Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Nov, 2024 01:06 AM
अक्षय नवमी और आंवला का संबंध विशेष रूप से हिन्दू धर्म में जुड़ा हुआ है। दोनों का महत्व विशेष रूप से उपवास, पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों से है।
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Akshaya Navami 2024: अक्षय नवमी और आंवला का संबंध विशेष रूप से हिन्दू धर्म में जुड़ा हुआ है। दोनों का महत्व विशेष रूप से उपवास, पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों से है। अक्षय नवमी का दिन विशेष रूप से पुण्यकारी और भाग्यवर्धक माना जाता है। इस दिन के साथ जुड़ा हुआ पुण्य एकाग्रता और अच्छे कर्मों के प्रति प्रोत्साहन के रूप में देखा जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी, आरोग्य नवमी, अक्षय नवमी, कुष्मांड नवमी के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह पर्व 10 नवंबर को है। आयुर्वेद में आंवला को चमत्कारी औषधि कहा गया है। इसकी उत्पत्ति जगत पिता ब्रह्मा के आंसूओं से हुई है। जब धरती का कोई वजूद नहीं था, चारों ओर जल ही जल था। उस समय ब्रह्मा कमल पुष्प पर बैठकर तप कर रहे थे। प्रभु प्रेम में उनकी आंखों से आंसू टपके और आंवला पैदा हुआ।
आंवला नवमी के दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्नदान करने का बहुत महत्व होता है। इस दिन किया गया जप, तप, दान इत्यादि व्यक्ति को सभी पापों से मुक्त करता है तथा सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला होता है। मान्यता है कि सतयुग का आरंभ भी इसी दिन हुआ था। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले के वृक्ष में सभी देवताओं का निवास होता है तथा यह फल भगवान विष्णु को भी अति प्रिय है।
चरक संहिता में बताया गया है अक्षय नवमी को महर्षि च्यवन ने आंवला खाया था, जिस से उन्हें पुन: जवानी अर्थात नवयौवन प्राप्त हुआ था। आप भी आज के दिन यह उपाय करके नवयौवन प्राप्त कर सकते हैं। शास्त्र कहते हैं कि आंवले का रस हर रोज पीने से पुण्यों में बढ़ोतरी होती है और पाप नष्ट होते हैं।