Edited By pooja verma,Updated: 02 May, 2020 10:46 AM
कोरोना संकट में क्वॉरंटाइन किए कुछ लोगों के नखरे पी.जी. आई. के लिए सिर दर्द बन गए हैं।
चंडीगढ़ ( अर्चना सेठी ): कोरोना संकट में क्वॉरंटाइन किए कुछ लोगों के नखरे पी.जी. आई. के लिए सिर दर्द बन गए हैं। कभी नाश्ते, कभी दोपहर के खाने, कभी राते के खाने में कमियां निकाली जा रही हैं रैडक्रास की साय में क्वॉसंटाइन रहने वाले लोगों को सुबह के नाश्ते में मक्खन के साथ परांठे खाने हैं, उन्हें सैंडविच या टोस्ट, ओट्स का नाश्ता पसंद नहीं है। शुरू में पी.जी.आई. को चंडीगढ़ प्रशासन के एक होटल से तीनों समय का खाना भेजा जा रहा था लेकिन लोगों को मसालेदार दाल, सब्जी और पांच से ज्यादा चपातियां खानी थी।
ऐसे में पी.जी.आई. ने लोगों के नखरों को देखते हुए होटल का खाना बंद कर खुद को किचन में ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर, सुबह व शाम की चाय देना शुरू कर दिया। सप्ताह में दो दफा खाने में हलवा, खीर तो परोसे जा ही रहे हैं, इसके अलावा हर रोज का मैन्यू अलग-अलग तैयार किया जारहा है ।राजमा, चने, दाल मक्खनी, आलू पूरी, पनीर के अलावा हर रोज तीनों समय अलग-अलग पकवान खाने को परोसे जा रहे हैं लेकिन लोग कभी मसालों तो कभी मात्रा को लेकर बवाल खड़ा करते रहते हैं। सूत्र कहते हैं कि जब होटल खाना परोस रहा था, तब चपातियों की संख्या पर सवाल उठाए गए थे और कहा गया था कि खाने का स्वाद ठीक नहीं है।
ज्यादा चपाती दी तो वेस्ट करने लगे
पहले सिर्फ एक शिफ्ट में पी.जी.आई. की किचन चलती थी। ज्यादा चपाती जब दी गई तो लोगों ने उन्हें वेस्ट करना शुरू कर दिया। उसके बाद लोगों की थाली में दाल सजी, सलाद, दही, चावल के अलावा पांच चपाती दी जाने लगी और अगर किसी को एसट्रा चपाती चाहिए तो वो भी दी जाने लगी। फ्रूट्स और शाम को स्नैस भी दिए जा रहे हैं लेकिन लोग फिर भी कमी निकालने में लगे रहते हैं।
पी.जी.आई. के 67 वधिकार्कर वॉरंटाइन किए
पी.जी.आई. के एक अरी का कहना है कि पी.जी.आई. की सराय, हॉस्टल और प्राइवेट वार्ड में दो किस्म के लोग वॉरंटाइन किए गए हैं। एक वे जिन्हें 14 दिनों के लिए वॉरंटाइन किया गया है जबकि दूसरे वे हैं जो पी.जी.आई. में ड्यूटी के बाद घर नहीं जाते ताकि उनके परिजन उनके संपर्क में न आ सकें। डाटर्स चंडीगढ़ के एक होटल में रह रहे हैं।
हालांकि कुछ डाटर्स हॉस्टल या अपने घरों में ही ड्यूटी के बाद वॉरंटाइन हो जाते हैं। पी.जी.आई. के 67 वर्कर वॉरंटाइन किए गए हैं जबकि 93 से अधिक हैल्थ वर्कर्स ड्यूटी के बाद पी.जी.आई. में ही रह जाते हैं। नर्सिज निवेदिता हॉस्टल या प्राइवेट वार्ड में ड्यूटी के बाद रह रही हैं। हैल्थ वर्कर्स के अलावा पी.जी.आई. में उपचाराधीन पेशैंट्स के लिए भी संस्थान में ही खाना बन रहा है।