Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Mar, 2025 03:06 PM

जब दुनिया टैरेस्ट्रियल और सैटेलाइट टेलीकॉम को लेकर चर्चा कर रही है, तब समुद्री टेलीकॉम केबल्स- जो वैश्विक संचार का आधार हैं- अक्सर अनदेखी रह जाती हैं। ये 99% से अधिक इंटरनेट ट्रैफिक को संभालती हैं और वैश्विक व्यापार, वित्त, सरकारी सेवाओं, डिजिटल...
नई दिल्लीः जब दुनिया टैरेस्ट्रियल और सैटेलाइट टेलीकॉम को लेकर चर्चा कर रही है, तब समुद्री टेलीकॉम केबल्स- जो वैश्विक संचार का आधार हैं- अक्सर अनदेखी रह जाती हैं। ये 99% से अधिक इंटरनेट ट्रैफिक को संभालती हैं और वैश्विक व्यापार, वित्त, सरकारी सेवाओं, डिजिटल हेल्थ और शिक्षा के लिए बेहद जरूरी हैं।
500 से अधिक सक्रिय समुद्री केबल सिस्टम
2024 तक, दुनिया भर में 500 से अधिक समुद्री केबल सिस्टम सक्रिय हैं, जो बड़े पैमाने पर डेटा ट्रांसमिशन में अहम भूमिका निभाते हैं। ये केबल्स विभिन्न व्यापारिक बाजारों और डिजिटल सेवाओं को जोड़ने का काम कर रही हैं, जिससे इंटरनेट की तेज और सुचारू उपलब्धता सुनिश्चित होती है।
एक उभरता हुआ वैश्विक केबल ट्रांजिट हब
भारत की भौगोलिक स्थिति इसे वैश्विक समुद्री केबल नेटवर्क का एक रणनीतिक केंद्र बना सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यूरोप, पश्चिम एशिया, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया को जोड़ने के लिए भारत एक महत्वपूर्ण मार्ग बन सकता है।
इस दिशा में कई दूरसंचार कंपनियां और वैश्विक समुद्री केबल कंसोर्टियम भारत में नई केबल्स स्थापित करने की योजना बना रहे हैं। उदाहरण के लिए, Meta (Facebook की पैरेंट कंपनी) ने हाल ही में घोषणा की कि भारत उसके 50,000 किलोमीटर लंबे “Project Waterworth” का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। यह परियोजना अमेरिका, भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और अन्य प्रमुख क्षेत्रों को जोड़ने का काम करेगी।
डिजिटल अर्थव्यवस्था के विस्तार का अवसर
भारत में डेटा की बढ़ती मांग और डिजिटल अर्थव्यवस्था के विस्तार को देखते हुए, समुद्री केबल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना बेहद जरूरी है। इससे बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी, वैश्विक व्यापार अवसरों में वृद्धि, और भारत को एक प्रमुख डिजिटल ट्रांजिट हब के रूप में स्थापित करने का मौका मिलेगा।