नियमों को ताक पर रख कर दिया था बिहार हेल्थ सोसाइटी ने वर्क ऑर्डर, पटना हाई कोर्ट ने एग्रीमेंट किया रद्द

Edited By Auto Desk,Updated: 28 Mar, 2025 03:54 PM

patna high court cancelled the agreement

बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने 19 नवंबर 2024 को हिंदुस्तान वेलनेस और उसके पार्टनर खन्ना लैब के साथ पैथोलॉजी सेवाओं के लिए अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर किया था। पटना हाई कोर्ट ने पाया कि इस अनुबंध के जरूरी नियमों की अनदेखी की गई और जल्दबाजी में फैसला करते...

चंडीगढ़। बिहार हेल्थ सोसाइटी को पटना हाई कोर्ट ने आईना दिखाते हुए पैथोलॉजी सेवाओं के लिए जारी नए वर्क ऑर्डर को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है, और अंतिम निर्णय आने तक इस मामले कोई नई पहल करने से भी मना किया है। बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने 19 नवंबर 2024 को हिंदुस्तान वेलनेस और उसके पार्टनर खन्ना लैब के साथ पैथोलॉजी सेवाओं के लिए अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर किया था। पटना हाई कोर्ट ने पाया कि इस अनुबंध के जरूरी नियमों की अनदेखी की गई और जल्दबाजी में फैसला करते हुए बिना कंसोर्टियम के वजूद में आए ही हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब को वर्क ऑर्डर जारी कर दिया था। इस संबंध में कोर्ट ने विभाग को जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है। पटना हाई कोर्ट ने यह निर्णय 24 मार्च को सुनवाई के बाद दिया। अभी इस मामले की सुनवाई जारी रहेगी। 
उल्लेखनीय है कि बिहार में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर पैथोलॉजी टेस्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत किया जा रहा है। अक्टूबर 2024 में बिहार स्वास्थ्य विभाग ने नई निविदा जारी की थी। यह निविदा शुरू से ही विवादित रही। पहले साइंस हाउस नाम की कंपनी को एल वन घोषित किया गया, फिर यह बताया गया कि उस कंपनी ने अपने वित्तीय निविदा में दो जगह अलग अलग रेट भर दिए थे। उस आधार पर उसके दावे को रद्द कर दिया गया और वित्तीय निविदा में दूसरे नंबर पर कम रेट देने वाले कंसोर्टियम को विजेता घोषित कर दिया गया। यहां भी बताया गया कि हिंदुस्तान वेलनेस और उसकी पार्टनर कंपनी  खन्ना लैब टेंडर में दी गई तकनीकी शर्तों को पूरा नहीं करती। साइंस हाउस की आपत्ति के बावजूद बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने 5 नवंबर 2024 को हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब के नेतृत्व के पक्ष में लेटर ऑफ इंटेंट जारी कर दिया और 11 नवंबर को उनके साथ एग्रीमेंट भी कर लिया। जबकि टेंडर की शर्तो के अनुसार निविदा खुलने के 90 दिनों के भीतर कंसोर्टियम का गठन जरूरी है। यह 90 दिन की अवधि 19 मार्च को पूरी हो गई। 
हिंदुस्तान वेलनेस ने इस एग्रीमेंट के बाद आनन फानन में कई अस्पतालों में अपना लैब भी स्थापित कर दिया। इस बीच साइंस हाउस ने पटना हाई कोर्ट में एक रिट दायर कर हिंदुस्तान वेलनेस को विजेता घोषित करने और उसके साथ एग्रीमेंट साइन करने पर आपत्ति जताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की। इसके अलावा पहले से काम कर रही कंपनी पीओसीटी भी टेंडर में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए अदालत से हस्तक्षेप की मांग वाली रिट दायर कर दी। दोनों रिट इस समय पटना हाई कोर्ट में चल रहे हैं। 
24 जनवरी को इसी मामले में सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट की जस्टिस पी बी बजंतरी की बेंच ने बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी को यह निर्देश दिया था कि इस मामले किसी भी नई कंपनी को कोई नई जिम्मेदारी ना दे। स्थिति यथावत बनाए रखें। पर इस मामले में राज्य सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई। हिंदुस्तान वेलनेस पहले की तरह काम करती रही।
पीओसीटी और साइंस हाउस की याचिका पर 24 मार्च को सुनवाई करते हुए जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद एवं जस्टिस सुरेंद्र पांडे की बेंच ने पाया कि बिना कंसोर्टियम के अस्तित्व में आए ही बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब के नाम से लेटर ऑफ इंटेंट जारी कर दिया गया और बाद में इनके साथ एग्रीमेंट भी कर लिया गया। अदालत में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील और कथित कंसोर्टियम के दोनों पार्टनर के वकीलों ने भी स्वीकार किया कि अभी कंसोर्टियम का गठन नहीं हुआ है। केवल निविदा भरने के समय दोनों कंपनियों ने एम ओ यू साइन किया था।  पटना हाई कोर्ट ने अपने ऑब्जर्वेशन में यह दर्ज किया है कि इस मामले में जल्दीबाजी में फैसला किया गया है। हाई कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से कंसोर्टियम के साथ हुए एग्रीमेंट को रद्द करते हुए, सरकारी वकील को एक हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है। इसकी अगली सुनवाई अप्रैल के पहले हफ्ते में होने की संभावना है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Mumbai Indians

Kolkata Knight Riders

Teams will be announced at the toss

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!