mahakumb

Arvalem Caves Goa: पांडव अपनी पत्नी द्रौपदी के साथ गए थे गोवा, गवाह हैं अर्वलम गुफाएं

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Jan, 2025 08:01 AM

arvalem caves goa

हममें से अधिकतर लोग गोवा के इतिहास को पुर्तगाली शासन के साथ जोड़कर देखते हैं लेकिन सच यह है कि गोवा कभी कई हिन्दू राजवंशों का क्षेत्र हुआ करता था, जो पूरे राज्य में अपनी पहचान छोड़कर गए हैं ?

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

The Pandava Caves in Goa: हममें से अधिकतर लोग गोवा के इतिहास को पुर्तगाली शासन के साथ जोड़कर देखते हैं लेकिन सच यह है कि गोवा कभी कई हिन्दू राजवंशों का क्षेत्र हुआ करता था, जो पूरे राज्य में अपनी पहचान छोड़कर गए हैं ?

PunjabKesari Arvalem Caves Goa

गोवा की राजधानी पणजी से सड़क मार्ग से एक घंटे की दूरी पर उत्तर गोवा के शहर बिचोलिम में एक गांव है, जिसका नाम अर्वलम है। अपने सुंदर झरनों की वजह से यह जगह सैलानियों में बहुत लोकप्रिय है लेकिन झरनों के पास कुछ ही दूरी पर गुफाओं का एक समूह है, जो डेढ़ हजार साल पुराना है। अर्वलम गुफाएं गोवा की प्रारम्भिक हिन्दू वास्तु कला का नमूना हैं।

PunjabKesari Arvalem Caves Goa
The history of Arvalam caves is related to Pandavas पांडवों से जुड़ा है अर्वलम गुफाओं का इतिहास
स्थानीय लोग इसे पांडव गुफा कहते हैं। किंवदंती के अनुसार बारह वर्ष के वनवास के दौरान पांडव अपनी पत्नी द्रौपदी के साथ इन गुफाओं में कुछ समय के लिए ठहरे थे। पश्चिम भारत में गुफाएं जहां बजालत (लाल रंग का आग्नय बलुआ पत्थर) चट्टान काटकर बनाई गई थीं, वहीं अर्वलम की गुफाएं मानव निर्मित हैं, जिन्हें मखराला (लैटराइट) चट्टानों को काटकर बनाया गया है।

PunjabKesari Arvalem Caves Goa

There must have been caves of Shiv Panth अर्वलम गुफाओं में हैं 6 कमरे
यहां कुल छह कमरे हैं, जिनमें से पहले पांच कमरों का इस्तेमाल मंदिर के रूप में होता था। छठे कमरे का इस्तेमाल शायद रसोईघर या स्टोर के रूप में होता होगा क्योंकि कमरे के किनारे एक प्लेटफॉर्म बना हुआ है। कुछ इतिहासकार अर्वलम गुफाओं को पांचवीं सदी और कुछ छठी सदी की बताते हैं। यह वह समय था, जब गोवा पर कदम्ब राजवंश (345-525) का शासन हुआ करता था। कदम्ब कर्नाटक का प्राचीन शाही परिवार था, जो अपनी राजधानी बनवासी (मौजूदा समय में उत्तर कन्नड़ जिला) से उत्तर कर्नाटक और कोंकण पर शासन करता था। दक्कन में वे सातवाहन राजवंश के बाद आए थे और पश्चिमी गंगा राजवंश के समकालीन थे।

PunjabKesari Arvalem Caves Goa

There must have been caves of Shiv Panth शिवपंथ की रही होंगी गुफाएं
कदम्ब राजवंश भगवान शिव के उपासक थे। अर्वलम गुफाओं के पहले कमरे में एक वेदी है। वेदी के छेद में एक शिवलिंग है जो भूरे रंग के बजालत पत्थर का बना है। इससे पता चलता है कि ये गुफाएं अपनी प्रकृति में शायद शिवपंथ की रही होंगी।

अन्य चार कमरों में उनकी वेदियों के बीच लिंग की तरह की मूर्तियां हैं लेकिन यह कहना मुश्किल है कि ये शिवलिंग हैं। उदाहरण के लिए अर्वलम गुफा मंदिरों के तीसरे कमरे में रखे लिंग पर ब्रह्मी लिपि में एक पंक्ति का अभिलेख है, जो कुछ इस तरह है- सम्बालुरु-वाली रविह। इसका अर्थ है ‘सम्बा शहर का निवासी रवि’।

सूर्य को रवि भी कहा जाता है और इसलिए शायद तीसरा कमरा सूर्य देवता को समर्पित होगा। पुरातत्वविद् एम.एस. नागराजा राव के अनुसार, ‘‘सूर्य देवता के कई नामों में से एक रवि का सम्बा द्वारा स्थापित शहर के निवासी के रूप में सम्बा पुराण में कई बार उल्लेख है। सम्बा भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र थे। वह कुष्ठ रोग से पीड़ित थे। सूर्य देवता ने उनका यह रोग ठीक कर दिया था। सूर्य देवता का आभार मानते हुए सम्बा ने शायद सम्बापुरा शहर में सूर्य देवता का मंदिर बनवाया था।’’

दिलचस्प बात यह है कि सन् 1964 में किए गए एक सर्वे में, दक्षिण-पश्चिम अर्वलम से 6 किलोमीटर दूर कुडनम शहर में एक पुराने मंदिर का ढांचा मिला था, जिसमें सूर्य देवता की एक छोटी मूर्ति थी। हो सकता है कि प्राचीन समय में कुडनम और अर्वलम को सम्बापुरा कहा जाता हो।

PunjabKesari Arvalem Caves Goa
Relationship with Shiva-Kartikeya-Surya शिव-कार्तिकेय-सूर्य से संबंध
कला इतिहासकारों का मानना है कि अगर एक लिंग शिव को और दूसरा लिंग सूर्य को समर्पित है तो पांच में से तीसरा लिंग शायद स्कंद या कार्तिकेय को समर्पित होगा और यह शिव-कार्तिकेय-सूर्य के संबंध को संपूर्ण करता है। इस तरह से इस मंदिर गुफा को अब तक भारत में अपनी तरह की एक अनोखी गुफा माना जा सकता है।

कमरों के बाहर खम्भों वाला एक बरामदा है। दिलचस्प बात है कि अर्वलम गुफाओं के किसी भी खम्भे, वेदी, दीवारों, दरवाजों या खिड़कियों की चौखट पर किसी भी तरह की कोई सजावट नहीं है। ये सभी साधारण हैं और दिखने में फूहड़ लगती हैं। ऐसा शायद मखराला चट्टानों की प्रकृति की वजह से हुआ होगा, जिन पर महीन कटाई करना आसान काम नहीं होता।

इसके अलावा गुफाओं के बारे में और कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, बस अंदाजे ही लगाए गए हैं। माना यह भी जाता है कि ये गुफाएं कभी बौद्ध प्रकृति की रही होंगी और यहां से गुजरने वाले बौद्ध भिक्षु इनका उपयोग विहार के रूप में करते होंगे। बाद में इन्हें शिव गुफाओं में तब्दील कर दिया गया लेकिन इस तर्क में अधिक दम नहीं है।

हालांकि, पश्चिम भारत की ब्राह्मण-परम्परा की गुफाओं में, इन गुफाओं को इतना महत्व भले ही नहीं दिया जाता हो लेकिन इनसे यह तो पता चलता ही है कि छठी शताब्दी में शिव सम्प्रदाय गोवा जैसे आधुनिक राज्य में आ चुका था।
                                       
अर्वलम के अन्य प्रमुख आकर्षणों में रुद्रेश्वर मंदिर भी प्रमुख है। अर्वलेम झरना, जो कि लगभग 70 मीटर की ऊंचाई से गिरता है और गोवा के सबसे प्रसिद्ध झरनों में से एक है, वह इस मंदिर की ठीक बगल में स्थित है। भगवान रुद्रेश्वर की प्रतिमा इस प्रकार स्थापित की गई है कि उनका मुख झरने की ओर हो। 

PunjabKesari Arvalem Caves Goa

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!