Edited By ,Updated: 12 Oct, 2015 02:19 AM
बीस साल तक पूरी दुनिया जिन दो लड़कों को भाई मानती रही आज उनकी पहचान बदल चुकी है। यह दोनों अब भाई और बहन में तबदील हो चुके हैं।
चंडीगढ़, (अर्चना सेठी): बीस साल तक पूरी दुनिया जिन दो लड़कों को भाई मानती रही आज उनकी पहचान बदल चुकी है। यह दोनों अब भाई और बहन में तबदील हो चुके हैं। सालों पहले दोनों का जन्म लड़के के तौर पर हुआ था। दोनों जीन्स के तौर पर भी वे मेल ही कहलाते थे परंतु हारमोन्स के असंतुलन ने उनके अंगों का विकास प्रकृत्ति के नियमों के विरूद्ध किया। एक बेटे में मेल हारमोन ठीक से विकसित नहीं हो सके जबकि दूसरे भाई में फीमेल हारमोन्स अतिरिक्ति मात्रा में सीक्रीट हो गए। हारमोन्स के असंतुलित स्राव ने दोनों के जीवन को ऐसे मोड़ पर ला दिया था जहां उन्होंने अपनी पहचान को खो दिया था। दोनों खुद को न तो पूरी तरह से पुरुष के तौर पर पा रहे थे और न ही महिला के रुप में विकसित हुए थे। ऐसे में पी.जी.आई के यूरोलॉजी विभाग की सैकस रि-असाइनमेंट सर्जरी ने दोनों को पहचान दी। अतिरिक्त फीमेल हारमोन्स वाले पुरुष को महिला के अंग दे दिए गए जबकि पुरुष हारमोन और अधूरे अंग वाले लड़के के अंग ठीक कर पुरुष बना दिया गया।
एक को मां ने बचपन से पाला लड़की मान, दूजे को लड़के की तरह
विशेषज्ञों की मानें तो यह दोनों भाई पंजाब से संबंधित थे। दोनों जीन्स के आधार पर मेल ही थे परंतु कुछ इनजाइ स की शरीर में गैर मौजूदगी और हारमोन्स के गलत स्राव ने उनकी पहचान को धूमिल कर दिया था। मां ने दोनों बेटे का पालन पोषण भी अलग किस्म से किया था। एक बेटे की परवरिश मां ने बेटी की तरह की। उसे बचपन में लड़की की ही तरह सजाया संवारा जबकि दूसरे बेटे का लालन पोषण लड़के की ही तरह से किया। लड़की की तरह मिली परवरिश के बाद एक बेटे के अंदर लड़की की तरह ही भाव उत्पन्न हुए परंतु उसका शरीर न तो लड़की का था और न ही लड़के का दूसरा बेटा भी अंगों के ठीक से विकसित न होने की वजह से पूरी तरह से पुरुष नहीं कहा जा सकता था। ऐसे में मां पिता दोनों को दो महीने पहले पी.जी.आई के यूरोलॉजी विभाग में सैकस रिअसाइनमेंट सर्जरी के लिए पहुंचे। माता पिता दोनों को पूरी तरह से बेटे के रूप में देखना चाहते थे परंतु दोनों की साइकोलॉजी एक जैसी नहीं थी। एक ने खुद को लड़की के तौर पर स्वीकार कर लिया था और दूसरे ने खुद को लड़का मान लिया था। साइकोलॉजी और एंडोक्रायनोलॉजी टैस्ट को ध्यान में रखते हुए एक को बेटी का शरीर दे दिया गया और दूसरे को पूरी तरह से पुरुष बना दिया गया।
सर्जरी ने बदली प्रकृत्ति की भूल :
यूरोलॉजी विशेषज्ञ डा. संतोष कुमार ने बताया कि जिसे मेल बनाया गया उसके मेल ओरगन पूरी तरह से डिवैल्प नहीं थे। उसके मेल ओरगन का कुछ हिस्सा पेट के अंदर था। उस हिस्से को सर्जरी से बाहर निकाला गया और बाकि ओरगन को ठीक आकार दे दिया गया। जिसे फीमेल बनाया गया था उसका भी कुछ हिस्सा पेट के अंदर था परंतु बाकि के अंग फीमेल के थे। ऐसे में पेट के अंदर मौजूद मेल ओरगन को काट दिया गया और बाहर के अंगों को फीमेल ओरगम का आकार दे दिया गया। दोनों सर्जरी अलग अलग दिन की गई और अब दोनों स्वस्थ हैं और अपनी असल पहचान पा चुके हैं। पी.जी.आई में हर साल 12 के करीब ऐसे पेशैंट्स पहुंचते हैं परंतु सबकी सर्जरी नहीं की जाती।