजोरी का असर
पिछले 20 वर्षों में निफ्टी ने औसतन 14.5% का हर साल रिटर्न दिया है, जो देखने पर काफी आकर्षक लगता है लेकिन जब इसे डॉलर में देखा जाए, तो यह उतना नहीं दिखता, क्योंकि 20 साल पहले 1 डॉलर 40 रुपए का था, मगर अब यह 87 रुपए का हो चुका है यानी रुपए की कीमत आधी से भी कम हो गई है। वहीं दूसरी तरफ FIIs डॉलर में निवेश करते हैं और डॉलर में ही निकालते हैं, तो इस गिरावट से उनके रिटर्न पर असर पड़ता है। FIIs को डॉलर से फायदा होता है इसलिए वो रुपए की गिरावट में अपना पैसा निकाल लेते हैं क्योंकि उन्हें उतना रिटर्न नहीं मिल पाता है।
इस कारण भी निकाल लेते हैं पैसा
रुपए की गिरावट के अलावा FIIs को भारत में एक और समस्या है जिस वजह से वो अपना पैसा निकाल लेते हैं। FIIs के सामने भारत का टैक्स सिस्टम भी बड़ी समस्या है। भारत में निवेश करने पर विदेशी निवेशकों को लॉन्ग टर्म में 12.5 फीसदी का गेन टैक्स देना पड़ता है। वहीं, अमेरिका में निवेश करने पर उन्हें बिलकुल टैक्स देने की जरुरत नहीं होती है।