Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Jul, 2024 12:53 PM
आर्थिक असमानता की खाई को पाटने के लिए अमीरों पर अलग से टैक्स लगाने पर सालों से बहस चल रही है। धीरे-धीरे यह बहस भारत में भी तेज हो रही है। हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान भी यह मुद्दा सामने आया था। अब वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट से पहले एक बार...
बिजनेस डेस्कः आर्थिक असमानता की खाई को पाटने के लिए अमीरों पर अलग से टैक्स लगाने पर सालों से बहस चल रही है। धीरे-धीरे यह बहस भारत में भी तेज हो रही है। हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान भी यह मुद्दा सामने आया था। अब वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट से पहले एक बार फिर से मुद्दा चर्चा के केंद्र में है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अरबपतियों पर बिलेनियर्स टैक्स लगाने की मांग करते हुए सरकार से पक्ष स्पष्ट करने को कहा है।
हर साल मिल सकते हैं 1.5 लाख करोड़
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रवक्ता जयराम रमेश ने इस मुद्दे पर अपनी पार्टी का रुख स्पष्ट करते हुए शुक्रवार को कहा कि अगर भारत में बिलेनियर्स टैक्स लगाया जाता है तो इससे सरकारी खजाने को आसानी से हर साल 1.5 लाख करोड़ रुपए मिल सकते हैं। सरकार उस रकम का इस्तेमाल देश में और स्कूल बनाने, नए अस्पताल खोलने और सामाजिक विकास की अन्य योजनाओं पर कर सकती है।
2% की दर से बिलेनियर्स टैक्स का प्रस्ताव
कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है- पूरी दुनिया में बिलेनियर्स टैक्स पर सहमति बनती दिख रही है। जी20 की अभी अध्यक्षता कर रहे ब्राजील ने इसे लेकर एक प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे फ्रांस, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका और जर्मनी जैसे देशों ने समर्थन प्रदान किया है। दुनिया अरबपतियों पर 2 फीसदी की दर से बिलेनियर्स टैक्स लगाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। जी20 की बैठक इसी महीने होने जा रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस प्रस्ताव पर अपनी सरकार का पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।
दो-तिहाई भारतीय भी कर रहे सपोर्ट
यह पहली बार नहीं है, जब भारत में अमीरों पर अलग से टैक्स लगाने की बात चली हो। हाल ही में लोकसभा चुनाव के ठीक बाद हुए एक सर्वे में पता चला था कि ज्यादातर भारतीय भी सुपर रिच टैक्स या बिलेनियर्स टैक्स के पक्ष में हैं। अर्थ फोर ऑल और ग्लोबल कॉमन्स अलायंस के द्वारा किए गए सर्वे में पता चला था- 74 फीसदी भारतीय मानते हैं कि आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए अमीरों पर सुपर रिच टैक्स लगाना उचित है यानी हर चार में से 3 भारतीय सुपर रिच टैक्स लगाए जाने के समर्थन में है। वहीं जी20 देशों में ऐसे लोगों का हिस्सा 68 फीसदी है।
ब्राजील ला सकता है संयुक्त घोषणापत्र
वैश्विक स्तर पर देखें तो कम से कम 2013 से सुपर रिच टैक्स की मांग जोर पकड़ रही है और इसके बारे में लगातार चर्चाएं चल रही हैं। कोविड के बाद आर्थिक असमानता की खाई चौड़ी होने के साथ-साथ उसे पाटने के उपायों पर बातें भी बढ़ गई हैं। अभी जी20 की अध्यक्षता कर रहा ब्राजील सुपर रिच टैक्स पर अधिक मुखर है। ब्राजील इसी महीने जी20 देशों के वित्त मंत्रियों की होने जा रही बैठक में सुपर रिच टैक्स पर संयुक्त घोषणापत्र लाने की दिशा में प्रयास कर रहा है।