Edited By Diksha Raghuwanshi,Updated: 22 Dec, 2024 10:34 AM
निजीकरण को लेकर जिस तरह लोगों को भ्रमित करने के लिए झूठ का सहारा लिया जा रहा है ऐसे में चंडीगढ़ के लोगों के सामने पूरी सच्चाई का आना जरूरी है।
चंडीगढ़। चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण को लेकर पिछले कुछ दिनों से एक वर्ग के लोगों द्वारा लगातार भ्रामक अफवाहें फैलाई जा रही हैं। कभी कहा जा रहा है... निजीकरण से कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी, तो कभी ये झूठी दलील दी जा रही है कि निजी कंपनी के आने से बिजली के दाम बढ़ जाएंगे और तो और... लोगों को भ्रमित करने के लिए ये भी कहा जा रहा है कि बिजली विभाग के मुनाफे में होते हुए भी उसे निजी कंपनी को सौंपा जा रहा है। जबकि सच्चाई ये है कि ये सभी बातें बेबुनियाद और मनगढंत हैं।
निजीकरण को लेकर जिस तरह लोगों को भ्रमित करने के लिए झूठ का सहारा लिया जा रहा है ऐसे में चंडीगढ़ के लोगों के सामने पूरी सच्चाई का आना जरूरी है। बिजली के निजीकरण को लेकर वैसे तो कई तरह के अफवाह फैलाए जा रहे हैं, लेकिन चंडीगढ़ के नागरिकों को 5 मिथकों को जानना बेहद जरूरी है।
मिथक 1 – नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी?
सच्चाई – बिजली अधिनियम 2003 और निविदा की शर्तें ये सुनिश्चित करती हैं कि कर्मचारियों की नौकरियां और मौजूदा सेवा शर्तें पूरी तरह सुरक्षित रहेंगी। निजीकरण के बाद भी कर्मचारियों के सेवा-शर्तों में कोई कमी नहीं होगी बल्कि इसके उलट लाभ और अधिकार बेहतर हो सकते हैं।
मिथक 2 – कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और लाग कम कर दिए जाएंगे?
सच्चाई – कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, पेंशन और अन्य लाभ जैसे ग्रेच्युटी, अर्जित अवकाश और भविष्य निधि पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। निजीकरण की प्रक्रिया से इन लाभों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मिथक 3 – जब बिजली विभाग मुनाफे में तो फिर निजीकरण क्यों?
सच्चाई- चंडीगढ़ बिजली विभाग (EWEDC) कुछ सालों से वित्तीय संकट से जूझ रहा है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में विभाग को ₹157.04 करोड़ का घाटा हुआ। संयुक्त बिजली विनियामक आयोग यानि JERC ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ₹158.91 और वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए ₹198.71 करोड़ की राजस्व कमी का अनुमान लगाया है। विभाग अपने घाटों को कम करने के लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहा है और इसके लिए साल-दर-साल उसे दंडित भी किया गया है।
मिथक 4 – निजीकरण के बाद बिजली के दाम बढ़ जाएंगे?
सच्चाई- चंडीगढ़ प्रशासन ने कई बार स्पष्ट किया है कि निजीकरण के बाद भी बिजली के दाम संयुक्त बिजली विनियामक आयोग (जेईआरसी) द्वारा ही नियंत्रित होंगे। बिजली दरों पर कोई भी फैसला लेना का अधिकार केवल संयुक्त बिजली विनियामक आयोग के पास होगा।
मिथक 5 - ऐमिनेंट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड को अनुभव नहीं, इन्हें क्यों चुना?
सच्चाई- ऐमिनेंट इलेक्ट्रिसटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड CESC लिमिटेड की 100% सहायक कंपनी है जो कई दशकों से बिजली क्षेत्र में कुशल सेवाएं प्रदान कर रही है। आरपी-संजीव गोयनका ग्रुप की कंपनी CESC लिमिटेड 1897 से कोलकाता और हावड़ा में बिजली वितरण का काम कर रही है। ₹ 15, 500 करोड़ के राजस्व और ₹ 26, 500 करोड़ के बाजार पूंजीकरण के साथ CESC लिमिटेड कोलकाता, हावड़ा, ग्रेटर नोएडा, कोटा, भरतपुर और बीकानेर जैसे शहरों में 44 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को बिजली सेवाएं मुहैया करा रही है। आरपी-संजीव गोयनका ग्रुप की ये कामयाबी बताता है कि ऐमिनेंट इलेक्ट्रिसटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड चंडीगढ़ में बिजली वितरण की जिम्मेदारी निभाने के लिए पूरी तरह सक्षम और योग्य है।
जैसा कि चंडीगढ़ यूटी प्रशासन पहले भी कई बार आश्वस्त कर चुका है, निजीकरण का फैसला वित्तीय समस्याओं का समाधान करने, सेवा दक्षता में सुधार लाने और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में उठाए गए ठोस कदमों के तहत लिया गया है। चंडीगढ़ की जनता से अपील है कि वो समाज के एक वर्ग के लोगों द्वारा फैलाए जा रहे अफवाहों पर ध्यान ना दें और केवल तथ्यों पर भरोसा करें। निजीकरण का मकसद चंडीगढ़ में बिजली वितरण प्रणाली को और मजबूत और विश्वसनीय बनाना है जिसका हर किसी को फायदा होगा।