Ahoi Ashtami Vrat Parana: अहोई अष्टमी व्रत में तारों को देखकर खोला जाता है व्रत, जानें कारण

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Oct, 2024 12:14 PM

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Ahoi Ashtami Vrat Parana: अहोई अष्टमी व्रत का आयोजन विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से दिन भर उपवासी रहकर मां अहोई की पूजा करती हैं। व्रत...

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Ahoi Ashtami Vrat Parana: अहोई अष्टमी व्रत का आयोजन विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से दिन भर उपवासी रहकर मां अहोई की पूजा करती हैं। व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है तारे को देखकर व्रत खोलना।

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Why is the fast broken after seeing the stars on Ahoi Ashtami Vrat अहोई अष्टमी व्रत में तारों को देखकर क्यों खोला जाता है व्रत: तारे को देखकर व्रत खोलने का कारण यह है कि इसे संतान सुख का प्रतीक माना जाता है। इस दिन रात्रि में जब तारे आकाश में चमकते हैं, तो महिलाएं उन तारों की ओर देखकर व्रत को खोलती हैं। यह मान्यता है कि मां अहोई की कृपा से जिनकी संतान होती है, वे तारे की रोशनी में अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस तरह तारे को देखना और उनके प्रति आभार व्यक्त करना इस व्रत का एक प्रमुख हिस्सा है।

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Why are stars offered water on Ahoi Ashtami अहोई अष्टमी पर तारों को अर्घ्य क्यों दिया जाता है: अहोई अष्टमी पर तारे को अर्घ्य देने का महत्व भी है। अर्घ्य देने का अर्थ है तारे को जल, फल या अन्य सामग्री अर्पित करना। यह एक प्रकार की श्रद्धांजलि होती है, जिसके माध्यम से महिलाएं अपनी संतान की भलाई और दीर्घायु की कामना करती हैं। अर्घ्य देकर महिलाएं मां अहोई से प्रार्थना करती हैं कि उनके बच्चों की रक्षा हो और उन्हें सुख-समृद्धि मिले।

इस दिन महिलाएं विशेष रूप से अपनी संतान की सुरक्षा और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। पूजा के दौरान मां अहोई की कथा सुनना और तारे को अर्घ्य देना, दोनों ही इस व्रत के अनिवार्य हिस्से हैं। इससे उन्हें मानसिक शांति और संतोष मिलता है।

अंत में अहोई अष्टमी का व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह मातृत्व की भावना और अपने बच्चों के प्रति प्रेम और चिंता का प्रतीक भी है। इस दिन की सभी क्रियाएं न केवल भक्ति का भाव व्यक्त करती हैं, बल्कि परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना भी करती हैं।

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