जुमला सही या 'रेवड़ी'?

Edited By ,Updated: 24 Dec, 2024 06:49 PM

is the phrase correct or  rewadi

बीजेपी की ओर से नरेंद्र मोदी ने 2014 का लोकसभा चुनाव हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये अकाउंट में डालने के वादे पर जीता था। बाद में अमित शाह ने इसे जुमला करार दिया था।

नई दिल्ली: बीजेपी की ओर से नरेंद्र मोदी ने 2014 का लोकसभा चुनाव हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये अकाउंट में डालने के वादे पर जीता था। बाद में अमित शाह ने इसे जुमला करार दिया था। जुमला कहने वाले अब नया शब्द कह रहे हैं ‘रेवड़ी’। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्लीवालों के लिए जो भी मुफ्त उपलब्ध कराया है उसे ‘रेवड़ी’ कहने की सियासत और ‘जुमला’ सियासत के बीच खुली चुनावी जंग दिख रही है। जनता ‘जुमला’ को नज़अंदाज करती है या ‘रेवड़ी’ का वेलकम- इससे ही दिल्ली के चुनावी नतीजे तय होंगे।

अरविन्द केजरीवाल ने ‘रेवड़ी’ का स्वागत किया है और वे लगातार कह रहे हैं कि उनका दिल्ली मॉडल देश भर में लोकप्रिय हो रहा है चाहे कोई इसे ‘रेवड़ी’ कहे या कुछ और। इसी तर्ज पर हाल में कई घोषणाएं हुई हैं। इनमें से हर महिला के खाते में हर महीने हजार रुपये डालना भी शामिल है जिसे चुनावी जीत के बाद 2100 रुपये करने का वादा है। पार्टी नेताओं का दावा है कि बीजेपी भले ही जुमला कहकर 15 लाख रुपये हर अकाउंट में डालने का वादा भूल गयी हो लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार ‘रेवड़ी’ मानकर डबल जुमले को हकीकत का जामा पहनाने में कामयाब रही है।

जुमला था ‘उनका’ 15 लाख का वादा, केजरीवाल ने दिया दुगुने से ज्यादा !
फ्रीबीज़ या रेवड़ी करार दी गई केजरीवाल की पहल से दिल्ली में आम लोगों को न सिर्फ प्रत्यक्ष नकद लाभ हुआ है बल्कि बचत के रूप में भी उनके पास नकद की रक्षा हुई है। आम आदमी पार्टी का दावा है कि हर दिन, हर महीने और हर साल होती रही ये बचत बीते नौ सालों में प्रति व्यक्ति 30 लाख से ज्यादा हो चुकी है। इसका मतलब है कि नरेंद्र मोदी के जुमले को केजरीवाल मॉडल ने न सिर्फ सच कर दिखाया है बल्कि दोगुने से ज्यादा की राहत दिल्ली वालों को दी है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी इन दिनों ‘रेवड़ी पर चर्चा’ करा रही है। इसमें साफ तौर पर यह बात खुलकर सामने आ रही है कि आम लोगों को बिजली, पानी, अस्पताल, शिक्षा, परिवहन पर मुफ्त योजनाएं बहुत राहत दे रही है और वे इसे जारी रखने के पक्ष में हैं। बिजली, महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा, मुफ्त इलाज जैसे संदर्भो में इस बात को समझने का प्रयास करें कि आम आदमी पार्टी के दावे में कितनी सच्चाई है।

केवल बिजली ने बचाए हर परिवार के 1.26 लाख रुपये
बिजली की बात करें तो दिल्ली में 35 लाख परिवारों को फ्री बिजली मिल रही है। 15 लाख परिवार की बिजली बिल हाफ है। अगर कोई बिजली पर सब्सिडी नहीं लेता है तो 200 यूनिट तक की बिजली उसे 650 रुपये में मिलती है। इसका मतलब यह हुआ कि दिल्ली के लोगों को एक साल में (650X12=) 7800 रुपये की बचत हो रही है। 5 साल में (7800X5 =) 39000 रुपये प्रति परिवार फायदा हुआ है। (X=39000 रुपये प्रति घर बचत) इसके अलावा फिक्स्ड बिजली के चार्ज में 2 किलो वाट की क्षमता वाले प्रति उपभोक्ता को 244 रुपये तक की बचत हर महीने हुई है। यानी बीते 5 साल में यह बचत 14,640 रुपये हुई है। जिन घरों में 3 किलो वाट या उससे ज्यादा बिजली की क्षमता ले रखी है उसकी बचत और भी ज्यादा है। इस तरह बीते पांच साल में सिर्फ बिजली मद में दिल्ली वालों को (39000+14,640=) 53,640 रुपये की बचत हर घर को हुई है। आर्थिक सर्वे 2024 के मुताबिक बीते पांच साल में दिल्ली सरकार ने बिजली सब्सिडी पर 17,536.43 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसमें 2024-25 के अनुमानित सब्सिडी भी शामिल है। 

400 यूनिट बिजली खपत करने पर तुलनात्मक बिजली बिल पर एक नज़र

दिल्ली                 980 रुपये
अहमदाबाद         2,044 रुपये
गुरुग्राम               2,300 रुपये
लखनऊ              2900 रुपये
भोपाल                3800 रुपये
मुंबई                  4,460 रुपये

मुंबई के मुकाबले दिल्ली में हर परिवार को 87 हजार की राहत
दिल्ली में 400 यूनिट की बिजली खर्च करने पर 980 रुपये खर्च होते हैं जबकि मुंबई में यह खर्च 4,460 रुपये है। यानी दिल्ली की सरकार दिल्ली वालों को 3480 रुपये के बोझ से बचा रही है। यह बचत सालाना 17, 400 रुपये और पांच साल में 87,000 रुपये प्रति परिवार होता है। (Y=87,000 रुपये प्रति घर बचत) अगर दिल्ली सरकार की सब्सिडी और दूसरे महानगर में बिजली पर लूट मचाने की छूट से राहत को जोड़ें तो (X+Y =) 1,26,000 रुपये प्रति परिवार सिर्फ बिजली मद में आम आदमी की बचत हुई है। 

फ्री बस यात्रा से महिलाओं को साल में करीब 43,200 रुपये की राहत
महिलाओं के लिए बस फ्री करने से भी आधी आबादी लाभान्वित हुई है। महरौली से चांदनी चौक जाने वाली एक महिला अपना अनुभव बताती हैं कि आने-जाने में प्रति दिन 120 रुपये की बचत होती है। इस तरह फ्री बस सेवा से उसे 3600 रुपये की बचत हर महीने हो जाती है। इस बचत को वो अपने परिवार पर खर्च करती हैं। साल में यह बचत 43,200 रुपये और पांच साल में 2,16,000 रुपये हो जाती है। दिल्ली सरकार के आंकड़े के मुताबिक बीते 5 साल में 150 करोड़ महिलाओँ ने बस पर मुफ्त यात्रा की है। अगर वह मेट्रो आदि से न चलकर मुफ्त में बस यात्रा से एक बार में 60 रुपये भी बचाती है तो कुल बचत का योग 9000 करोड़ रुपये हो जाता है। 

मुफ्त इलाज से लाखों की बचत
फ्री सर्जरी योजना से न सिर्फ दिल्ली में मुफ्त सर्जरी हो रही है बल्कि निजी अस्पतालों में रेफर करने पर वहां भी मुफ्त में सर्जरी की सुविधा दिल्लीवासियों को प्राप्त हो रही है। कहने की जरूरत नही कि सर्जरी के साधारण से साधारण मामले में भी बचत डेढ़ लाख से रुपये से कम नहीं होती। मोहल्ला क्लीनिक और ओपीडी से लाभ को जोड़ें तो दिल्ली के हर व्यक्ति को बीते दस साल में हुई बचत लाखों रुपये की हो जाती है। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट पर नज़र डालें तो 2015-16 में जहां 4,787 करोड़ रुपये खर्च होते थे वही अब बढ़कर 8,685 करोड़ रुपये हो गया है। यानी आप सरकार में दिल्ली की सेहत पर बीते 9 साल में दुगुना खर्च हुआ है। यह खर्च दिल्ली वालों की बचत है क्योंकि उन्हें मुफ्त इलाज मिलता है। दिल्ली में 1 करोड़ रुपये तक का इलाज मुफ्त हो सकता है। 

मुफ्त शिक्षा, छात्रवृत्ति, प्रोत्साहन, फ्री यूनीफॉर्म, लोन से भी लाखों का फायदा
दिल्ली में मुफ्त शिक्षा ने हर घर में दो बच्चों पर खर्च से सालाना हजारों रुपये की राहत दी है जो दस साल में लाखों में बदल जाती है। तकनीकी शिक्षा के लिए मदद, होनहार छात्रों को छात्रवृत्ति, प्रोत्साहन और लोन की सुविधा देकर भी दिल्ली सरकार दिल्ली में मुफ्त शिक्षा ने हर घर में दो बच्चों पर खर्च से सालाना हजारों रुपये की राहत दी है जो दस साल में लाखों में बदल जाती है। तकनीकी शिक्षा के लिए मदद, होनहार छात्रों को छात्रवृत्ति, प्रोत्साहन और लोन की सुविधा देकर भी दिल्ली सरकार ने आम लोगों के पॉकेट खाली होने से उन्हें बचाया है। स्कूली बच्चों को फ्री यूनीफॉर्म देना भी आकर्षक योजना है। ऐसी बचत भी परिवार को राहत देती है। 

मुफ्त पानी से 14 लाख लोगों को हजारों का फायदा
दिल्ली में 20 हजार लीटर मुफ्त पानी का फायदा 14 लाख परिवार उठा रहे हैं। इन्हें सालाना हजारों रुपये की बचत हो रही है और 2015 के बाद से हर परिवार को कम से कम 25-30 हजार रुपये की बचत हुई है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों से तुलना करें तो दिल्ली के लोगों को पानी पर खर्च करने से बचाया गया है। यह बड़ी राहत है। आम लोगों में ‘रेवड़ी’ बांटने में आम आदमी पार्टी अब होड़ करने लगी है और अपने स्पर्धी पार्टियों को चुनौती दे रही है कि वह भी उसकी राह चले। यह भी सच है कि रेवड़ी बोलकर आलोचना करने वाली पार्टियां खुद जनता को लुभाने में आगे निकलने की कोशिश करती रही हैं।

मगर, अरविन्द केजरीवाल का दिल्ली मॉडल जनता को सुविधाएं देने का है। अब महिलाओं के खाते में हजार रुपये डालने की योजना जो चुनाव के बाद 2100 रुपये महीना करने के वादे से भी जुड़ा है, पर सबकी नज़र है। अगर ये योजना परवान चढ़ती है तो हर साल हर महिला को 25 हजार रुपये मिलने लगेंगे। आम आदमी पार्टी का मानना है कि बीजेपी ने तो अपने वादे को जुमला करार दिया लेकिन जो असंभव बातें थीं उसे आम आदमी पार्टी ने संभव कर दिखाया है। एक ऐसी राजनीति शुरू हुई है जो आम लोगों को राहत देने के लिए और सही मायने में सरकार का मतलब समझाने के लिए है। इस दावे की परख दिल्ली विधानसभा चुनाव में होगी। अगर जनता को ‘रेवड़ी’ रास आयी तो यही ‘रेवड़ी’ विरोध करने वालों को मिर्ची प्रतीत होगी। प्रेम कुमार, वरिष्ठ पत्रकार 

Disclaimer: यह लेखक के अपने निजी विचार हैं। 

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