Edited By Prachi Sharma,Updated: 05 Jul, 2024 07:30 AM
प्रत्येक माह की अमावस्या पितरों की शांति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए बेहद खास मानी गई है। इस दिन पूर्वजों के नाम का तर्पण और श्राद्ध करने से वे अति प्रसन्न होते हैं और सुख-शांति का आशीर्वाद प्रदान
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Ashadha Amavasya: प्रत्येक माह की अमावस्या पितरों की शांति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए बेहद खास मानी गई है। इस दिन पूर्वजों के नाम का तर्पण और श्राद्ध करने से वे अति प्रसन्न होते हैं और सुख-शांति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। बता दें कि अगर शुभ मुहूर्त में ये सभी कार्य किए जाए तो और भी ज्यादा शुभ फल प्रदान करते हैं। वहीं अभी आषाढ़ का महीना चल रहा है और हिंदू धर्म में आषाढ़ अमावस्या को विशेष महत्व दिया गया है। आज बात करेंगे अमावस्या तिथि के स्नान-दान के मुहूर्त के बारे में।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या का आरंभ 5 जुलाई को प्रातःकाल 04 बजकर 57 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन 06 जुलाई प्रातःकाल 04 बजकर 26 मिनट पर होगा ऐसे. में बता दें कि आषाढ़ अमावस्या 05 जुलाई, दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।
अमावस्या के दिन स्नान-दान का बहुत अधिक महत्व है। ऐसे में ये भी बता दें कि आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान का शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त माना गया है। धार्मिक मान्यताओं, के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त का स्नान सबसे उत्तम माना जाता है। जिसके चलते इस दिन ब्रह्म मुहूर्त का समय प्रातः काल 04 बजकर 08 मिनट से लेकर 04 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इसी के साथ आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान के बाद ही दान करें। आज आप किसी असहाय जरूरतमंद व्यक्ति या फिर ब्राह्मण को अपनी क्षमता के अनुसार अन्न, वस्त्र, फल आदि का दान करें। इससे आपके घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
आज लाभ उन्नति मुहूर्त- सुबह 07 बजकर 13 मिनट से लेकर 08 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।
अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त- सुबह 08 बजकर 57 मिनट से लेकर 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
जो लोग आषाढ़ अमावस्या के दिन अपने पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करना चाहते हैं वे इस मुहूर्त पर कर सकते हैं। अमावस्या के दिन सुबह शुभ मुहूर्त में स्नान कर लें, उसके बाद पितरों के लिए जल से तर्पण दें। धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन पितृगण वायु के रूप में सूर्यास्त तक घर के दरवाजे पर रहते हैं और अपने परिवार से श्राद्ध और तर्पण की इच्छा रखते हैं इसलिए इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर पूर्वजों का कुश, काले तिल, सफेद फूल और जल से पितरों का तर्पण करें और फिर ब्राह्मणों को भोजन कराकर यथाशक्ति दान करें। अमावस्या पर पितृ पूजा करने से आयु में वृद्धि होती है और घर की सुख-संपन्नता में बढ़ोतरी होती है।