Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Mar, 2025 10:49 AM
Amalaki Ekadashi 2025 Upay: आमलकी एकादशी का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है क्योंकि यह दिन खासतौर पर ब्राह्मणों, संतों और साधुओं द्वारा अनुष्ठान, उपवासी और ध्यान के लिए समर्पित होता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए बहुत लाभकारी है,...
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Amalaki Ekadashi 2025 Upay: आमलकी एकादशी का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है क्योंकि यह दिन खासतौर पर ब्राह्मणों, संतों और साधुओं द्वारा अनुष्ठान, उपवासी और ध्यान के लिए समर्पित होता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए बहुत लाभकारी है, जो जीवन में किसी विशेष कष्ट या परेशानी का सामना कर रहे होते हैं। इस दिन किए गए उपायों से व्यक्ति की कठिनाइयां दूर होती हैं और उसके जीवन में को नई दिशा मिलती है।
आंवला एकादशी का शुभ दिन 10 मार्च 2025 को है। ये फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। इसे आमलकी एकादशी भी कहा जाता है। कुशाग्र बुद्धि और विद्या प्राप्ति के लिए आंवले के पेड़ की पूजा करें। प्रात: सूर्य निकलने से पूर्व उठकर स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर भगवान विष्णु का सच्चे मन से धूप, दीप, नैवेद्य, फल और फूलों से पूजन करें। आंवले की टहनी को कलश में स्थापित करके उसका पूजन करना अति उत्तम है। सारा दिन किसी की निंदा या चुगली न करें, अपना समय संकीर्तन एवं सत्संग में बिताएं। इस दिन फलाहार करना चाहिए तथा अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।
आमलकी एकादशी पर उपवासी रहकर भगवान विष्णु का ध्यान और मंत्र जाप करें। इससे आत्मा को शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। खासकर, मानसिक तनाव को दूर करने के लिए यह व्रत बेहद फायदेमंद माना जाता है।
आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा एवं स्तुति करनी चाहिए।
आमलकी एकादशी के दिन आंवला खाना और दान करना अति पुण्यकारी है।
भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करते हुए आंवले के पेड़ की 108 अथवा 28 बार परिक्रमा करना अति उत्तम कर्म है। जिस संकल्प से कोई आंवले की परिक्रमा करता है, वह अति शीघ्र पूरी हो जाती है।
विवाह में समस्याएं आ रही हैं तो ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें।
आंवले पीले वस्त्र में लपेटकर तिजोरी में रखने से धन की कमी हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी।
भगवान श्री हरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए जनेऊधारी ब्राह्मण को कलश, वस्त्र और आंवला आदि का दान करें।