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किसी संघर्ष की कहानी से कम नहीं बॉक्सिंग के दिग्गज राम सिंह का जीवन

Edited By Auto Desk,Updated: 03 Mar, 2025 04:03 PM

the life of boxing legend ram singh is no less than a story of struggle

पटियाला के अस्मानपुर गांव से लेकर वैश्विक मंच तक उनका सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। लेकिन इस यात्रा में जितने भी उतार-चढ़ाव आए, राम सिंह ने उन्हें साहस और संघर्ष से पार किया।

चंडीगढ़। राम सिंह, भारतीय बॉक्सिंग का एक प्रमुख नाम, न केवल अपनी खेल उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि उनकी जीवन यात्रा ने भी उन्हें एक प्रेरणास्त्रोत बना दिया है। पटियाला के अस्मानपुर गांव से लेकर वैश्विक मंच तक उनका सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। लेकिन इस यात्रा में जितने भी उतार-चढ़ाव आए, राम सिंह ने उन्हें साहस और संघर्ष से पार किया।

प्रारंभिक जीवन: एक नई दिशा की ओर कदम

15 अप्रैल 1983 को पंजाब के पटियाला जिले में जन्मे राम सिंह का बचपन एक किसान परिवार में बीता। खेलों में उनकी रुचि बचपन से ही थी, और उन्होंने शुरुआत कबड्डी और एथलेटिक्स से की। 2002 में बॉक्सिंग में कदम रखते हुए उन्होंने स्कूल नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, जूनियर नेशनल्स में रजत और नेशनल गेम्स में कांस्य पदक जीते। यही वो समय था जब उनकी प्रतिभा को पहचान मिली और वह भारतीय बॉक्सिंग टीम का हिस्सा बने।

बॉक्सिंग में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सफलता की ओर बढ़ते कदम

2002 में भारतीय सेना में चयन और बॉक्सिंग के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ते हुए राम सिंह ने राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई स्वर्ण पदक जीते। उन्होंने ऑल इंडिया पुलिस गेम्स में लगातार 5 स्वर्ण पदक जीते और पाकिस्तान, चेक गणराज्य तथा कजाकिस्तान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कांस्य पदक हासिल किए। 2005 में, पाकिस्तान में आयोजित प्रतियोगिता में उन्होंने कांस्य पदक जीता, और इससे उनका आत्मविश्वास और बढ़ा।

2005: पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में कांस्य पदक
2005-2006: चंडीगढ़ में ए.के. मिश्रा टूर्नामेंट में 3 स्वर्ण और 1 रजत
2008: सीनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक
चेक गणराज्य और कजाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कांस्य पदक
2010: ऑस्ट्रेलिया में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया
कठिन समय और जीवन का मोड़: ड्रग केस और जेल

2013 में राम सिंह का जीवन एक कठिन मोड़ पर आ गया जब उनका नाम ड्रग केस में सामने आया। यह घटना न केवल उनके करियर को संकट में डालने वाली थी, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल रही थी। गिरफ्तारी के बाद, उन्हें पंजाब पुलिस से बर्खास्त कर दिया गया और नाभा जेल भेजा गया। लेकिन राम सिंह ने इस मुश्किल समय में भी हार नहीं मानी और कहा, "जीवन में कभी हार मत मानो, चाहे हालात जैसे भी हों। संघर्ष से सफलता मिलती है।"

एक नई शुरुआत: प्रोफेशनल बॉक्सिंग में वापसी

राम सिंह का संघर्ष जारी रहा, और 2016 में उन्होंने प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखा। बेंगलुरु में अपनी पहली प्रोफेशनल फाइट जीतने के बाद, वह सुपर बॉक्सिंग लीग में शामिल हुए, जहां वह मुंबई असैसिंस टीम के कप्तान बने। उन्होंने पंजाब, राजस्थान और हैदराबाद में कई प्रो मुकाबले भी जीते। वह कहते हैं, "सच्चा योद्धा वही है, जो गिरकर फिर से उठता है।"

सच्चाई की जीत: प्रतिष्ठा की वापसी

2019 में राम सिंह को ड्रग केस से बरी कर दिया गया, और यह उनके लिए न केवल मानसिक शांति का क्षण था, बल्कि उनकी खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करने का अवसर भी था। उन्होंने पंजाब पुलिस में बहाली के लिए अपील की और खुद को साबित करने का अवसर पाया। उनका कहना है, "मैंने यकीन किया था कि सच्चाई एक दिन सामने आएगी, और मैंने संघर्ष किया।"

राम सिंह की प्रमुख उपलब्धियाँ

2002: स्कूल नेशनल स्वर्ण पदक
2002: जूनियर नेशनल रजत पदक
2002: नेशनल गेम्स कांस्य पदक
2003-2005: ऑल इंडिया पुलिस गेम्स में लगातार 5 स्वर्ण पदक, 1 रजत और 1 कांस्य
2005: पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट कांस्य पदक
2005-2006: चंडीगढ़ में ए.के. मिश्रा टूर्नामेंट में 3 स्वर्ण और 1 रजत
2008: सीनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप कांस्य पदक
चेक गणराज्य और कजाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कांस्य पदक
2010: ऑस्ट्रेलिया में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया
2016: प्रो बॉक्सिंग में शुरुआत, बेंगलुरु में पहली फाइट जीती
2016: सुपर बॉक्सिंग लीग में मुंबई असैसिंस टीम के कप्तान बने
2016-2019: पंजाब, राजस्थान और हैदराबाद में कई प्रो बॉक्सिंग मुकाबले जीते
निष्कर्ष: संघर्ष से सफलता तक का सफर

राम सिंह की कहानी यह सिखाती है कि सफलता की राह कभी आसान नहीं होती, लेकिन अगर आपके अंदर आत्मविश्वास और संघर्ष करने की क्षमता हो, तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं होती। उनका जीवन यह साबित करता है कि असली विजेता वही होता है, जो गिरकर फिर से उठता है और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है। राम सिंह का संघर्ष, उनका समर्पण और उनकी सफलता उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो कठिनाइयों का सामना कर रहे

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