12 Jyotirlinga List: 12 ज्योतिर्लिंग से जुड़ी Information जानने के लिए यहां क्लिक करें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Jul, 2024 09:57 AM

12 jyotirlinga list

जो व्यक्ति ज्योतिर्लिंग का ध्यान लगाता है, उसके जीवन से सारे दुःख चले जाते हैं। ज्योतिर्लिंग का एक मात्र दर्शन ही व्यक्ति का जीवन सफल बना देता है। वेद व पुराणों में ज्योतिर्लिंग

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Jyotirling Darshan: जो व्यक्ति ज्योतिर्लिंग का ध्यान लगाता है, उसके जीवन से सारे दुःख चले जाते हैं। ज्योतिर्लिंग का एक मात्र दर्शन ही व्यक्ति का जीवन सफल बना देता है। वेद व पुराणों में ज्योतिर्लिंग को बहुत ही ऊंचा स्थान दिया जाता है। ज्योति का अर्थ है प्रकाश और र्लिंगम जो महादेव का प्रतिनिधित्व है। कहते हैं कि ज्योतिर्लिंग में स्वयं महादेव वास करते हैं। महादेव की महिमा अपरंपार है। अगर आप भी 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करके महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

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Names of twelve Jyotirlingas बारह ज्योतिर्लिंग के नाम  

Somnath Jyotirlinga सोमनाथ ज्योतिर्लिंग: महादेव का पहला पावन ज्योतिर्लिंग सोमनाथ गुजरात राज्य के सौराष्ट्र में स्थित है। कहते हैं कि इसी जगह पर चंद्र देव ने महादेव की पूजा-अर्चना करके दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्ति पाई थी। इसलिए भगवान शिव को सोमेश्वर भी कहा जाता है।  इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। कुछ किवदिंतियों के अनुसार इसी जगह पर ही श्री कृष्ण ने देह त्याग किया था। इस वजह से इसकी मान्यता और भी बढ़ जाती है। इस स्थान पर बड़ा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है।

Mallikarjuna Jyotirlinga मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश की कृष्णा नदी पर मौजूद श्रीशैल नामक पर्वत पर स्थित है। मल्लिका का अर्थ है माता पार्वती और अर्जुन का अर्थ है शिव शंभु। इस जगह पर भोलेनाथ की मल्लिकार्जुन के रूप में पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसकी पूजा करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान फल मिलता है। ये कैलाश पर्वत के समान ही महत्वपूर्ण माना गया है। स्कंद पुराण में भी इसका वर्णन आता है। स्वामी कार्तिकेय किसी कारणवश माता-पिता से रुष्ट हो गए और क्रौंच पर्वत पर रहने लगे। भगवान शिव उस क्रौंच पर्वत पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए जिसे मल्लिकार्जुन कहा जाता है।

Mahakaleshwar Jyotirlinga महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान शिव का तीसरा महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। यह एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जो दक्षिण दिशा की ओर है इसलिए इसे दक्षिणमुखी महाकालेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। किवदंतियों के अनुसार यह ज्योतिर्लिंग किसी ने स्थापित नहीं किया है, इसकी स्थापना अपने आप हुई है। इसी मंदिर के पास एक कुंड भी है। कहते हैं इस कुंड की स्थापना हनुमान जी के द्वारा की गई थी और इस कुंड में स्नान करने से अनेकों तीर्थ स्थलों में स्नान करने के समान पुण्य प्राप्त होता है।

Omkareshwar Jyotirlinga ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: भगवान शिव का चौथा ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के इंदौर के पास में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का निर्माण नर्मदा नदी से अपने आप ही हुआ था। पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है इसलिए इसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कहते हैं। इस ज्योतिर्लिंग के चारों और पानी भरा रहता है। इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति चाहे सभी तीर्थ यात्रा कर ले लेकिन अगर वो ओंकारेश्वर आकर किए गए तीर्थों का जल यहां नहीं चढ़ाता उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं।

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Kedarnath Jyotirling केदारनाथ ज्योतिर्लिंग: केदारनाथ का मंदिर उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। भगवान शिव को ये मंदिर कैलाश पर्वत के समान ही प्रिय है। इस मंदिर का नाम चार धाम और पंच केदार में भी सम्मिलित है। कहा जाता है जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा सफल नहीं होती।

Bhimashankar Jyotirlinga भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: भगवान शिव के ये मंदिर महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग काफी मोटा है इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है, जो व्यक्ति सूर्य निकलने से पहले इस मंदिर के दर्शन करता है उसके सात जन्मों के पाप कट जाते हैं। इसी जगह पर महादेव ने कुम्भकर्ण के पुत्र भीमा के साथ अनेक राक्षसों का वध किया था।

Kashi Vishwanath Jyotirlinga काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग: काशी विश्वनाथ उत्तर प्रदेश के काशी में स्थित है। यह मंदिर विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है ब्रह्मांड का शासक। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता क्योंकि भगवान शिव खुद इसकी रक्षा करते हैं। ऐसा माना जाता है सूर्य की पहली किरण इस मंदिर पर पड़ती है।

Trimbakeshwar Jyotirlinga त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग: यह मंदिर महाराष्ट्र त्र्यम्बक गांव में स्थित है। इस पर्वत से ही गोदावरी नदी की शुरुआत होती है। त्र्यम्बकेश्वर मंदिर तीन पहाड़ियों के बीच स्थित है। कहते हैं कि ऋषि गौतम और गोदावरी नदी के कारण भगवान शिव को ज्योतिर्लिंग रूप में स्थापित होना पड़ा। इस मंदिर में एक कुंड भी है, जिसे अमृतवष्र्णी कहा जाता है।

Vaidyanath Jyotirlinga वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग: वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। इस जगह को देवताओं का निवास स्थान भी कहते हैं। यहां पर आने वाले हर व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण हो जाती है इसलिए इसे कामना लिंग भी कहते हैं। रावण वैद्यनाथ ज्योतिलिंग की पूजा के लिए रोज इस स्थान पर आता था। श्रावण के महीने में इस जगह पर बहुत बड़ा मेला लगता है।

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Nageshwar Jyotirlinga नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: यह मंदिर गुजरात के जिले जामनगर में द्वारका में स्थित है। हिन्दू धर्म के अनुसार नागेश्वर अर्थात नागों का ईश्वर होता है। इस मंदिर में अभिषेक करवाने के लिए पुरुष केवल धोती पहन कर प्रवेश कर सकते हैं। इस ज्योतिर्लिंग के पीछे माता पार्वती की मूर्ति स्थापित है। यहां पर आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है।

Rameshwaram Jyotirlinga रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग: यह मंदिर तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना भगवान नारायण के अवतार भगवान राम ने की थी इसलिए इसका नाम रामेश्वरम पड़ा। यह हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर से घिरा हुआ एक सुंदर शंख आकार द्वीप है। बहुत दूर-दूर से लोग इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं।

Grishneshwar Jyotirlinga घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग: घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है। यह भगवान शिव का आखिरी ज्योतिर्लिंग है। यह मंदिर भारत में सबसे छोटा ज्योतिर्लिंग मंदिर है। इसकी स्थापना अहिल्याबाई होल्कर ने कराई थी और इसे घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।

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