Edited By Diksha Raghuwanshi,Updated: 18 Apr, 2025 09:34 AM
वेदाम का कंप्यूटर साइंस (एआई) पर आधारित चार वर्षीय ऑन-कैंपस बी.टेक प्रोग्राम पहले ही राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है। "सीखो टेक्नोलॉजी बनाकर" की सोच के साथ वेदाम ने एक प्रोजेक्ट-आधारित लर्निंग मॉडल अपनाया है।
चंडीगढ़। भारत में इंजीनियरिंग शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम के तहत वेदाम स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी ने AlgoPrep को अधिग्रहीत कर लिया है। AlgoPrep एक एआई-आधारित लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म है, जिसकी स्थापना पूर्व-माइक्रोसॉफ्ट इंजीनियर निशांत चाहर और पूर्व-गूगल इंजीनियर सुभेश कुमार ने की थी। इस अधिग्रहण का उद्देश्य भारत का पहला एआई-नेटिव अंडरग्रेजुएट टेक करिकुलम तैयार करना है, जो 2029 और उससे आगे की नौकरियों के लिए छात्रों को तैयार करेगा।
वेदाम का कंप्यूटर साइंस (एआई) पर आधारित चार वर्षीय ऑन-कैंपस बी.टेक प्रोग्राम पहले ही राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है। "सीखो टेक्नोलॉजी बनाकर" की सोच के साथ वेदाम ने एक प्रोजेक्ट-आधारित लर्निंग मॉडल अपनाया है। अब AlgoPrep के जुड़ने से वेदाम की एआई-फर्स्ट विज़न को और मजबूती मिल रही है। वेदाम के को-फाउंडर पियूष नांगरू के अनुसार, "यह केवल एक अधिग्रहण नहीं, बल्कि कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग को पढ़ाने के तरीके में परिवर्तन है।"
AlgoPrep के स्मार्ट टूल्स जैसे एआई डाउट सॉल्वर, पर्सनलाइज़्ड कोड रिव्यू इंजन, अडैप्टिव लर्निंग पाथवे और मॉक इंटरव्यू असिस्टेंट अब वेदाम के छात्रों को एक अत्याधुनिक शैक्षणिक अनुभव प्रदान करेंगे। AlgoPrep पहले ही 5000+ छात्रों को गूगल, डेलॉइट, एटलैसियन और MakeMyTrip जैसी शीर्ष कंपनियों में नौकरी दिलाने में मदद कर चुका है।
AlgoPrep के को-फाउंडर निशांत चाहर का कहना है, “हमने AlgoPrep को एआई आधारित लर्निंग को स्केलेबल और एक्सेसिबल बनाने के लिए बनाया था। अब वेदाम के साथ हम और अधिक गहराई से छात्रों को प्रभावित कर सकते हैं।” वहीं सुभेश कुमार ने इसे केवल एक तकनीकी इंटीग्रेशन न मानकर एक नई राष्ट्रीय शिक्षा दिशा की शुरुआत बताया।
इस अधिग्रहण के साथ वेदाम अब सिर्फ एक डिग्री नहीं, बल्कि 21वीं सदी के इंजीनियर की एक नई परिभाषा पेश कर रहा है जहां एआई, रोबोटिक्स, क्लाउड और ब्लॉकचेन जैसे क्षेत्रों में नवाचार और प्रैक्टिकल स्किल्स को मुख्य स्थान दिया जा रहा है। यह कदम न केवल भारत के शिक्षा क्षेत्र में एआई का पहला संपूर्ण एकीकरण है, बल्कि आने वाले वर्षों में तकनीकी शिक्षा का मानक भी तय कर सकता है।