'सिगरेट की तस्करी बंद करने के लिए सीमा पार सहयोग मिलना सबसे प्रमुख' - रोडनी वान डूरेन

Edited By Diksha Raghuwanshi,Updated: 20 Mar, 2025 10:16 AM

cross border cooperation is key to stopping cigarette smuggling

अवैध व्यापार पर नियंत्रण के लिए गठित ट्रांसनेशनल एलायंस टू कॉम्बैट इलिसिट ट्रेड (TRACIT) और ईयू- आसियान (EU-ASEAN) बिज़नेस काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, अवैध व्यापार को रोकना आसियान क्षेत्र के लिए एक प्राथमिकता बनी हुई है।

चंडीगढ़। हाल ही में 'अवैध सिगरेट बंद करने' पर एक सत्र के दौरान, फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल (पीएमआई) के एशिया पेसिफिक में अवैध व्यापार रोकथाम (इलिसिट ट्रेड प्रिवेंशन) के प्रमुख, रोडनी वान डूरेन ने आसियान क्षेत्र में तंबाकू की कालाबाजारी से निपटने के लिए सीमा पार सहयोग मिलने और सख्त कानून लागू करने के महत्व पर जोर दिया।
अवैध व्यापार पर नियंत्रण के लिए गठित ट्रांसनेशनल एलायंस टू कॉम्बैट इलिसिट ट्रेड (TRACIT) और ईयू- आसियान (EU-ASEAN) बिज़नेस काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, अवैध व्यापार को रोकना आसियान क्षेत्र के लिए एक प्राथमिकता बनी हुई है। यदि इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो 2025 तक क्षेत्रीय एकीकरण (रीजनल इंटीग्रेशन) के लक्ष्य को पूरा करना मुश्किल हो सकता है। आसियान क्षेत्र में अवैध सिगरेट का काला बाज़ार एक गंभीर समस्या है। इससे न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँच रहा है, बल्कि संगठित अपराध को बढ़ावा मिल रहा है और सरकारों को अरबों डॉलर के राजस्व का नुकसान हो रहा है। वर्ष 2023 के आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर सिगरेट की कुल खपत (485 बिलियन यूनिट) में 15% अवैध सिगरेट का हिस्सा था। इनमें अवैध व्हाइट सिगरेट की हिस्सेदारी 47% और नकली सिगरेट (काउंटरफिट) की हिस्सेदारी 7% थी। इस अवैध कारोबार से आसियान क्षेत्र को 3.7 बिलियन डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ।
पिछले एक साल में आसियान देशों की सरकारों और कानून लागू करने वाली एजेंसियों ने सिगरेट की तस्करी और काले बाज़ार पर नियंत्रण के प्रयासों को तेज़ कर दिया है। इसके बावजूद, समस्या अभी भी गंभीर बनी हुई है, क्योंकि इन देशों में उपभोग की जाने वाली हर चार में से एक सिगरेट अवैध होती है। यह एक अंतरराष्ट्रीय अपराध का रूप ले चुका है, जिसमें भारत और थाईलैंड जैसे देश तस्करी के लिए ट्रांज़िट हब और उपभोग बाज़ार (कंजंप्शन डेस्टिनेशन) दोनों के रूप में काम कर रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल के अनुसार, भारत अवैध तंबाकू व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण ट्रांज़िट हब और प्रमुख उपभोक्ता बाज़ार दोनों के रूप में उभर रहा है। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत में अवैध सिगरेट की तस्करी बंदरगाहों, हवाई अड्डों और ज़मीनी सीमाओं के माध्यम से होती है। सबसे बड़ी चिंता भारत में अवैध सिगरेट बाज़ार का लगातार बढ़ता प्रभाव है। भारत में अवैध सिगरेट का कुल खपत में 26.1% हिस्सा है, जिससे सरकार को हर साल 2.4 बिलियन डॉलर से अधिक के कर नुकसान का अनुमान है। एक रिपोर्ट के अनुसार, मलेशिया, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे देशों में निर्यात और आयात पर कड़े कानूनों की अनुपस्थिति तथा प्रभावी सीमा शुल्क निगरानी प्रणाली (कस्टम रिकॉर्डल सिस्टम) की कमी से भारत में नकली सिगरेट कारोबार को बढ़ावा मिल रहा है।
हाल ही में ‘अवैध सिगरेट को रोकना’ विषय पर आयोजित एक सत्र में, फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल के एशिया प्रशांत क्षेत्र में अवैध व्यापार रोकथाम प्रमुख रोडनी वान डूरेन ने कहा, "आसियान क्षेत्र में मौजूद खामियाँ अवैध सिगरेट बाज़ार को बढ़ावा देती हैं। इससे बौद्धिक संपदा अधिकार का उल्लंघन, कर नुकसान, कमजोर कानून प्रवर्तन और भ्रष्टाचार जैसी समस्याएँ पैदा होती हैं। इससे तस्करी करने वाले देशों को मुनाफा होता है, जबकि जिन देशों में ये अवैध सिगरेट बेची जाती हैं, उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। अवैध सिगरेट का निर्यात और उपभोक्ता बाज़ार में इसका आयात एक-दूसरे से मेल नहीं खाता, जिससे आयात शुल्क और उत्पाद कर की चोरी होती है। उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्‍लूटीओ), विश्व सीमा शुल्क संगठन (डब्‍लूसीओ) औ)र मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों में अधिक सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि अवैध कारोबार से जुड़े पक्षों को जवाबदेह ठहराने के लिए प्रभावी कानूनी ढाँचा मौजूद नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस समस्या का समाधान किसी देश की आर्थिक प्रगति पर नहीं, बल्कि उसके कानूनों के सख्त प्रवर्तन पर निर्भर करता है। अवैध कारोबार से निपटने के लिए पीएमआई की रणनीति अनुसंधान एवं बुद्धिमत्‍ता का लाभ उठाती है, सप्‍लाई चेन्‍स प्राप्‍त करती है, कानून प्रवर्तन के साथ साझेदारी करती है और लोगों में जागरुकता बढ़ाती है।’’
वैन डोरेन ने सिगरेट के काले बाजार को समाप्त करने के लिए सिफारिशें भी पेश कीं, जिनमें राष्ट्राध्यक्षों द्वारा अवैध व्यापार को मुख्य फोकस प्वाइंट घोषित करना, प्रमुख आसियान बैठकों में इस मुद्दे को उठाना, गंतव्य बाजार रेग्युरेशनों का अनुपालन करना, पारगमन देश रेग्युलेशन में सामंजस्य, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों का लाभ उठाना, तथा सीमा शुल्क से जुडे प्राधिकरणों से आगे आपसी सहयोग का विस्तार करना शामिल है।
आंकड़ों के अनुसार, थाईलैंड और फिलीपींस में 2020 के बाद से अवैध सिगरेट का उत्पादन 2 से 3 गुना बढ़ गया है। विशेष रूप से थाईलैंड में 2024 की तीसरी तिमाही में खपत की गई सिगरेट का 25% हिस्सा अवैध था। इससे सरकार को 28 बिलियन बहत (Baht) से अधिक का कर नुकसान हुआ।
ईयू-आसियान बिज़नेस काउंसिल की एडवोकेसी डायरेक्टर, लियाना ओथमैन ने अवैध सिगरेट कारोबार को रोकने के लिए डिजिटल टैक्स स्टैम्प और ट्रैक-एंड-ट्रेस सिस्टम को लागू करने के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि मुक्त व्यापार क्षेत्रों के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के कारण इस अवैध कारोबार पर नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए बेहतर कर नीतियाँ, कड़ी सीमा सुरक्षा, सख्त दंड, और ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म की जवाबदेही तय करने की आवश्यकता है।

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