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Amalaki Ekadashi 2025: श्री हरि को प्रसन्न करने के लिए आज करें इस खास स्तोत्र का जाप, हर इच्छा होगी पूरी

Edited By Sarita Thapa,Updated: 10 Mar, 2025 10:46 AM

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Amalaki Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में आमलकी एकादशी का बहुत खास महत्व है। हर साल आमलकी एकादशी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह एकादशी का व्रत 10 मार्च यानी आज रखा जाएगा।

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Amalaki Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में आमलकी एकादशी का बहुत खास महत्व है। हर साल आमलकी एकादशी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह एकादशी का व्रत 10 मार्च यानी आज रखा जाएगा। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से मन की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में आने वाली हर परेशानी से छुटकारा मिलता है। इस दिन आंवले की पूजा करने का भी बहुत महत्व है। श्री हरि की पूजा के दौरान उनके स्तोत्र का पाठ करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। तो आइए जानते हैं भगवान विष्णु जी के स्तोत्र के बारे में-

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॥ श्री हरि स्तोत्र ॥

जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालंशरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं

नभोनीलकायं दुरावारमायंसुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं॥

सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासंजगत्सन्निवासं शतादित्यभासं

गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रंहसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं॥

रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारंजलान्तर्विहारं धराभारहारं

चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपंध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं॥

जराजन्महीनं परानन्दपीनंसमाधानलीनं सदैवानवीनं

जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुंत्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं॥

कृताम्नायगानं खगाधीशयानंविमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं

स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलंनिरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं॥

समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशंजगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं

सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहंसुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं॥

सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठंगुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं

सदा युद्धधीरं महावीरवीरंमहाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं॥

रमावामभागं तलानग्रनागंकृताधीनयागं गतारागरागं

मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतंगुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं॥

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॥ फलश्रुति ॥

इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तंपठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:

स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकंजराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो॥

मां लक्ष्मी के मंत्र
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।

या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।

ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

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