Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 Feb, 2025 11:18 AM
आज सुबह गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी पंजाब दौरे के दूसरे दिन बठिंडा पहुंचे जहां सबसे पहले उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग ज्ञान मंदिर का उद्घाटन किया। यह ज्ञान मंदिर योग, प्राणायाम, ध्यान और सुदर्शन क्रिया जैसी प्रभावशाली तकनीकों के माध्यम से हजारों लोगों
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बठिंडा: आज सुबह गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी पंजाब दौरे के दूसरे दिन बठिंडा पहुंचे जहां सबसे पहले उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग ज्ञान मंदिर का उद्घाटन किया। यह ज्ञान मंदिर योग, प्राणायाम, ध्यान और सुदर्शन क्रिया जैसी प्रभावशाली तकनीकों के माध्यम से हजारों लोगों के लिए मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और भावनात्मक संतुलन का केंद्र होगा। उद्घाटन समारोह में सैकड़ों श्रद्धालु और कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
इसके बाद बठिंडा के प्रसिद्ध खेल स्टेडियम में शाम 5 बजे से गुरुदेव के पावन सान्निध्य में भव्य सत्संग 'उमंग' का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 20,000 लोग शामिल हुए और गुरुदेव के सान्निध्य में गान, ज्ञान और गहरे ध्यान का अनुभव किया ।
गुरुदेव ने सत्संग में भक्तों को 1000 वर्ष प्राचीन सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के पिंडों के बारे में बताया जो दक्षिण भारत के अग्निहोत्री ब्राह्मण श्री सीताराम शास्त्री जी की पिछली कई पीढ़ियों ने संभाल कर रखे थे। अब वे कांची के शंकराचार्य के आदेशानुसार, सोमनाथ के पिंडों की पुनर्स्थापना करवाने के उद्देश्य से उन्हें गुरुदेव के पास उनके आर्ट ऑफ लिविंग के बैंगलोर आश्रम लेकर आये थे । इसी वर्ष कार्तिक मास में सभी संतों की उपस्थिति में ज्योतिर्लिंग के मूल अंशों को सोमनाथ मंदिर में पुनःस्थापित करने की योजना है।
गुरुदेव ने सत्संग को संबोधित करते हुए कहा, “प्रतिनित्य सबको ध्यान करना चाहिए। ध्यान के बिना जीवन रूखा-सूखा है। ध्यान ही जीवन में रस लाता है। थोड़ी देर बैठकर मन को शांत करें, सांस को देखें। ये अनुभव करें कि आप इस दुनिया में थोड़े समय के लिए आये हैं। जब हम जीवन को बार-बार एक विशाल दृष्टिकोण से देखेंगे, तो बड़ी-बड़ी समस्याएं भी छोटी लगने लगेंगी।”
गुरुदेव ने संगत का महत्त्व बताते हुए कहा, “यदि हमें किसी के पास बैठकर अपनी समस्या हल्की लगने लगे तो वह अच्छी संगत है लेकिन यदि आपको उनकी संगत में अपनी समस्या भारी लगने लगे तो वह संगत ठीक नहीं है।”
उन्होंने कहा, “आज एक तिहाई दुनिया डिप्रेशन से जूझ रही है, हमें भारत को इससे दूर रखना चाहिए। इसके लिए ध्यान, योग और सांस तकनीकें बहुत काम करती हैं।”
इंट्यूशन के विषय में बात करते हुए गुरुदेव ने कहा कि आज आर्ट ऑफ लिविंग कार्यक्रम के माध्यम से बच्चे और बड़े भी इंट्यूशन की मदद से लोगों की बहुत सहायता कर रहे हैं। बच्चे पुलिस को भी उनके केस सुलझाने में मदद कर रहे हैं। सत्संग सभा में आये हुए बहुत से लोगों ने गुरुदेव से अपने-अपने प्रश्न भी पूछे ।
इस समारोह में पंजाब के माननीय राज्यपाल, श्री गुलाब चंद कटारिया की विशेष उपस्थिति रही। राज्यपाल महोदय ने गुरुदेव के वैश्विक मानवतावादी प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि “गुरुदेव ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के अधिकांश देशों के लोगों को आर्ट ऑफ लिविंग सिखाया है।” उन्होंने कहा, “भारत को दुनिया के लोग ध्यान और योग के माध्यम से जानते हैं। इस वर्ष 21 दिसंबर को यूनाइटेड नेशंस द्वारा घोषित किए गये विश्व ध्यान दिवस में गुरुदेव का महत्त्वपूर्ण योगदान है।” राज्यपाल महोदय ने पंजाब को नशामुक्त करने के लिए गुरुदेव से जनान्दोलन करने का आग्रह भी किया। माननीय राज्यपाल ने आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा चलाये जा रहे प्राकृतिक खेती अभियान की विशेष सराहना की।
गुरुदेव की उपस्थिति में चंडीगढ़ विश्वविद्यालय और लवली विश्वविद्यालय सहित 24 स्कूलों ने आर्ट ऑफ लिविंग के साथ MOU पर हस्ताक्षर किए। इन विश्वविद्यालों और स्कूलों में 30,000 युवाओं और बच्चों को हैप्पीनेस कोर्स फॉर यूथ, आर्ट एक्सेल और येस पाठ्यक्रम सिखाये जाएंगे, जिनके माध्यम से बच्चों को ध्यान, श्वास तकनीक और तनाव प्रबंधन की विधियां सिखाई जाएंगी। यह उनकी एकाग्रता बढ़ाने और तनाव कम करने में मदद करेगा। इसके अलावा, यह बच्चों की अंतर्दृष्टि क्षमता को भी विकसित करेगा, जिससे वे बेहतर निर्णय ले सकेंगे।