Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Dec, 2021 09:34 AM
![adalaj ni vav](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2021_5image_08_43_551048425adalajmain-ll.jpg)
गुजरात ही वह राज्य है जहां से बावड़ी निर्माण की परम्परा की शुरूआत हुई। अडालज की वाव भी गुजरात में ही स्थित है जो यहां के मुख्य आकर्षण केंद्रों में से एक है और भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
The Adalaj Stepwell: गुजरात ही वह राज्य है जहां से बावड़ी निर्माण की परम्परा की शुरूआत हुई। अडालज की वाव भी गुजरात में ही स्थित है जो यहां के मुख्य आकर्षण केंद्रों में से एक है और भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित है।
अष्टभुजाकार बावड़ी
बावड़ी अष्टभुजाकार है जिसका निर्माण भवन के रूप में किया गया है। यह उस हिन्दू-इस्लामिक कला शिल्प का अद्भुत उदाहरण है जिसने मुस्लिम शासन के दौरान अपनी जड़ें जमाईं। वाव के अंदर का तापमान सदैव बाहर के तापमान से 6 डिग्री कम रहता है।
![PunjabKesari Adalaj Ni Vav](https://static.punjabkesari.in/multimedia/08_46_190330309adalaj-ni-vav-5.jpg)
इस बावड़ी का निर्माण संवत 1555 में रानी रुदाबाई द्वारा करवाया गया था। रुदाबाई वाघेला वंश के राजा राणा वीर सिंह की पत्नी थी। राणा वीर सिंह ने अपनी प्रजा की सुविधा के लिए इस बावड़ी का निर्माण शुरू करवाया था किन्तु बीच में ही सुल्तान बेघारा ने राणा वीर सिंह के राज्य पर हमला कर दिया और इस युद्ध में राणा वीर सिंह की मृत्यु हो गई। सुल्तान बेघारा ने रानी के सौंदर्य पर मोहित होकर शादी का प्रस्ताव भेजा। रानी ने उसको कूटनीति में फंसाकर उनके सामने बावड़ी निर्माण पूर्ण कराने की शर्त रख दी। सुल्तान ने बावड़ी निर्माण पूरा कराया परंतु रानी ने इसी बावड़ी में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। भले ही इसका इतिहास दुखद व भयावह रहा हो किन्तु इस बावड़ी का जल प्रबंधन में अतुलनीय योगदान रहा है।
![PunjabKesari Adalaj Ni Vav](https://static.punjabkesari.in/multimedia/08_46_302054897adalaj-ni-vav-6.jpg)
इस बावड़ी के पास ही उन मजदूरों की कब्र बनी है जिनकी हत्या सुल्तान ने बावड़ी निर्माण के बाद कर दी थी। सुल्तान नहीं चाहता था कि ऐसी अद्भुत बावड़ी का निर्माण कोई और करा पाए। 75 मीटर लम्बी इस बावड़ी में 5 तल हैं जिसमें से सैलानियों के लिए केवल पहला तल ही खुला है।
![PunjabKesari Adalaj Ni Vav](https://static.punjabkesari.in/multimedia/08_46_436251896adalaj-ni-vav-7.jpg)
(‘जल चर्चा’ से साभार)
![PunjabKesari Adalaj Ni Vav](https://static.punjabkesari.in/multimedia/08_46_060203239adalaj-ni-vav-3.jpg)