Edited By Ashwani Kumar,Updated: 03 Mar, 2025 09:15 PM
ट्रांसपोर्ट विभाग के सेवानिवृत्त हो चुके 6 अफसरों को भी करना होगा कार्रवाई का सामना
3 आई.ए.एस. अफसरों और 7 अन्य पी.सी.एस. अफसरों की भूमिका भी जांच के घेरे में
चंडीगढ़ : पंजाब सरकार ने राज्य के उन पी.सी.एस. अफसरों को चार्जशीट करने का फैसला किया है, जो फर्जी तरीके से बी.एस.-4 वाहनों की रजिस्ट्रेशन के मामले में शामिल पाए गए थे। सूबे के 13 पी.सी.एस. अफसरों द्वारा तय अवधि के बाद भी गलत ढंग से इन वाहनों की रजिस्ट्रेशन कराने में अहम भूमिका सामने आई थी। इस मामले की लंबे समय से जांच चल रही थी और माना जा रहा है कि इस मामले में 3 अन्य आई.ए.स. अफसरों और 7 पी.सी.एस. अफसरों की भूमिका भी जांच के घेरे में है। ऐसे में दागी अफसरों की तादाद और बढ़ सकती है। इस केस की जांच से जुड़े अफसरों के अनुसार आरोपी अफसरों ने महंगे एस.यू.वी. और प्रीमियम वाहनों की रजिस्ट्रेशन में बड़ा घालमेल किया था। जांच से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि इन महंगे एस.यू.वी. को या तो रिश्वत लेकर रजिस्टर्ड किया गया अथवा प्रभावशाली लोगों पर गैरजरूरी अहसान जताए गए।
पंजाब के ट्रांसपोर्ट विभाग ने जिन पी.सी.एस. अफसरों को चार्जशीट करने की सिफारिश की है उनमें राम सिंह, जसपाल बराड़, रजनीश अरोड़ा, राजपाल सिंह, राजेश शर्मा, हरबंस सिंह, विक्रम पैंठे, बलविंदर सिंह, देव दर्शन और स्वर्णजीत कौर शामिल हैं। इनमें स्वर्णजीत कौर सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। हालांकि जांच दौरान 3 आई.ए.एस. अफसर भी दागी पाए गए थे मगर विभाग ने केवल उन्हीं अफसरों को चार्जशीट करने का फैसला किया है, जो बड़े पैमाने पर वाहनों की रजिस्ट्रेशन में संलिप्त पाए गए थे।
इस मामले में वाहनों के मालिक, वाहन विक्रेता कंपनी के डीलर, आर.टी.ए. व एस.डी.एम. कार्यालयों के अकाऊंटैंट्स, क्लर्क व असिस्टैंट और कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई थी। इन्होंने सफाई के साथ इन वाहनों के इंजन और चैसीज नंबर के अलावा इनके निर्माण से जुड़ी जानकारी से छेड़छाड़ कर उसे छिपाया और गैरकानूनी तरीके से रजिस्ट्रेशन करके टैक्स चोरी की।
शुरूआती जांच में 24 नाम सामने आए थे
जांच से जुड़े अधिकारियों का कहना कि शुरूआती जांच में 24 नाम सामने आए थे, जिनमें 3 आई.ए.एस. अधिकारी भी शामिल थे। ट्रांसपोर्ट विभाग ने पहले चरण में इनमें से 13 को चार्जशीट करने का फैसला किया है, जबकि अन्य अफसरों के खिलाफ रिकार्ड को वैरीफाई किया जा रहा है। ट्रांसपोर्ट विभाग से सेवानिवृत्त हो चुके 6 अफसरों को भी इस मामले में कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि जांच दौरान वाहनों की रजिस्टे्रशन में इनकी भूमिका भी सामने आई है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बी.एस.-4 वाहनों की रजिस्ट्रेशन के लिए कट-आफ तारीख तय करने के बाद पंजाब में 5706 वाहन पंजीकृत हुए थे। मामले की जांच विभाग के लिए विजीलैंस ब्यूरो भी कर रहा है। पहली अप्रैल, 2020 के बाद फर्जी तरीके से पंजीकृत इन 5706 बी.एस.-4 वाहनों को पंजाब का ट्रांसपोर्ट विभाग पहले ही ब्लैकलिस्ट कर चुका है।
विजीलैंस ब्यूरो का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर वाहनों की रजिस्ट्रेशन की गई, जिसमें वाहन मालिक और डीलर आदि के अलावा ट्रांसपोर्ट विभाग के अफसरों की मिलीभगत रही। विजीलैंस ब्यूरो इसकी जांच कर रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज करके इतने वाहनों को कैसे अवैध तरीके से पंजीकृत किया गया।
इसके बावजूद विभाग का कोई भी अधिकारी खुल कर बोलने के लिए सामने नहीं आ रहा है। एक अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हर वाहन के रिकार्ड को वैरीफाई करने के लिए जांच की जा रही है, यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें समय लग रहा है। चार्जशीट किए गए 13 पी.सी.एस. की यह शुरूआती सूची है और जांच खत्म होने तक कई दागी अफसरों का नाम सामने आएगा और उन्हें यकीनन सजा दिलाई जाएगी।
यह है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में उन बी.एस.-4 वाहनों की रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी थी, जो मार्च 2020 से पहले बिक चुके थे। यह आदेश उन उपभोक्ताओं की सहूलियत के लिए दिए थे, जो लॉकडाऊन के कारण अपने वाहन पंजीकृत नहीं करा पाए थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कुछ वाहन डीलरों ने औने-पौने दाम पर अपने चार पहिया वाहन मार्च 2020 के बाद भी बेच डाले। शिकायत मिलने के बाद जांच दौरान ऐसे भी मामले सामने आए, जहां करीब 8-10 लाख रुपए में खरीदी गई एस.यू.वी. को विभागीय अफसरों से मिलीभगत करके स्कूटर के नाम पर रजिस्टर्ड कराया गया।
अदालत ने विभाग से जब इस मामले में एफीडेविट फाइल करने को कहा तब बड़े पैमाने पर हुई अनियमितताएं सामने आई। इतना ही नहीं जांच में पाया गया कि जिला परिवहन अधिकारी डी.टी.ओ. के अलावा एस.डी.एम. ने भी कई जगह पर वाहन पंजीकृत कर डाले। इस मामले में पटियाला, अबोहर, दीनानगर, तरनतारन, गिद्दड़बाहा, बाबा बकाला, बाघापुराना, अमलोह, अजनाला, भिखीविंड, अमृतसर, लुधियाना और अहमदगढ़ के एस.डी.एम. की भूमिका सामने आई।
सबसे ज्यादा 912 वाहन बाघापुराना में पंजीकृत हुए, जबकि पट्टी में 820 वाहन रजिस्टर्ड हुए। डेराबस्सी में 196, भिखीविंड में 475, पठानकोट में 258 और तरनतारन में 336 महंगे वाहन अवैध तरीके से पंजीकृत किए गए। ऐसे गैरकानूनी वाहनों के मालिकों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जा रही है, जिनकी ओर टैक्स बकाया पड़ा है और जिनके रजिस्ट्रेशन से जुड़ी कागजी कार्रवाई पूरी नहीं की गई। इन वाहनों से जुड़ी सभी सेवाएं रोक दी गई हैं, जिसमें वाहनों की प्रदूषण जांच, इंश्योरैंस और फास्टैग आदि शामिल हैं।
सीएम को भेजी फाइल
यह एक बड़ा और संगीन मामला है, जिसमें अफसरों ने मिलीभगत करके सरकारी खजाने को चूना लगाया। जो भी इस मामले में शामिल पाया गया, उसे सजा मिलेगी क्योंकि इन वाहनों की रजिस्ट्रेशन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करके की गई। अन्य अफसरों की भूमिका भी जांच के दायरे में है। अब तक की जांच के बाद मैंने आरोपी पी.सी.एस. अफसरों को चार्जशीट करने के लिए फाइल मुख्यमंत्री को भेज दी है। चूंकि पी.सी.एस. और आई.ए.एस. अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री ही अधिकृत हैं, इसलिए फाइल उन्हें भेजी गई है।
लालजीत सिंह भुल्लर, ट्रांसपोर्ट मंत्री, पंजाब।
सूबे के खजाने को भी नुकसान पहुंचाया गया : कमलजीत सिंह सोई
ट्रांसपोर्ट और रोड सेफ्टी विशेषज्ञ कमलजीत सिंह सोई का कहना है कि पंजाब में हजारों बी.एस.-4 वाहनों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को धता बताकर रजिस्टर्ड करके न केवल सरकार की आंखों में धूल झोंकी गई बल्कि सूबे के खजाने को भी नुकसान पहुंचाया गया। उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्ट विभाग लंबे समय से कोमा में है और मुख्यमंत्री भगवंत मान को चाहिए कि इस विभाग को अपने अधीन लें।
सोई ने कहा कि मिलीभगत करके इन वाहनों की अवैध तरीके से रजिस्ट्रेशन करने वाले दागी अफसरों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि विभाग में इस तरह के भ्रष्ट हथकंडे अपनाने का यह अकेला मामला नहीं है, फर्जी मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर लुधियाना में कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का मामला भी सामने आ चुका है।