Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Mar, 2018 12:55 PM
शहर के एथलीट्स को अभ्यास करने के लिए सिंथैटिक ट्रैक ही उपलबध नही हैं।
चंडीगढ़(लल्लन) : शहर के एथलीट्स को अभ्यास करने के लिए सिंथैटिक ट्रैक ही उपलबध नही हैं। ऐसे में एथलीट्स खिलाडिय़ों को अभ्यास करने लिए ग्रास पर ही दौड़ लगाकर खिताब जीत रहे हैं। लेकिन शहर के एथलीट खिलाड़ी को जून व जुलाई के माह में अभ्यास करने में काफी दिक्कतें आती हैं।
शहर के स्पोर्ट्स काम्पलैक्सों में अपने एथलैटिक ट्रैक की बात की जाए तो इनका स्तर किसी थर्ड क्लास के ट्रैक से भी गिरा हुआ है। ऐसे ही ट्रैकों पर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। ऐसे में जब शहर के एथलीट्स बाहर खेलने के लिए जाते हैं तो उनके प्रदर्शन पर भी असर पड़ता है।
सुविधाओं के अभाव में नहीं कर पा रहे हैं खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन :
प्रशासन और खेल विभाग द्वारा एथलीट खेल के लिए सुविधा न दिए जाने का असर खिलाडिय़ों के प्रदर्शन पर भी पड़ रहा है। अगर शहर की एथलीट का रिकॉर्ड निकाला जाए तो शायद ही पिछले 5 वर्षों में यहां के एथलीटों ने बाहर किसी टूर्नामैंट में शानदार प्रदर्शन किया हो।
अधर में लटका एथलैटिक ट्रैक का काम :
सैक्टर-7 में बने स्पोर्ट्स काम्पलैक्स के एथलैटिक ट्रैक पर सिंथैटिक ट्रैक डाला जाना था जो शहर में पहली बार होने जा रहा था। मगर प्रशासन की लापरवाही और खानापूर्ति वाले बर्ताव से यह कार्य अधर में लटका हुआ है।
धूल फांक रही सिंथैटिक ट्रैक प्रोपोजल की फाइल :
सिंथैटिक ट्रैक डालने वाली फाइल खेल विभाग ने प्रशासन ने इंजीनियरिंग विभाग के पास भेजी थी। मगर अभी तक इंजीनियरिंग विभाग ने इस ओर कोई भी ध्यान नहीं दिया। सिंथैटिक ट्रैक की फाइल प्रशासन के इंजीनियरिंग विभाग के दफ्तर में धूल फांक
रही है।
प्रशासन की लापरवाही का शिकार हो रहा खेल :
एथलीट खेल प्रशासन की लापरवाही का शिकार हो रहा है। प्रशासन खेल के लिए कोई भी ऐसे कदम नहीं उठा रहा है जो खिलाडिय़ों और खेल को प्रेरित करे। जिसके कारण शहर के खिलाडिय़ों का मोह अपने शहर से भंग हो रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण प्रशासन की लापरवाही और खेल के प्रति ध्यान न देना है।
3 करोड़ 90 लाख रुपए का बजट हुआ था फाइनल :
सिंथैटिक ट्रैक डालने के लिए प्रशासन की ओर से एक बड़ी राशि निर्धारित की गई थी। सैक्टर-7 में बने एथलैटिक ट्रैक की कायाकल्प के लिए 3 करोड़ 90 लाख रुपए का बजट पास हुआ है। अगर ट्रैक का कार्य शुरू ही नहीं करवाना था तो इतनी बड़ी राशि पास करने का क्या औचित्य।