Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 Aug, 2024 11:24 AM
हमारे होमो सेपियन्स पूर्वज अफ्रीका में रहते थे। वहां से निकलकर उन्होंने एक महान यात्रा की और दुनिया भर में फैले लेकिन अफ्रीका छोड़ने के बाद पहले-पहल वे कहां जाकर बसे, यह रहस्य बना रहा। दशकों
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हमारे होमो सेपियन्स पूर्वज अफ्रीका में रहते थे। वहां से निकलकर उन्होंने एक महान यात्रा की और दुनिया भर में फैले लेकिन अफ्रीका छोड़ने के बाद पहले-पहल वे कहां जाकर बसे, यह रहस्य बना रहा। दशकों की बहस के बाद एक नई रिसर्च ने इसका जवाब दिया है। इस अध्ययन के नतीजे नेचर कम्युनिकेशन्स पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
जब होमो सेपियन्स अफ्रीका से बाहर निकलने लगे, कमोबेश उसी दौरान प्राचीन मानवों की कई अन्य प्रजातियां गायब हो गईं। आज अपने इस ग्रह पर हम इंसानों की बस एक प्रजाति ‘होमो सेपियन्स’ रहती है। लैटिन भाषा में होमो का अर्थ है मानव और सेपियन्स मतलब बुद्धिमान। हम इंसानों ने खुद ही अपने को ‘बुद्धिमान मानव’ की यह उपाधि दी है।
एक बड़ी पहेली
करीब 3 लाख साल पहले की बात है, जब शुरुआती होमो सेपियन्स की आबादी अफ्रीका में धीरे-धीरे बढ़ने लगी। साल 1997 में इथियोपिया में मिले एक प्राचीन मानव का जीवाश्म करीब 1,60,000 साल पुराना है। यानी आधुनिक मानवों का एक रूप तब यहां रहा करता था। माना जाता है कि ये मानव बहुत लंबे वक्त तक अफ्रीका में रहे। कई आनुवांशिक साक्ष्य संकेत देते हैं कि इन मानवों ने 90 हजार से लेकर 60-65 हजार साल पहले अफ्रीका से बाहर निकलने की एक महान यात्रा शुरू की। अनुमान है कि जलवायु में बड़े बदलाव और सूखे जैसी स्थितियों ने उन्हें बाहर निकलने की प्रेरणा दी होगी।
प्राचीन मानवों के डी.एन.ए. सैंपलों और आधुनिक जीन पूल को पेलियो कोलॉजिकल साक्ष्यों के साथ जोड़कर वैज्ञानिकों ने एक भूभाग की पहचान की है, जहां शिकारी मानवों का झुंड अफ्रीका से बाहर निकलने के तुरंत बाद रहने लगा। इस भौगोलिक इलाके की पहचान ईरान, दक्षिण-पूर्वी इराक और उत्तर-पूर्वी सऊदी अरब के रूप में की गई है। सबसे प्राचीन मानव प्रजातियों से जुड़े जीवाश्म छिटपुट हैं, लेकिन निएंडरथालों के बारे में काफी डाटा मौजूद है।
मानव इतिहास की एक अहम कहानी
शोधकर्ताओं ने इस क्षेत्र को प्राचीन होमो सेपियन्स प्रवासियों के लिए ‘हब’ की संज्ञा दी है। शोध के लिए रिसर्चरों ने यूरोपीय और एशियाई लोगों के आधुनिक और प्राचीन जीनोम डाटा का इस्तेमाल किया। अनुमान है कि हब में प्रवास के दौरान इनकी संख्या कुछेक हजार तक सीमित होगी। हजारों साल तक यहां टिके रहने के बाद करीब 45 हजार साल पहले ये मानव आगे एशिया और यूरोप में पहुंचकर बसने लगे।
कैसा जीवन था उन प्राचीन मानवों का
रिसर्च में बताया गया है कि ये पूर्वज छोटे झुंडों में रहते थे। साक्ष्य बताते हैं कि ये जंगली गजेल, भेड़ और बकरियों का शिकार करते होंगे। स्टडी के सह-लेखक और ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी के ऑस्ट्रेलियन रिसर्च सेंटर फॉर ह्यूमन इवोल्यूशन के निदेशक माइकल पेत्रालिया बताते हैं, ‘‘उनके भोजन में खाने योग्य पौधे और छोटे-बड़े आकार के जानवर शामिल होंगे। ये शिकारी-संग्राहक समूह मौसमी जीवनचर्या जीते होंगे। ठंडे महीनों में ये निचले इलाकों में आ जाते होंगे और गर्मियों में पहाड़ी इलाकों में चले जाते होंगे।’’
हब में रहने वाले इन होमो सेपियन्स की त्वचा और बाल गहरे रंग की रही होगी। यह भी अनुमान है कि यहां से बाहर निकलने के बाद इन मानवों ने गुफा में चित्रकारी की कला विकसित की। ऐसे में मुमकिन है कि हब में रहने के कालखंड में ही उन्होंने ये सांस्कृतिक उपलब्धियां हासिल की होंगी।
ग्रीस में एक गुफा के पत्थर से मिली खोपड़ी के अवशेष कम-से-कम 2,10,000 साल पुराने बताए गए। इससे संकेत मिला कि आधुनिक मानवों में से कुछ ने संभावित काल अवधि से बहुत पहले ही अफ्रीका से बाहर कदम बढ़ा दिए थे।