Aatma Aur Punarjanam: जानें, मरने के बाद किस रूप में होगा आपका पुनर्जन्म

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Sep, 2022 09:41 AM

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यह एक बहुत ही रोचक प्रश्न है कि सभी जानना चाहते हैं कि मरने के बाद हमारा जन्म होगा या नहीं होगा अगर होगा तो क्या हम मनुष्य ही बनेंगे या किसी अन्य योनी में जन्म लेंगे। इस प्रश्न का उत्तर जानने से पहले हमें

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Do you believe in life after death: यह एक बहुत ही रोचक प्रश्न है कि सभी जानना चाहते हैं कि मरने के बाद हमारा जन्म होगा या नहीं होगा अगर होगा तो क्या हम मनुष्य ही बनेंगे या किसी अन्य योनी में जन्म लेंगे। इस प्रश्न का उत्तर जानने से पहले हमें प्रकृति के पुनर्जन्म को अध्ययन करना चाहिए  क्योंकि हम प्रकृति का एक हिस्सा है। प्रकृति में कोई भी चीज़ कभी भी हमेशा के लिए समाप्त नहीं होती है। उसकी हमेशा पुनरावृति होती रहती है जैसे पेड़-पौधे, पर्वत-ज्वालामुखी, पशु-पक्षी, कीट-पतंगे, सूर्य-चन्द्र, आग-पानी, सर्दी-गर्मी, बारिश सूखा, पूर्णिमा और अमावस्या इनकी हमेशा पुनरावृति होती रहती है। ये मरते हैं और जन्म लेते हैं। इसी प्रकार मनुष्य जन्म लेता है और मृत्यु को प्राप्त होता है और यह भी सत्य कि मनुष्य के हर जन्म का रिकॉर्ड उसके साथ हर जन्म की योनि में उसके चित के साथ संचित होता है। मनुष्य उसको देख नहीं पाता है। उसके लिए साधन की आवश्यकता होती है।

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 What happens immediately after death: यह एक सार्वभौमिक सत्य है। जो इस पुनर्जन्म के सिद्धांत को नहीं मानता है वो इस दुनिया का सबसे मूर्ख प्राणी होता है। अब प्रश्न आता है कि मरने के बाद हमें कौन सी योनि मिलेगी। इस प्रश्न से मनुष्य बहुत डर जाता है कि अब क्या होगा ? सार्वभौमिक सत्य है कि आपको अपने कर्म के अनुसार जन्म तो लेना ही पड़ेगा। पूरे जीवन में अपने जैसे बुरे या अच्छे कर्म किए होते हैं। उसी के अनुसार आत्मा मरते समय अपना रास्ता बना लेती है। अगर मरते समय आत्मा प्रसन्न रहती है तो अच्छे रास्ते से बाहर जाएगी और दुखी रहती है तो शरीर के बुरे रास्ते से बाहर जाएगी । हमारे शरीर में 9 द्वार (2 आंखें , 2 कान, 2 नाक के स्वर, 1 मुख, 1 लिंग या योनि और 1 गुदा ) होते हैं । जैसा आपका कर्म होता है वैसा ही आत्मा का शरीर से जाने का रास्ता होता है।

अगर आपके बहुत बुरे कर्म हैं तो मरते समय आत्मा का रास्ता गुदा और लिंग से होता है और अगला जन्म कीट पतंगे, मल मूत्र गोबर में रहने वाले कीड़े, खटमल, मच्छर, मक्खी और कॉकरोच जैसे 24 घंटे में मरने वाले और पैदा होने वाली योनियों का जन्म मिलता है। जिनकी आत्मा का रास्ता मुख से होकर जाता है। उन लोगों का जन्म विषेले कीड़े, सांप और बिच्छू का जन्म मिलता है। जब आत्मा का रास्ता नाक से होकर जाता है तो नाक के दो स्वर होते है 1-चंद्र स्वर 2 सूर्य स्वर। चन्द्र स्वर से जाने वाले रास्ते से मनुष्य का तमोगुणी जन्म मिलता है और सूर्य स्वर से जाने वाले रास्ते से सतोगुणी जन्म मिलता है।

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जिनका आत्मा कानों से जाती है इन लोगों को अंतरिक्ष में विचरण करने वाले प्राणी का जन्म मिलता है । जिनका आत्मा नेत्रों से जाता है वो सभी जल के प्राणी के रूप में जन्म लेते हैं और जिनका आत्मा ब्रह्मरंध्र से जाता है तो उनका जन्म नहीं होता है वो लोग मोक्ष को प्राप्त हो जाते हैं और ब्रह्मरंध से वो ही आत्मा जाती है, जिनका ब्रह्मरंध्र चक्र खुला होता है ।

मनुष्य के उत्तम कोटि के कर्म ही उसको उत्तम कोटि की योनि का मार्ग प्रशस्त करते हैं। बहुत से संप्रदाय व धर्म पुनर्जन्म को नहीं मानते हैं जोकि गलत है और उनके धार्मिक लोगों का अध्ययन संकुचित मात्रा में रहा है। सैकड़ों पुनर्जन्म के उदाहरण यूरोपीय देशों में और इस्लामिक देशों में पाए जाते हैं लेकिन धर्म के कट्टरतावाद के कारण वो उनको स्वीकार नहीं करते हैं।

डॉ एच एस रावत (सनातन धर्म चिंतक)

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