Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Dec, 2024 08:13 AM
Annapurna Jayanti 2024: अन्नपूर्णा जयंती विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाई जाती है लेकिन यह पूरे देश में विभिन्न रूपों में मनाई जाती है। अन्नपूर्णा देवी अपने भक्तों को भेजन से संतुष्टि देती हैं। अन्न की देवी होने के नाते वे जीवन के आवश्यक संसाधनों को...
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Annapurna Jayanti 2024: अन्नपूर्णा जयंती विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाई जाती है लेकिन यह पूरे देश में विभिन्न रूपों में मनाई जाती है। अन्नपूर्णा देवी अपने भक्तों को भेजन से संतुष्टि देती हैं। अन्न की देवी होने के नाते वे जीवन के आवश्यक संसाधनों को प्रदान करती हैं। अन्नपूर्णा देवी का स्वरूप अत्यंत सौम्य और मातृवत होता है। उनके हाथ में कटोरी (खाने की कटोरी) और चम्मच होता है, जिससे वह अन्न का वितरण करती हैं। संसार को भोजन और पोषण से तृप्त करती हैं।
Significance of Annapurna Jayanti अन्नपूर्णा जयंती का महत्व: अन्नपूर्णा जयंती का उद्देश्य यह है कि भक्त देवी अन्नपूर्णा से समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और जीवन के अन्य आवश्यक संसाधनों की प्रार्थना करें। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो फसल, अन्न और भोजन से संबंधित कार्यों में हैं क्योंकि देवी अन्नपूर्णा को कृषि और अन्न के सभी पहलुओं की देखभाल करने वाली देवी माना जाता है। यह पर्व भोजन के महत्व और उसका आदर करने की प्रेरणा देता है, साथ ही यह भी याद दिलाता है कि भोजन का अपव्यय नहीं करना चाहिए और उसे श्रद्धा और सम्मान से ग्रहण करना चाहिए।
Annapurna Jayanti Worship Method अन्नपूर्णा जयंती की पूजा विधि:
मंत्र जाप: पूजा में "ॐ अन्नपूर्णे सर्वस्वम्" जैसे मंत्रों का जाप किया जाता है।
अन्न का भोग: देवी अन्नपूर्णा को विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ अर्पित किए जाते हैं। पूजा में विशेष रूप से चावल, फल, मिठाई और अन्य पकवान अर्पित किए जाते हैं।
दीप जलाना: इस दिन दीप जलाने की भी परंपरा है, जिससे घर में उजाला और समृद्धि का संचार होता है।
व्रत और उपवासी: कुछ लोग इस दिन उपवासी रहते हैं और देवी अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्त करने के लिए साधना करते हैं।
दान करना: दान की भी परंपरा है, खासकर जरूरतमंदों को भोजन और अन्न दान किया जाता है। यह पुण्य प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण तरीका माना जाता है।