Edited By Prachi Sharma,Updated: 24 Oct, 2024 06:46 AM
पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन माताएं उपवास रखती हैं और रात को चंद्रमा को देखकर पूजा करती हैं
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Ahoi Ashtami 2024: पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन माताएं उपवास रखती हैं और रात को चंद्रमा को देखकर पूजा करती हैं। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य संतान सुख की प्राप्ति और संतान की रक्षा करना है। यह पर्व मुख्य रूप से माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र और खुशियों के लिए मनाया जाता है। इस दिन माताएं अपने बच्चों के साथ मिलकर पूजा करती हैं और विशेष रूप से अहोई माता की पूजा का आयोजन करती हैं। वर्ष 2024 में 24 अक्टूबर को ये व्रत रखा जाएगा। इसके अलावा यदि आप अहोई अष्टमी के दिन इस पेड़ की पूजा करते हैं तो आपके संतान के जीवन से सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं और निसंतानों को संतान का वरदान मिलेगा।
अहोई अष्टमी के दिन करें तुलसी की पूजा
तुलसी को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। इसे माता तुलसी लक्ष्मी और विष्णु की अवतार माना जाता है। तुलसी का पौधा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अनेक औषधीय गुणों से भी भरपूर है। इसकी पत्तियों का उपयोग पूजा-अर्चना में विशेषकर भगवान विष्णु की पूजा में किया जाता है।
तुलसी के पौधे की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। जब माता-पिता इस पौधे की देखभाल करते हैं और उसकी पूजा करते हैं, तो यह ईश्वर की कृपा को आकर्षित करता है।
तुलसी का एक विशेष संबंध संतान सुख से है। यह माना जाता है कि जो माताएं तुलसी की नियमित पूजा करती हैं और खासतौर पर अहोई अष्टमी वाले दिन। उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह उनके बच्चों के लिए स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना का प्रतीक भी है।
अहोई अष्टमी के दिन तुलसी के पौधे की पूजा करने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि यह स्वास्थ्य, मानसिक शांति और परिवार में प्रेम को भी बढ़ावा देती है। इसलिए इस दिन तुलसी की पूजा को विशेष महत्व दिया जाना चाहिए।
Mothers should worship the Peepal tree माताएं करें पीपल के पेड़ की पूजा
पीपल का पेड़ भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास स्थान माना जाता है। पीपल के पेड़ की पूजा करने से अनेक लाभ होते हैं विशेषकर संतान सुख की प्राप्ति में यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
संतान सुख की प्राप्ति
पीपल के पेड़ की पूजा से माताएं अपने बच्चों के सुख और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं। इसे संतान सुख के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है। कहा जाता है कि पीपल के पेड़ की नियमित पूजा करने से संतान की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की रक्षा होती है।
पीपल की पूजा से धन और संपत्ति की प्राप्ति भी होती है। यह व्यवसाय में सफलता का प्रतीक माना जाता है।
पीपल की पूजा से परिवार में प्रेम और एकता बढ़ती है। यह एक मजबूत परिवार की नींव रखता है।
पीपल का धार्मिक महत्व
पीपल के पेड़ को पूजा में विशेष स्थान दिया गया है। इसे देवी-देवताओं का वास स्थान माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में भी पीपल के पेड़ का उल्लेख मिलता है। पीपल की छाया में ध्यान करने से मन की शांति मिलती है और मानसिक तनाव से राहत मिलती है। अहोई अष्टमी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है बल्कि यह स्वास्थ्य, धन-संपत्ति, और परिवार में प्रेम और एकता को बढ़ावा देती है। यह पर्व माताओं के लिए बहुत खास होता है।