Edited By Sarita Thapa,Updated: 23 Feb, 2025 09:23 AM
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Aghori Temples: भारत में कई तरह के संत मिलते हैं, लेकिन उनमें से अघोरी सबसे अलग होते हैं। अघोरी साधना भारत में तंत्र साधना की एक रहस्यमयी और कठोर धारा मानी जाती है। अघोर की उत्पत्ति भगवान शिव दत्तात्रेय से मानी जाती है। अघोर की शुरुआती उत्पत्ति काशी...
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Aghori Temples: भारत में कई तरह के संत मिलते हैं, लेकिन उनमें से अघोरी सबसे अलग होते हैं। अघोरी साधना भारत में तंत्र साधना की एक रहस्यमयी और कठोर धारा मानी जाती है। अघोर की उत्पत्ति भगवान शिव दत्तात्रेय से मानी जाती है। अघोर की शुरुआती उत्पत्ति काशी से मानी जाती है। लेकिन समय के साथ इनके पीठों का विस्तार जगह-जगह पर हो चुका है। अब अघोरी की जगहों पर अपनी तंत्र साधना करते हैं। माना जाता है कि यह साधना अक्सर श्मशान घाटों और सूनसान स्थानों पर की जाती है। तो आइए जानते हैं कि अघोरी साधना के प्रमुख स्थानों के बारे में-
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काशी
वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास मणिकर्णिका घाट अघोरी साधुओं के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। अघोरी साधु यहां शव साधना और तंत्र क्रियाएं करते हैं। कहा जाता है कि अघोरी यहां पर शवों को खाते हैं और नर खोपड़ी में पानी पीते हैं।
चित्रकूट
चित्रकूट को अघोर पंथ के भगवान दत्तात्रेया का जन्मस्थली है। इसलिए यह स्थान अघोरी साधना के लिए बहुत पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि मां अनुसुइया का आश्रम और सिद्ध अघोराचार्य शरभंग का आश्रम भी है। अघोरियों के लिए यहीं पर स्फटिक शिला है, जो उनके लिए काफी खास है।
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काली मठ
हिमालय के तली में गुप्तकाशी से ऊपर एक कालीमठ नाम की जगह है। यहां से 5,000 फीट ऊपर एक पहाड़ पर एक चट्टान है, जहां अघोरी लोग रहते हैं। माना जाता है कि कालीमठ में भगवान राम ने अपना खडग स्थापित किया था।
विंध्याचल
विंध्याचल में मां विंध्यवासिनी माता का मंदिर है। माना जाता है कि महिषासुर वध के बाद इस मंदिर में मां दुर्गा आराम करने के लिए रूकी थीं। यहीं पर भगवान राम माता सीता के साथ आए थे। यहीं कारण है कि अघोरी साधु इस स्थान पर साधना करते हैं।
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