7th day of Navratri: पश्चिम दिशा में करें मां कालरात्रि का ध्यान, पूरी होगी हर आस

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Oct, 2022 06:48 AM

7th day of navratri

नवरात्रि की सप्तमी तिथि नवदुर्गा में से सबसे भयंकर रूप देवी कालरात्रि को समर्पित है। सप्तमी तिथि पर इन देवी का पूजन किया जाता है। दुष्टों-असुरों और नकारात्मक ऊर्जा का संहार करने वाली इन देवी के आगमन से

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Navratri 2022 Day 7: नवरात्रि की सप्तमी तिथि नवदुर्गा में से सबसे भयंकर रूप देवी कालरात्रि को समर्पित है। सप्तमी तिथि पर इन देवी का पूजन किया जाता है। दुष्टों-असुरों और नकारात्मक ऊर्जा का संहार करने वाली इन देवी के आगमन से शत्रु भय से कांप जाते हैं। देवी का वर्ण घोर काला होने के कारण इन्हें कालरात्रि के नाम से पूजा जाता है। देवी गले में विद्युत की माला, हाथ में खडग लिए हुए गर्दभ की सवारी करती है। देवी के रूप से काल भी कटता है। देवी का यह रूप अपने भक्तों के लिए अत्यंत करुणामयी है। कालरात्रि माता का पूजन करने से भक्तों पर किसी भी प्रकार का संकट, भूत बाधा, शत्रु भय एवं नकारात्मकता का प्रभाव नहीं रहता। देवी को रात्रि का पहर समर्पित है इसलिए रात के समय इनका पूजन और साधना का विशेष लाभ मिलता है। रात्रि के समय देवी के मंत्रों का उच्चारण करते हुए पश्चिम दिशा में बैठ कर उनके विग्रह का ध्यान करें एवं सात्विक भोजन का भोग लगाएं।  

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Navratri Maa Kalratri Mantra मंत्र-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ऊँ कालरात्रि दैव्ये नम:। 

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Maha Saptami 2022: देवी कालरात्रि के पूजन का उत्तम समय प्रातः 4:00 बजे से लेकर 6:00 बजे तक के बीच का होता है। सुबह स्नान इत्यादि से निर्मित होकर देवी को सरसों के तेल का अभिषेक करने से शत्रु शमन होते हैं। 

देवी कालरात्रि को गुड़ से बने भोजन का भोग अति प्रिय है। इससे घर में सुख व शांति की प्राप्ति होती है।

देवी का पूजन करने से शनि ग्रह संबंधी दोष भी शांत होते हैं, इनके विग्रह का ध्यान करने वाले को शनि महाराज की कृपा भी प्राप्त होती है।
 
देवी को चरण पादुका अर्पण करने से जीवन में आने वाले संकटों से निदान मिलता है। 

मां कालरात्रि के विशेष पूजन में उन्हें चांदी से बने नेत्र अर्पण करने से घर-परिवार पर सुरक्षा व उनकी अनुकंपा बनी रहती है।

नीलम
8847472411 

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