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ट्रंप की डब्लूएचओ थ्रेट ने ग्लोबल हैल्थ गवर्नेंस की प्रभावशीलता के बारे में बहस छेड़ी

Edited By Diksha Raghuwanshi,Updated: 24 Dec, 2024 03:16 PM

trump s who threat sparks debate about effectiveness of global health governance

डब्लूएचओ स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याओं के लिए चल रही गतिविधियों में तालमेल बनाकर उनकी निगरानी करती है, जिनमें जेनेटिकली मोडिफाईड फूड, जलवायु परिवर्तन, तंबाकू और नशीली दवाओं का सेवन, और सड़क सुरक्षा शामिल हैं।

चंडीगढ़। डोनाल्ड ट्रंप की ट्रांज़िशन टीम अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर निकालने की ओर काम कर रही है, इस खबर ने एक बार फिर डब्लूएचओ को सुर्खियों में ला दिया है। 2020 में ट्रंप ने डब्लूएचओ से बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू कर दी, जिसका हवाला यह दिया गया कि डब्लूएचओ की श्रृद्धा चीन की ओर है, लेकिन यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी क्योंकि उनके बाद अमेरिका की कमान संभालने वाले जो बाईडेन ने डब्लूएचओ के साथ अपने संबंधों को फिर से शुरू कर दिया। पिछले कुछ दशकों में डब्लूएचओ का कार्य महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता, और मलेरिया एवं ट्यूबरकुलोसिस से लड़ने के अपने मूल फोकस के मुकाबले काफी ज्यादा व्यापक हो गया है। आज डब्लूएचओ स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याओं के लिए चल रही गतिविधियों में तालमेल बनाकर उनकी निगरानी करती है, जिनमें जेनेटिकली मोडिफाईड फूड, जलवायु परिवर्तन, तंबाकू और नशीली दवाओं का सेवन, और सड़क सुरक्षा शामिल हैं।

विश्व में जन स्वास्थ्य पर आए विभिन्न संकटों के लिए यूएन एजेंसी की आलोचना होती आई है, जिनमें कोविड-19 महामारी का संकट भी शामिल है। अंतर्राष्ट्रीय समिति ने पाया कि डब्लूएचओ द्वारा कोविड को पब्लिक हैल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न (पीएचईआईसी) घोषित करने में महीनों का विलंब किया गया, जिसकी वजह से पूरी दुनिया में जानमाल का भारी नुकसान हुआ। कोविड-19 को दुनिया में फैलने से रोकने के लिए यात्रा पर प्रतिबंध लगाने और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियम लागू करने में भी डब्लूएचओ विफल रहा।
दुनिया में तम्बाकू का उपयोग स्वास्थ्य का एक और संकट है, जो पिछले दो दशकों से हल नहीं हो पाया है। डब्लूएचओ के फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (एफसीटीसी) को ड्राफ्ट करते हुए जिन लक्ष्यों की कल्पना की गई थी, डब्लूएचओ का दृष्टिकोण वो लक्ष्य प्राप्त करने में सफल नहीं हो पाया। विशेषज्ञों का तर्क है कि तम्बाकू नियंत्रण के डब्लूएचओ के दृष्टिकोण में नुकसान में कमी लाने वाला दृष्टिकोण शामिल नहीं किया गया।

लैंसेट द्वारा प्रकाशित एक लेख में पूर्व डब्लूएचओ डायरेक्टर, रॉबर्ट बीगलहोल और रुथ बोनिता ने कहा, ‘‘विश्व में तम्बाकू की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों के लिए नुकसान में कमी लाने का दृष्टिकोण (हार्म रिडक्शन) जन स्वास्थ्य की एक सफल रणनीति है। यह एफसीटीसी की मुख्य रणनीति होनी चाहिए। तम्बाकू से होने वाले नुकसान में कमी लाने की रणनीति को डब्लूएचओ का समर्थन न होने के कारण दुनिया में धूम्रपान करने वाले 1.3 बिलियन लोग अपेक्षाकृत ज्यादा स्वस्थ तरीकों से वंचित रह जाते हैं, जिसकी वजह से उन्हें जल्दी मौत का शिकार होने का जोखिम बढ़ जाता है। डब्लूएचओ के इस दृष्टिकोण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है कि कम नुकसान करने वाले विकल्पों को उसी नजर से देखा जाना चाहिए, जिस नजर से अन्य तम्बाकू उत्पादों को देखा जाता है। इसमें जोखिम-अनुपात के आधार पर दृष्टिकोण को नजरंदाज कर दिया गया है।’’

जहाँ डब्लूएचओ एफसीटीसी तम्बाकू नियंत्रण के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया को प्रोत्साहित करने में प्रभावशाली रहा है, वहीं इसमें तम्बाकू के ज्यादा सुरक्षित विकल्पों को शामिल नहीं किया गया है, और जोखिम को कम करने वाले समाधानों को नजरंदाज कर दिया गया है। यह दायित्व देशों के ऊपर है कि वो ई-सिगरेट और नॉवेल निकोटीन विकल्पों को किस प्रकार नियंत्रित करते हैं।

एफसीटीसी नियमों के क्रियान्वयन और धूम्रपान के बीच क्या संबंध है, इसे ठोस रूप से दिखाना चुनौतीपूर्ण है। दूसरी तरफ, यूएस एफडीए ने वैज्ञानिक डेटा के आधार पर सुरक्षित विकल्पों की विशेष श्रेणियों का अनुमोदन किया है। न्यूजीलैंड जैसे देशों में ई-सिगरेट उपलब्ध होने के बाद व्यस्कों के बीच प्रतिदिन धूम्रपान करने की दर 2017-18 में 13.3 प्रतिशत से गिरकर 2022-23 में 6.8 प्रतिशत तक पहुँच गई, यानी 5 सालों में धूम्रपान में 49 प्रतिशत की कमी आई। जापान में धूम्रपान में आई बड़ी कमी का कारण तम्बाकू को जलाने की बजाय उसे हीट करने वाले उत्पादों का बढ़ता उपयोग है। तम्बाकू के नुकसान को कम करने वाले विकल्पों को डब्लूएचओ द्वारा मंजूरी न दिए जाने के कारण धूम्रपान करने वाले 1.3 बिलियन लोग अपेक्षाकृत स्वस्थ विकल्पों से वंचित हो रहे हैं, और उन्हें जल्दी मृत्यु होने का जोखिम बढ़ रहा है।

डब्लूएचओ के उद्देश्यों को विश्व के नागरिकों की इच्छाओं के अनुकूल बनाना आवश्यक है, ताकि विभिन्न देशों में जीवन स्तर में सुधार आ सके। इसके अलावा, इस संगठन को राजनीति एवं अर्थव्यवस्था की समस्याओं को संभालना होगा, ताकि स्वास्थ्य एवं सेहत के लिए वैज्ञानिक आवश्यकताओं के अनुरूप स्वास्थ्य कार्यक्रमों का क्रियान्वयन हो सके।

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