Agrasen ki Baoli: उग्रसेन की बावली का होगा कायाकल्प, अपने ऐतिहासिक अंदाज में दिखेगी

Edited By Prachi Sharma,Updated: 28 Dec, 2024 11:15 AM

agrasen ki baoli

ऐतिहासिक उग्रसेन की बावली फिर अपने पुराने ऐतिहासिक रूप व अंदाज में देखने को मिलेगी। भारतीय पुरातत्व संरक्षण (ए.एस.आई.) योजनाबद्ध तरीके से इस बावली का पुनरुद्धार कर इसका कायाकल्प करने के कार्य में लग गया है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Agrasen ki Baoli: ऐतिहासिक उग्रसेन की बावली फिर अपने पुराने ऐतिहासिक रूप व अंदाज में देखने को मिलेगी। भारतीय पुरातत्व संरक्षण (ए.एस.आई.) योजनाबद्ध तरीके से इस बावली का पुनरुद्धार कर इसका कायाकल्प करने के कार्य में लग गया है। लुटियंस दिल्ली की धड़कन कनॉट प्लेस में बाराखंभा रोड की कुछ दूरी पर स्थित यह बावली ए.एस.आई. की ओर से संरक्षित स्मारक है।

बदलते मौसम, बारिश, भूकंप व समय के साथ यह कई जगहों से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। लेकिन अब इसे नया जीवन देने और इसकी एतिहासिकता बरकरार रखने के लिए इसकी सीढ़ियों मेहराबों में नए पत्थर लगाए जाएंगे। इसके संरक्षण के लिए अन्य कई कार्य किए जाएंगे। ऐतिहासिक उग्रसेन की बावली में बदबूदार पानी की डिसिङ्क्षल्टग होगी, पानी साफ  किया जाएगा। यहां आने वाले पर्यटक साफ पानी में इसकी सीढ़ियों की सुंदरता को देख सकेंगे।

यही नहीं, क्षतिग्रस्त हो चुकी सीढिय़ों व मेहराबों को भी संरक्षित करने की योजना है। सुरक्षा को देखते हुए यहां लोहे की ग्रिल भी लगाई जाएंगी। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए लाइटिंग की व्यवस्था भी होगी। ऐसे में यह अपने पुराने अंदाज में देसी-विदेशी पर्यटकों को लुभाएगी। इस स्मारक की मुख्य विशेषता उत्तर में स्थित गहरे कुएं की ओर लंबी कतारबद्ध सीढियां हैं। इन सीढ़ियों के दोनों ओर मोटी दीवार की मेहराब युक्त गलियारों की शृंखला है। अनगढ़ व गढ़े हुए पत्थरों से निर्मित यह दिल्ली में बेहतरीन बावलियों में से एक है। इसकी स्थापत्य शैली 15वीं-16वीं सदी में उत्तर कालीन तुगलक और लोदी काल से मेल खाती है।

PunjabKesari   Agrasen ki Baoli

विशेषज्ञ बताते हैं कि इस बावली का निर्माण मौसम के परिवर्तन के कारण जल की अर्पित में आई अनियमितता को नियंत्रण करने और जल के संग्रहण के लिए किया गया था।

जल्द शुरू होगा संरक्षित करने का कार्य
दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) का चौथा चरण लागू है। इससे संरक्षण कार्य भी प्रभावित हुआ है। अब ग्रेप चार हटेगा तो फिर से संरक्षण कार्य शुरू होंगे। इसमें शीश गुंबद, शीश महल, कुतुब मीनार सहित कई स्मारक शामिल हैं। उग्रसेन की बावली में संरक्षण कार्य के लिए निविदा जारी की जाएगी। इसमें लगने वाला लाल पत्थर और कारीगर राजस्थान से मंगवाए जाएंगे। ए.एस.आई. अधिकारियों का भी कहना है कि उग्रसेन की बावली के संरक्षण कार्य को लेकर योजना बना ली गई है। इसका कार्य जल्द शुरू होगा।

PunjabKesari   Agrasen ki Baoli

धरती का पाताल लोक भी कही जाती है
इस बावली को धरती का पाताल लोक भी कहा जाता है। हालांकि इसकी कोई प्रमाणिकता नहीं है। इतिहासकारों के मुताबिक मान्यता है कि महाभारत काल में अग्रोहा के उग्रसेन नामक राजा ने इसे तैयार करवाया था। बाद में ऐतिहासिक तौर पर जो संदर्भ मिलता है, उसमें 14वीं शताब्दी में इसे अग्रवाल समुदाय के लोगों द्वारा फिर से बनाया गया, जो राजा उग्रसेन के वंशज माने जाते थे। इस कारण इसे अग्रसेनी बावली भी कहा जाने लगा। दिल्ली की यह बावली मध्यकालीन भारत की वास्तुकला और इंजीनियरिंग कौशल का एक शानदार उदाहरण है। इतिहासकारों की मानें तो यह बावली गर्मी से राहत दिलाने के लिए बनाई गई थी। यह बावली, प्रागैतिहासिक भारत की बावलियों और जलाशयों से प्रेरित है। इसकी लंबाई 60 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है। 106 सीढिय़ां आपको जल स्तर तक ले जाती हैं। कहा जाता है कि जैसे-जैसे आप नीचे जाते जाएंगे, तापमान घटता जाता है।

बावली से जुड़ी प्रचलित भूतिया कहानी
यह जगह भूतिया कहानियों के लिए भी प्रसिद्ध है। अदृश्य शक्तियों के साथ-साथ यहां के काले रंग के पानी को लेकर भी कई तरह की कहानियां सुनने को मिलती हैं। ऐसा कहा जाता है कि बावली के अंदर काला पानी लोगों का दिमाग घुमा देता है। नीचे जाने पर रहस्यमय तरीके से लोगों की कतिथ मौत भी हुई है। हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं करता। प्रेमी जोड़ों की मानें तो उग्रसेन बावली को लेकर अफवाह है कि यहां आने के बाद रहस्यमयी काला पानी देखकर लोग कूदने और अपनी जान देने के लिए मजबूर हो जाते हैं, लेकिन उन्हें तो ऐसा नहीं लगा। उनका कहना है कि नीचे जाने पर डर जरूर लगता है। लगता है कि कोई अदृश्य शक्ति है, जो उन्हें अपनी ओर खींच रही है।

PunjabKesari   Agrasen ki Baoli





 

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!