Edited By jyoti choudhary,Updated: 15 Nov, 2024 10:32 AM
14 नवंबर की सुबह गिरावट के बाद सेंसेक्स में शाम तक कुछ रिकवरी तो देखी गई लेकिन मार्केट में Bear और Bull के बीच खींचतान जारी है। शेयर बाजार में गिरावट के कई कारण हैं लेकिन प्रमुख कारण है आर्थिक मंदी (Recession) का डर। इसके साथ ही बाजार में एक नया...
बिजनेस डेस्कः 14 नवंबर की सुबह गिरावट के बाद सेंसेक्स में शाम तक कुछ रिकवरी तो देखी गई लेकिन मार्केट में Bear और Bull के बीच खींचतान जारी है। शेयर बाजार में गिरावट के कई कारण हैं लेकिन प्रमुख कारण है आर्थिक मंदी (Recession) का डर। इसके साथ ही बाजार में एक नया शब्द उभर कर आ रहा है, stagflation।
stagflation की समस्या
स्टैगफ्लेशन एक ऐसी स्थिति है जिसमें आर्थिक विकास रुक जाता है लेकिन महंगाई बढ़ती रहती है। विशेषज्ञ के अनुसार, अगर महंगाई बढ़े और सैलरी भी उसी रफ्तार से बढ़े, तो स्थिति ठीक रहती है लेकिन अगर महंगाई बढ़ती जाए और सैलरी रुकी रहे, तो ये चिंता की बात है और इसे ही स्टैगफ्लेशन कहते हैं।
स्टैगफ्लेशन का असर
स्टैगफ्लेशन का सीधा असर अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर दिख रहा है। उपभोक्ता खर्च कम कर रहे हैं, जिससे FMCG और ऑटो सेक्टर में मांग घट गई है। ऑटोमोबाइल डीलर्स के अनुसार, अगस्त तक 73,000 करोड़ रुपए के पैसेंजर व्हीकल गोदामों में पड़े थे। साबुन से लेकर बिस्कुट तक की बिक्री में गिरावट आई है। ब्रिटानिया जैसी कंपनियों की दूसरी तिमाही में 10% की गिरावट उनके मुनाफे में दर्ज की गई है।
महंगाई और कंपनियों की कमाई में गिरावट
सब्जियों और अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से महंगाई में इजाफा हो रहा है लेकिन कंपनियों की कमाई नहीं बढ़ रही है। इससे मार्केट की स्थिति और खराब हो रही है। दूसरी तिमाही के नतीजे भी इस बात की पुष्टि करते हैं।
Nifty और 200 DMA की चुनौती
Nifty इस समय 200-day moving average को बनाए रखने में संघर्ष कर रहा है और 23,475-23,600 की रेंज में हो सकता है। हर बार जब मार्केट में उछाल आता है, तो बड़ी बिकवाली हो जाती है। बैंक Nifty हालांकि बेहतर प्रदर्शन कर रहा है और 49,800-50,500 की रेंज में रह सकता है। छोटे निवेशकों को धैर्य बनाए रखने की सलाह दी जा रही है और किसी भी निवेश से पहले फाइनेंशियल एडवाइजर से परामर्श लेने की सलाह दी जा रही है।