Edited By ,Updated: 05 Dec, 2015 10:03 AM
नारदपुराण धर्म ग्रंथों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें भगवान की कई लीलाओं और ज्ञान का वर्णन मिलता है। नारदपुराण में मनुष्य जीवन से जुड़ी हुई कई बातों के बारे में बताया गया है
नारदपुराण धर्म ग्रंथों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें भगवान की कई लीलाओं और ज्ञान का वर्णन मिलता है। नारदपुराण में मनुष्य जीवन से जुड़ी हुई कई बातों के बारे में बताया गया है जिनका ध्यान सभी को रखना ही चाहिए। नारदपुराण में 4 ऐसे कामों के बारे में बताया है, जिनको महापाप माना जाता है। इन कामों को करने से मनुष्य को निश्चित ही कई दुखों का सामना करना पड़ता है।
गुरुपत्नी के साथ संबंध बनाना : गुरु मनुष्य को अच्छे-बुरे का ज्ञान देता है। गुरु को पिता के समान और गुरुपत्नी को माता के समान मानना चाहिए। गुरुपत्नी के साथ संबंध रखने वाले या गुरुपत्नी को बुरी नजर से देखने वाले मनुष्य को ब्रह्म हत्या से भी बड़ा पाप लगता है। गुरुपत्नी के साथ समागम करने वाले मनुष्य के पापों का प्रायश्चित किसी भी तरह संभव नहीं होता है। ऐसे मनुष्य को जयंती नामक नरक में उनके पापों की सजा मिलती है।
चोरी करना : जो मनुष्य दूसरों की वस्तु हड़पने या चुराने का प्रयास करता है, वह महापापी माना जाता है। किसी और की वस्तु को छल से पाने या चुराने में मनुष्य के जीवन के सभी पुण्य कर्म नष्ट हो जाते हैं। चोरी की हुई वस्तु से कभी भी लाभ नहीं मिलता, बल्कि उसकी वजह से नुक्सान का ही सामना करना पड़ता है।
शराब पीना : नारदपुराण में शराब के 3 प्रकार बताए गए हैं—गौड़ी (गुड़ से बनाई गई), पैष्टी (चावल आदि के आटे से बनाई गई), माध्वी (फूलों, अंगूर आदि के रस से बनाई गई)।
स्त्री हो या पुरुष सभी को इन सभी तरह की शराबों से दूर रहना चाहिए। किसी भी प्रकार की शराब पीने से मनुष्य महापाप का भागी बन जाता है।
किसी की हत्या : अगर कोई मनुष्य जान कर या भूल से किसी की हत्या कर देता है, तो यह कर्म महापाप माना जाता है। ऐसा कर्म करने वाले मनुष्य को जीवन भर दुखों का सामना करना पड़ता है। सिर्फ हत्या करने वाला ही नहीं बल्कि ऐसे काम में साथ देने वाले मनुष्य को भी कुंभीपाक नाम के नरक की यातना सहनी पड़ती है। इसलिए मनुष्य को भूलकर भी हत्या जैसे बुरे कर्म में भाग नहीं लेना चाहिए।