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चंडीगढ़ बसने से पहले ही बन गया था कैंबवाला, यह कैचमैंट में कैसे आ गया?

Edited By Priyanka rana,Updated: 18 Mar, 2020 09:39 AM

kaimbwala

निर्माण गिराने के हाईकोर्ट के आर्डर से गुस्साए कैंबवाला के लोग मंगलवार को प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर से मिले।

चंडीगढ़(साजन) : निर्माण गिराने के हाईकोर्ट के आर्डर से गुस्साए कैंबवाला के लोग मंगलवार को प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर से मिले। उन्होंने दलील दी कि कैंबवाला गांव चंडीगढ़ बसने से भी सैंकड़ों साल पहले बस चुका था तो फिर कैंबवाला के लोगों को क्यों उजाड़ा जा रहा है। लोगों ने दलील दी कि सुखना को चंडीगढ़ बनाए जाने की प्रक्रिया के दौरान बनाया गया। 

कैंबवाला गांव 500 साल से भी ज्यादा पुराना गांव है और इसका स्वरूप एक उल्टी प्लेट की शक्ल में है, जहां गांव के भीतर तो आज तक भी पानी नहीं रुका। उल्टा गांव की सीमा की तरफ से तो पानी बाहर कैचमैंट की ओर निकल जाता है। फिर कैंबवाला सुखना कैचमैंट के दायरे में कैसे हुआ? 

लोगों ने प्रशासक से मुलाकात के बाद बातचीत के दौरान बताया कि प्रशासन ने कैचमैंट को खुद ही नुक्सान पहुंचाया है। 70 के दशक में कांसल की ओर कैंबवाला की ओर से प्रशासन ने सुखना चौ के बराबर में सड़क बना दी। ये सड़क ने कैचमैंट का सारा पानी रोक दिया। 

गांव वालों का कोई दखल नहीं :
जिस तरफ कैंबवाला गांव है और टाटा कैमलॉट का प्रोजैक्ट बन रहा था, वहां से सुखना चौ के बीच पानी जाने का रास्ता पूरी तरह से रोक दिया। इसमें गांव वालों का कोई दखल नहीं था। कैचमैंट का विषय तो हाईकोर्ट में अब जाकर शुरू हुआ और सुखना को बचाने के प्रयास शुरू हुए। 

लोगों ने कहा कि प्रशासन ने कैचमैंट में जो चैक डैम सुखना झील से पहले बना रखे हैं उनसे बड़ी मात्रा में सिल्ट आती थी जिससे सुखना झील में सिल्ट की समस्या पेश आती थी। इन चैक डैम की प्रशासन ने खुदाई कर गहराई कर रखी है। अब कोर्ट कह रहा है कि इन चैक डैम की गहराई तुरंत कम की जाए। 

हाईकोर्ट को गुमराह कर रहा प्रशासन :
कैंबवाला के पूर्व सरपंच हरमेश, पूर्व सरपंच अनिता रानी, पूर्व सरपंच शेरसिंह, पूर्व सरपंच जंगशेर, बलवंत राय, सोनू, पंच पाला राम, पंचश्रीराम, शिवेंद्र ढुल्ल, काका, शेरा ने कहा कि प्रशासन हाईकोर्ट को पूरी तरह से गुमराह कर रहा है। जो जानकारियां वहां दी जा रही हैं वह सही नहीं है। प्रशासन 2004 के नक्शे के आधार पर सुखना कैचमेंट को देख रहा है? 

इसके बाद भी लाल डोरे को लेकर वर्ष 2012 में प्रशासन ने एरियल सर्वे किया लेकिन बावजूद इन सब चीजों के आज के हालातों के मद्देनजर फैसला लेना चाहिए। प्रशासन को फ्रैश सर्वे के जरिए हाईकोर्ट में दलील रखनी चाहिए ताकि वास्तविक स्थिति सामने आ सके। उन्होंने कहा कि फ्रैश सर्वे में पता चल जाएगा कि कैंबवाला सुखना कैचमैंट के एरिया में आता है या नहीं? 

प्रशासक ने दिया कमेटी बनाने का आश्वासन :
उन्होंने ये भी कहा कि कैंबवाला गांव की प्रशासन नए सिरे से हदबंदी तय कर दे। लाल डोरे से बाहर के मकानों और इसके अंदर बने मकानों को भी देखे। प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया मामले में जल्द ही कमेटी बनाई जा रही है, वह इसको लेकर सारे पेचीदा मामलों को देखेगी। गांव के लोगों के हित में जो कुछ किया जा सकेगा, उसे देखा जाएगा। 

शुरू नहीं हो सका सर्वे :
प्रशासन ने सुखना कैचमैंट एरिया को देखने के लिए मंगलवार से सर्वे करना था, जो अभी तक कमेटी न बन पाने की वजह से शुरू नहीं हो पाया। अब दो-चार दिन के भीतर यह कमेटी बना दी जाएगी जिसके बाद कैचमैंट के सर्वे का काम शुरू हो पाएगा। 

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