पीएमआई ने भारत में अवैध तंबाकू व्यापार को खत्म करने की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत किया

Edited By Diksha Raghuwanshi,Updated: 13 Nov, 2024 03:57 PM

pmi strengthens its commitment to end illicit tobacco trade in india

टीआईआई के अनुसार अवैध सिगरेट के कारोबार में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तस्करी करके लाए गए और स्थानीय स्तर पर टैक्स चोरी करके बनाए गए सिगरेट शामिल होते हैं।

चंडीगढ़। विभिन्न सरकारों के बीच सहयोग और विभिन्न देशों में मौजूद नेटवर्क की खुफिया जानकारी साझा करना अवैध व्यापार को रोकने के लिए आवश्यक है
हाल ही में आयोजित एक कार्यक्रम में तम्बाकू के अवैध कारोबार को रोकने की अपनी प्रतिबद्धता के अंतर्गत, फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल (पीएमआई) के इंडिया एफिलिएट, आईपीएम इंडिया ने विभिन्न सरकारों के बीच सहयोग और विभिन्न देशों से होकर गुजरने वाले ट्रांसनेशनल नेटवर्क की खुफिया जानकारी साझा करने के महत्व पर बल दिया।

भारत में तम्बाकू का अवैध कारोबार पिछले कुछ सालों में बहुत तेजी से बढ़ा है। टोबैको इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (टीआईआई) ने खुलासा किया है कि सिगरेट का अवैध कारोबार, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तस्करी करके लाए गए और स्थानीय स्तर पर टैक्स चोरी करके बनाए गए सिगरेट शामिल हैं, इस समय भारत में कुल सिगरेट उद्योग के एक चौथाई के बराबर है। भारत में 12 करोड़ लोग धूम्रपान करते हैं, जो विश्व में चौथा सबसे बड़ा और सबसे तेजी से विकसित होता हुआ अवैध सिगरेट का केंद्र बनता जा रहा है। यहाँ तस्करी करके लाए गए सिगरेट घरेलू सिगरेट उद्योग के एक चौथाई के बराबर हैं। टीआईआई के अनुसार अवैध सिगरेट के कारोबार में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तस्करी करके लाए गए और स्थानीय स्तर पर टैक्स चोरी करके बनाए गए सिगरेट शामिल होते हैं। भारत में अवैध सिगरेट बाजार के कारण 2.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कारोबार को खतरा है, जिसकी वजह से 2019-20 में 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की टैक्स हानि और 12000 से ज्यादा नौकरियों का नुकसान हुआ। 2021-22 में 11.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अवैध सिगरेट जब्त किए गए। मलेशिया, कंबोडिया, और इंडोनेशिया जैसे देशों में आयात और निर्यात में उचित प्रवर्तन की कमी और कस्टम में रिकॉर्ड की प्रणाली प्रभावी न होने के कारण भारत में अवैध कारोबार को बढ़ावा मिल रहा है।

भारत में तम्बाकू के अवैध व्यापार को रोकने के लिए मिलकर प्रयास करने की जरूरत के बारे में नवनील कर, मैनेजिंग डायरेक्टर, आईपीएम इंडिया ने कहा, ‘‘नकली और प्रतिबंधित उत्पादों की तस्करी का मार्ग पूरे विश्व में मौजूद है। इसलिए यह किसी एक देश की समस्या नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समस्या है, जिसके लिए समाधान भी अंतर्राष्ट्रीय होना चाहिए। खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक, अवैध सिगरेट के नेटवर्क में भारत एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसलिए अवैध सिगरेट के कारोबार को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ कठोर नियम और उनका प्रवर्तन बहुत आवश्यक है। भारत के आर्थिक हितों की रक्षा और उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए पीएमआई ने पाँच महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर आधारित रणनीति तैयार की है, जिनमें शोध एवं खुफिया जानकारी, सप्लाई चेन की सुरक्ष, पार्टनरशिप्स, कानून प्रवर्तन के साथ सहयोग और जागरुकता विस्तार शामिल हैं। अवैध व्यापार को रोकने के लिए एसियान देशों में मौजूदा गोल्ड स्टैंडर्ड कानूनों में तालमेल और नियमों का क्रियान्वयन तथा न्यायक्षेत्र में स्थित कानून प्रवर्तन एजेंसी और पैनल्टी आवश्यक हैं।

तम्बाकू के अवैध व्यापार के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए अनुश्री लक्ष्मीनारायणन, डायरेक्टर, एक्सटर्नल अफेयर्स, आईपीएम इंडिया ने कहा, ‘‘हम लंबे समय से अवैध सिगरेट के व्यापार को रोकने पर केंद्रित हैं। हम अपनी सप्लाई चेन और अपने उत्पादों की सुरक्षा करना चाहते हैं। और हम इसके लिए टेक्नोलॉजी और इनोवेशन का उपयोग करते हैं तथा सत्यापन के लिए विभिन्न एप्लीकेशंस एवं सिक्योरिटी टेक्नोलॉजीज़ द्वारा सप्लाई चेन में अपने उत्पादों को ट्रैक व ट्रेस करते हैं। साथ ही मशीन लर्निंग द्वारा अवैध ऑनलाईन सेल्स की पहचान व रोकथाम करते हैं। टेक्नोलॉजी हमें अवैध कारोबार को पहचानने और उसे रोकने में मदद कर रही है। हालाँकि कोई भी अवैध कारोबार से अकेले नहीं निपट सकता। इसे रोकने के लिए सरकारों, निजी क्षेत्र, और सिविल सोसायटी के बीच समावेशी और सहज ज्ञान पर आधारित पब्लिक-प्राईवेट पार्टनरशिप आवश्यक हैं। हम भारत सरकार और भारतीय कानून प्रवर्तन संस्थाओं के आभारी हैं, जिन्होंने तम्बाकू के अवैध कारोबार को रोकने के लिए कठोर कार्रवाई को प्राथमिकता दी है।

जागरुकता और शिक्षा के अभियानों के साथ कठोर पैनल्टी और मजबूत कानून प्रवर्तन द्वारा एक समग्र दृष्टिकोण तम्बाकू के अवैध कारोबार को रोकने में काफी कारगर हो सकता है। ऐसा वित्तीय और कानूनी वातावरण, जिसमें व्यस्क धूम्रपान करने वालों को कालाबाजार की ओर न जाना पड़े, तथा पब्लिक-प्राईवेट पार्टनरशिप्स के बीच तालमेल इसके लिए बहुत आवश्यक है।

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