‘तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसादम में’‘पशुओं की चर्बी बरामद’

Edited By ,Updated: 21 Sep, 2024 06:31 AM

animal fat found in tirupati balaji temple s laddu prasadam

आंध्र प्रदेश में तिरुपति जिले के ‘तिरुमाला’ शहर में ‘तिरुपति बालाजी  मंदिर’ देश के सर्वाधिक अमीर मंदिरों में से एक है। यहां प्रतिवर्ष देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु करोड़ों रुपए चढ़ावा चढ़ाते हैं। आंध्र प्रदेश सरकार के नियंत्रण के अधीन यह मंदिर...

आंध्र प्रदेश में तिरुपति जिले के ‘तिरुमाला’ शहर में ‘तिरुपति बालाजी  मंदिर’ देश के सर्वाधिक अमीर मंदिरों में से एक है। यहां प्रतिवर्ष देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु करोड़ों रुपए चढ़ावा चढ़ाते हैं। आंध्र प्रदेश सरकार के नियंत्रण के अधीन यह मंदिर ‘तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम’ (टी.टी.डी.) द्वारा संचालित है जिसके प्रमुख की नियुक्ति आंध्र प्रदेश सरकार करती है। इस मंदिर में भगवान को पवित्र लड्डू प्रसादम का भोग लगाने की प्रथा लगभग 300 वर्ष पुरानी है। तिरुपति बालाजी में प्रसाद के रूप में मिलने वाले लड्डुओं को ‘महाप्रसादम’ कहा जाता है। इन्हें ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी जी के खजाने से आया माना जाता है। लगभग 4 दशक पूर्व तक इस प्रसाद की पवित्रता और गुणवत्ता को लेकर कोई प्रश्न नहीं उठा था। पहली बार 1985 में एक व्यक्ति ने शिकायत की थी कि उसके खरीदे हुए लड्डू प्रसादम में फफूंद और कील निकली थी। 

अब एक बार फिर यहां का ‘लड्डू प्रसादम’ विवादों में घिर गया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने 18 सितम्बर, 2024 को आरोप लगाया कि ‘‘राज्य की पिछली ‘वाई.एस.आर. कांग्रेस पार्टी’ की जगन मोहन रैड्डी सरकार के शासनकाल में यहां बनने वाले ‘लड्डू प्रसादम’ में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया।’’ ‘‘केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एन.डी.डी.बी. (नैशनल डेयरी डिवैल्पमैंट बोर्ड) की एक ‘काल्फ रिपोर्ट’ के अनुसार ‘वाई.एस.आर. कांग्रेस पार्टी’ के शासन के दौरान पवित्र तिरुपति लड्डू बनाने में घटिया सामग्री और पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया। गाय के घी में सोयाबीन, लोबिया, जैतून, गेहूं, मक्का, कपास, मछली का तेल, गाय के मांस के तत्व, ताड़ का तेल और सूअर की चर्बी है।’’ 

तेदेपा प्रवक्ता ‘अनम वेंकटरमण रैड्डी’ ने दावा किया है कि‘‘गुणवत्ता वाले घी की कीमत 1000 रुपए प्रति किलो से अधिक है जबकि ‘वाई.एस.आर. कांग्रेस पार्टी’ की सरकार ने 320 रुपए किलो के भाव पर निविदाएं आमंत्रित कीं। रिश्वत खाने के लिए 15000 किलो घी का टैंडर दिया गया।’’ तेदेपा नेता ‘पट्टभि राम कोमारैड्डी’ ने आरोप लगाया है कि ‘‘2019 से 2024 के बीच मुख्यमंत्री जगन मोहन रैड्डी ने अपने ही चाचाओं वाई.वी. सुब्बा रैड्डी तथा करुणाकर रैड्डी को टी.टी.डी. का अध्यक्ष नियुक्त कर टी.टी.डी. फंड की लूट शुरू कर दी।’’ 19 सितम्बर, 2024 को तेदेपा प्रवक्ता ‘अनम वेंकटरमण रैड्डी’ ने एक संवाददाता सम्मेलन में कथित प्रयोगशाला रिपोर्ट दिखाई जिसमें दिए गए घी के नमूने में गाय की चर्बी की मौजूदगी की पुष्टि की गई थी। इसमें लार्ड (सूअर की चर्बी) और मछली के तेल की मौजूदगी का भी दावा किया गया है।

जहां तेदेपा ने ‘वाई.एस.आर. कांग्रेस पार्टी’ पर तिरुमाला के पवित्र मंदिर के लड्डू प्रसादम में अपवित्र वस्तुओं के इस्तेमाल का आरोप लगाया है वहीं वाई.एस.आर.सी.पी. के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद वाई.वी. सुब्बा रैड्डी ने इसका खंडन किया था और आरोप लगाया था कि‘‘चंद्र बाबू नायडू ने तिरुमाला के मंदिर व करोड़ों हिन्दुओं की आस्था को ठेस पहुंचाने का महापाप किया है।’’ परंतु अब 20 सितम्बर को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के अधिकारी जे. श्यामलराव ने (घटिया घी के इस्तेमाल की स्वीकारोक्ति करते हुए) कहा है कि ‘‘मंदिर को घी की आपूर्ति करने वालों ने मंदिर में मिलावट की जांच संबंधी सुविधा न होने का लाभ उठाया। प्रयोगशाला में चुने हुए नमूनों में पशु चर्बी और लार्ड (सूअर की चर्बी) की मौजूदगी का पता चला है।’’ जे. श्यामलराव की स्वीकारोक्ति से जहां मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू का आरोप सच साबित हो गया है वहीं उन्होंने घी की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार को काली सूची में डालने के साथ ही जुर्माना लगाने की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा भी की है। लेकिन इतना ही काफी नहीं है। इस कृत्य में शामिल होने वालों को कड़ी सजा देने की जरूरत है। अशुद्ध प्रसाद ग्रहण करने वाले श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं ही आहत नहीं हुईं बल्कि ऐसे प्रसाद का सेवन हानिकारक भी सिद्ध हो सकता था।—विजय कुमार

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