Edited By jyoti choudhary,Updated: 17 Sep, 2024 11:29 AM
लंबे समय से होम, कार और अन्य लोन की ईएमआई घटने का इंतजार कर रहे लोगों के लिए अभी तक राहत नहीं मिली है, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले दो सालों से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे लोन की ब्याज दरों में कमी नहीं आई है। अब जबकि...
बिजनेस डेस्कः लंबे समय से होम, कार और अन्य लोन की ईएमआई घटने का इंतजार कर रहे लोगों के लिए अभी तक राहत नहीं मिली है, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले दो सालों से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे लोन की ब्याज दरों में कमी नहीं आई है। अब जबकि महंगाई नियंत्रित होती दिख रही है, उम्मीद की जा रही है कि ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। हालांकि, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने इस पर स्पष्ट संकेत नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि नीतिगत दरों में बदलाव दीर्घकालीन महंगाई दर (inflation rate) पर निर्भर करेगा न कि मासिक आंकड़ों पर।
आगामी मौद्रिक नीति बैठक
मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक 7 से 9 अक्टूबर के बीच होने वाली है, जहां ब्याज दरों में कटौती पर चर्चा की जाएगी। अगस्त की समीक्षा में आरबीआई ने उच्च खाद्य महंगाई के कारण रेपो रेट को 6.5% पर बरकरार रखा था। उस बैठक में एमपीसी के छह सदस्यों में से चार ने यथास्थिति बनाए रखने के पक्ष में वोट दिया था।
महंगाई के दीर्घकालिक प्रभाव पर नजर
आरबीआई गवर्नर ने एक इंटरव्यू में कहा कि महंगाई की दीर्घकालिक दिशा पर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति की मासिक दरों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है, लेकिन निर्णय अगले छह महीने या एक साल के महंगाई दृष्टिकोण पर आधारित होगा। हालांकि, दास ने अक्टूबर की बैठक में ब्याज दरों में कटौती पर कोई निश्चित जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि यह फैसला एमपीसी की बैठक के बाद ही किया जाएगा।
रुपए की स्थिरता और आर्थिक वृद्धि
दास ने यह भी कहा कि रुपया 2023 से अब तक दुनिया की सबसे स्थिर मुद्राओं में से एक रहा है। आरबीआई की प्राथमिकता रुपए को स्थिर रखना है, जिससे बाजार और निवेशकों का भरोसा कायम रहे। आरबीआई वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाता रहेगा।