Edited By Prachi Sharma,Updated: 18 Oct, 2024 04:00 AM
हिन्दू धर्म में बहुत से त्यौहार मनाए जाते हैं और उन्हीं में से एक है अहोई अष्टमी। इस दिन विशेष रूप से महिलाएं अपने पुत्रों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखती हैं
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Ahoi Ashtami 2024: हिन्दू धर्म में बहुत से त्यौहार मनाए जाते हैं और उन्हीं में से एक है अहोई अष्टमी। इस दिन विशेष रूप से महिलाएं अपने पुत्रों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखती हैं। अहोई अष्टमी का पर्व खासकर उत्तर भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। अहोई अष्टमी का पर्व मातृत्व की महत्ता और पुत्र की सुरक्षा के लिए समर्पित है। इस दिन महिलाएं दिनभर उपवास करती हैं और रात को चांद को देखकर अपना उपवास खोलती हैं। माना जाता है कि इस दिन की पूजा से मां अहोई अपने भक्तों को सुख, शांति और संतानों की रक्षा करती हैं। अहोई अष्टमी का पर्व माता पार्वती के सम्मान में भी मनाया जाता है जो पुत्रियों और माताओं के लिए विशेष महत्व रखती हैं। इस दिन माताएं अपने बच्चों की भलाई और स्वास्थ्य की कामना करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान के जीवन में कठिनाइयाँ दूर होती हैं। इसके अलावा यदि वैवाहिक जीवन में किसी तरह की परेशानी के सामना करना पड़ रहा है तो अहोई अष्टमी के दिन इसका पाठ अवश्य करना चाहिए।
पार्वती पंचक स्तोत्र का करें पाठ
''जानकी उवाच''
शक्तिस्वरूपे सर्वेषां सर्वाधारे गुणाश्रये।
सदा शंकरयुक्ते च पतिं देहि नमोस्तु ते।।
सृष्टिस्थित्यन्त रूपेण सृष्टिस्थित्यन्त रूपिणी।
सृष्टिस्थियन्त बीजानां बीजरूपे नमोस्तु ते।।
हे गौरि पतिमर्मज्ञे पतिव्रतपरायणे।
पतिव्रते पतिरते पतिं देहि नमोsस्तु ते।।
सर्वमंगल मंगल्ये सर्वमंगल संयुते।
सर्वमंगल बीजे च नमस्ते सर्वमंगले।।
सर्वप्रिये सर्वबीजे सर्व अशुभ विनाशिनी।
सर्वेशे सर्वजनके नमस्ते शंकरप्रिये।।
परमात्मस्वरूपे च नित्यरूपे सनातनि।
साकारे च निराकारे सर्वरूपे नमोsस्तु ते।।
क्षुत् तृष्णेच्छा दया श्रद्धा निद्रा तन्द्रा स्मृति: क्षमा।
एतास्तव कला: सर्वा: नारायणि नमोsस्तु ते।।
लज्जा मेधा तुष्टि पुष्टि शान्ति संपत्ति वृद्धय:।
एतास्त्व कला: सर्वा: सर्वरूपे नमोsस्तु ते।।
दृष्टादृष्ट स्वरूपे च तयोर्बीज फलप्रदे ।
सर्वानिर्वचनीये च महामाये नमोsस्तु ते।।
शिवे शंकर सौभाग्ययुक्ते सौभाग्यदायिनि।
हरिं कान्तं च सौभाग्यं देहि देवी नमोsस्तु ते।।
फलश्रुति
स्तोत्रणानेन या: स्तुत्वा समाप्ति दिवसे शिवाम्।
नमन्ति परया भक्त्या ता लभन्ति हरिं पतिम्।।
इह कान्तसुखं भुक्त्वा पतिं प्राप्य परात्परम्।
दिव्यं स्यन्दनमारुह्य यान्त्यन्ते कृष्णसंनिधिम्।।
।।श्री ब्रह्मवैवर्त पुराणे जानकीकृतं पार्वतीस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।
पार्वती पंचक स्तोत्र पढ़ने के फायदे
पार्वती पंचक स्तोत्र देवी पार्वती की महिमा को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को मानसिक शांति, समर्पण और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है। देवी पार्वती, जिन्हें माता शेरावाली, जगत जननी और शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है, उनका यह स्तोत्र उन सभी भक्तों के लिए अत्यंत लाभकारी है जो उनके प्रति श्रद्धा और विश्वास रखते हैं।
इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को विभिन्न संकटों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। देवी पार्वती अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें विपत्तियों से बचाती हैं।
इस स्तोत्र का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार और समृद्धि की प्राप्ति होती है। देवी पार्वती को समृद्धि और सुख का प्रतीक माना जाता है। जब भक्त सच्चे मन से उनका पाठ करते हैं, तो उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
पार्वती पंचक स्तोत्र का पाठ पारिवारिक सुख-शांति में भी योगदान करता है। यह पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है और परिवार के सभी सदस्यों के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। माता पार्वती के आशीर्वाद से घर में प्रेम और सद्भाव बना रहता है।