Ashadha Gupt Navratri: गुप्त नवरात्रि के दौरान करें इन मंत्रों का जाप, घर में बनी रहेगी खुशहाली

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Jul, 2024 08:08 AM

ashadha gupt navratri

आषाढ़ माह में बहुत सारे व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। गुप्त नवरात्रि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक मनाई जाती है। इस दौरान दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना करने का विधान है।

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Ashadha Gupt Navratri 2024: आषाढ़ माह में बहुत सारे व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। गुप्त नवरात्रि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक मनाई जाती है। इस दौरान दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना करने का विधान है। गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। साथ ही विशेष कार्यों में सिद्धि पाने के लिए व्रत- उपवास भी रखा जाता है। जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए पूजा के दौरान मां के मंत्रों का जप करें-

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Mantras of Maa Durga मां दुर्गा के मंत्र
ह्रीं शिवायै नम:
ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
ऐं श्रीं शक्तयै नम:
ऐं ह्री देव्यै नम:
ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:
क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:

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सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या ।
तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ।।

 दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता॥

देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या ।
तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ।।

नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।।

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा
ऊँ ह्नीं स्त्रीं हुम फट
ऐ ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:
ह्नीं भुवनेश्वरीयै ह्नीं नम:
ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा
श्रीं ह्नीं ऐं वज्र वैरोचानियै ह्नीं फट स्वाहा
ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:
ऊँ ह्नीं बगुलामुखी देव्यै ह्नीं ओम नम:
ह्मीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशय ह्मीं ॐ स्वाहा
ऊँ ह्नीं ऐ भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:
हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:

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