Edited By Prachi Sharma,Updated: 16 Mar, 2025 09:01 AM

हमारे जीवन में स्वास्थ्य और खुशहाली दोनों महत्वपूर्ण पहलू होते हैं। अक्सर हम सुनते हैं कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए दवाइयां जरूरी हैं लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि क्या दवाइयों से भी ज्यादा असरदार कोई और चीज हो सकती है
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Anmol Vachan: हमारे जीवन में स्वास्थ्य और खुशहाली दोनों महत्वपूर्ण पहलू होते हैं। अक्सर हम सुनते हैं कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए दवाइयां जरूरी हैं लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि क्या दवाइयों से भी ज्यादा असरदार कोई और चीज हो सकती है ? जवाब है – मां-बाप की दुआ। यह एक ऐसा विषय है जिसे हम अक्सर हल्के में लेते हैं लेकिन वास्तव में इसका प्रभाव कहीं ज्यादा गहरा और चमत्कारी हो सकता है। आज के समय में जब हम आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की मदद लेते हैं, तो हम अक्सर यह भूल जाते हैं कि मां-बाप की दुआ एक ऐसी शक्ति है, जो न केवल मानसिक, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य में भी सकारात्मक बदलाव ला सकती है।
पेट में 5 बच्चे जिस मां को भारी नहीं लगते थे, वह मां पांच बेटों को अलग-अलग मकान में भारी लग रही है।

कबूतर को दाना, गाय को चारा डालने वाली औलाद यदि मां-बाप को दबाए तो ऐसे दाने व चारे में कोई दम नहीं।
जिस नन्हे-मुन्ने को मां-बाप ने बोलना सिखाया, वह बच्चा बड़ा होकर मां-बाप को चुप रहना सिखाता है।
जिस दिन तुम्हारे कारण मां-बाप की आंखों में आंसू आते हैं, याद रखना उस दिन तुम्हारा किया सारा धर्म-कर्म उन आंसुओं में बह कर व्यर्थ हो जाएगा।
मंदिर में देवी मां को चुनरी औढ़ावे और घर की मां से लड़ाई-झगड़ा करे।
बचपन में गोद देने वाली मां को बुढ़ापे में दगा देने वाला मत बनना। यदि अपना अच्छा भविष्य चाहते हो तो। घर में बच्चों को सेवा के संस्कार देकर बड़ों की सेवा करना सिखाएं।

नित्य मां-बाप को प्रणाम करके ही फिर खाना-पीना शुरू करें, ताकि आपके बच्चे भी विनय के संस्कार सीखें।
नित्य मां-बाप के पास कुछ समय बिताकर उनके सुख-दुख का ध्यान रखें।
अपने बच्चों को अपने दादा-दादी के संपर्क में रखें व उन्हें बड़ों की सेवा, आज्ञा पालन करना सिखाएं।
बचपन के संस्कार जिंदगी भर रहते हैं, कच्चे घड़े को जिस ढंग से ढालोगे ढल जाएगा। अत: बच्चों में अच्छे संस्कार भरें न कि आधुनिकता।
बच्चों का खान-पान, चाल-चलन, वेशभूषा मर्यादित व सात्विक रखें, ताकि उनमें सात्विकता पनपे।
