Edited By ,Updated: 05 May, 2017 07:58 AM
एम्स की तर्ज पर अब पी.जी.आई. भी अब अलग से कैंसर इंस्टीच्यूट बनाने जा रहा है।
चंडीगढ़ (पाल): एम्स की तर्ज पर अब पी.जी.आई. भी अब अलग से कैंसर इंस्टीच्यूट बनाने जा रहा है। यू. एडमिस्ट्रेशन द्वारा मिली सारंगपुर में मिली 50 एकड़ जमीन पर पी.जी.आई. दो विभागों को शिफ्ट करने के साथ ही 2 और नए विभाग बनाने जा रहा है। पी.जी.आई. निदेशक प्रो. जगत राम ने बताया कि सारंगपुर की 50 एकड़ जमीन पर अस्पताल न्यू कैंसर इंस्टीच्यूट, लर्निंग रिसोर्सेस सैंटर बनाने के साथ ही न्यू ओ.पी.डी. व ट्रॉमा सैंटर को वहां शिफ्ट करने वाला है। निदेशक जगत राम ने बताया कि अस्पताल के सभी एच.ओ.डी. की ओर से 40 से ज्यादा प्रोपोजल आए थे जिसके बाद यह फैसला लिया गया है।
अस्पताल में पिछले कई वर्षों से मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। रोजाना मरीजों और परिजनों की तादाद 18 से 19 हजार तक पहुंच रही है जिसे कम करने की जरूरत है, ताकि मरीजों को सही इलाज मिल सके। प्रो. जगत राम ने बताया कि बुधवार को उन्होंने सभी विभागों के एच.ओ.डी. से इस मुद्दे को लेकर बैठक की थी जिसमें ज्यादातर लोगों का कहना था कि ट्रॉमा सैंटर को शिफ्ट करने की काफी जरूरत है। साथ ही पी.जी.आई. एक टीचिंग इंस्टीच्यूट है, इसलिए वहां लर्निंग रिसोर्स सैंटर को बनाए जाने की जरूरत है, ताकि स्टूडैंट्स को और ज्यादा अच्छे पढ़ाया व सिखाया जा सके। वहीं पी.जी.आई. के पास कैंसर इंस्टीच्यूट नहीं है जिसकी काफी जरूरत है।
4 विभागों पर हुई सहमति
मैंबर्स की राय के बाद पी.जी.आई. प्रशासन द्वारा 4 विभागों को शिफ्ट करने पर मोहर लगाई गई है जिसमें न्यू ओ.पी.डी., ट्रॉमा सैंटर, लर्निंग रिसोर्स सैंटर, कैंसर इंस्टीच्यूट सैंटर वहां स्थापित किया जाएंगे। इसके साथ ही कैंपस में ओर्गन ट्रांसप्लांट सैंटर को भी जगह दी जाएगी। वहीं दूसरे मैंबर्स की मांग और डिमांड पर उनके विभागों के एरिया को भी पी.जी.आई. में विस्तार दिया जा सकता है। डी.डी.ए. डाक्टर अमिताभ अवस्थी की मानें तो ट्रॉमा सैंटर शिफ्ट होने के बाद एमरजैंसी एरिया को एक्सटैंड किया जाएगा।
एमरजैंसी में मरीजों को बैड तक उपलब्ध नहीं हो रहे हैं, ट्रॉमा की जगह को एमरजैंसी में बदल दिया जाएगा जिससे मरीजों की काफी राहत मिलेगी। लर्निंग रिसोर्स सैंटर की जरूरत पर प्रो. जगत राम ने बताया कि इस सैंटर में पी.जी.आई. के डाक्टरों की साथ-साथ बाहरी रा'ज्यों के डाक्टरों को भी ट्रेंड किया जाएगा।पी.जी.आई. में ज्यादातर मरीज बाहरी राज्यों जैसे हरियाणा, हिमाचल, पंजाब, हिमाचल व राजस्थान के अलावा भी आते हैं, ऐसे में अगर वहां के डाक्टरों को ट्रेंड कर दिया जाए तो मरीजों को रैफर नहीं किया जाएगा। जिससे पी.जी.आई. में मरीजों की तादाद खुद-ब-खुद कम होगी।
6 सुपर स्पैशिएलिटी अस्पताल बनेंगे
डा. अवस्थी ने बताया कि पी.जी.आई. को फरवरी में चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा मास्टर प्लान को मंजूरी मिल गई है जिस पर काम करते हुए पी.जी.आई. में 6 नए सुपर स्पैशिएलिटी अस्पताल भी प्रशासन बनाने जा रहा है। कुछ मैंबर्स ने सारंगपुर में ओर्गन ट्रांसप्लांट सैंटर व जिरयाट्रिक सैंटर को बनाने की भी राय दी थी लेकिन इस सैंटर्स को पी.जी.आई. में ही स्थापित किया जाएगा।
न्यू ओ.पी.डी. को बनाएंगे डे-केयर सैंटर
न्यू ओ.पी.डी. के शिफ्ट होने के बाद उस बिल्डिंग को डे-केयर सैंटर को तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है जहां मरीजों को सुबह इलाज या सर्जरी के बाद शाम तक डिस्चार्ज कर दिया जाएगा या एक हफ्ते की डेट वाले मरीजों को बुलाया जा सकता है। साथ ही डा. अवस्थी की मानें तो डे-केयर के साथ ही न्यू ओ.पी.डी. में फैकेल्टी के ऑफिस को लेकर भी उनकी योजना चल रही है।
2 महीनों में भेजेंगे प्रोपोजल
प्रो. जगत राम ने बताया कि अस्पताल अगले 2 महीनों में इसका प्रोपोजल गवर्नमैंट ऑफ इंडिया को भेजेगा। साथ ही उन्होंने बताया कि पिछले 2 वर्षों से यह जमीन उनके पास है लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। पी.जी.आई. में बढ़ती मरीजों की तादाद को देखते हुए इसकी सख्त जरूरत है। फिलहाल इसका फाइनैंशल बजट तय नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक ट्रॉमा सैंटर के लिए एक हजार करोड़ की जरूरत पड़ेगी। जहां तक इस प्रोजैक्ट के पूरा होने की उम्मीद है, इसमें कम से कम 4 से 5 वर्ष का वक्त लगेगा। इन सैंटर्स के बनने से पी.जी.आई. में मरीजों की तादाद कम होगी। किन मरीजों को पी.जी.आई. में सर्जरी या स्पैशल केयर के लिए भेजना है इसके बाद तय किया जाएगा।