Edited By Prachi Sharma,Updated: 23 Jun, 2024 09:16 AM
भारतीय शास्त्र में महीने की गणना 15-15 दिन के शुक्ल और कृष्ण पक्ष से की गई है लेकिन कई बार इन पक्षों में तिथियों का क्षय होने से पक्ष की संख्या कम हो जाती है।
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Ashadha Month: भारतीय शास्त्र में महीने की गणना 15-15 दिन के शुक्ल और कृष्ण पक्ष से की गई है लेकिन कई बार इन पक्षों में तिथियों का क्षय होने से पक्ष की संख्या कम हो जाती है।
इस बार 23 जून, 2024 से शुरू हो रहा कृष्ण पक्ष 13 दिन का होगा। त्रयोदश दिनों का पक्ष प्राकृतिक, राजनीतिक, सामाजिक, राजाओं की परस्पर कलह, छत्रभंगादि दृष्टियों से अनष्टिकारक और अशुभ फल देने वाला होगा।
13 दिन के पक्ष को (विश्वघस्र पक्ष) कहा जाता है। सामान्य रूप से प्रतिवर्ष शुक्ल तथा कृष्ण पक्ष में एक तिथि क्षय होने से 14 दिन का पक्ष होता है एवं एक तिथि वृद्धि से 16 दिनात्मक पक्ष होता है परन्तु यदि एक पक्ष में दो तिथियों का क्षय हो जाता है तो वह ‘त्रयोदश दिनात्मक पक्ष’ कहा जाता है।
‘घस्रस्तु दिवसे हिंस्रे’ मेदिनी के इस वचनानुसार यह हिंसा बहुल होकर विविध प्रकार की विषम परिस्थितियों को, अघटित घटनाओं को जन्म देगा। शास्त्रों के अनुसार कई युगों में प्रजा का नाश कर देने वाला त्रयोदश (तेरह) दिन का पक्ष आता है। उसमें शोक, भय, कलह, युद्ध और हिंसा आदि अशुभ फल घटित होते हैं।
इस त्रयोदश (तेरह) दिन के पक्ष में विवाहादि शुभ कृत्य, गृह निर्माण, लम्बी यात्रादि कार्य न करने के लिए शास्त्र निर्देश हैं। महाभारत के समय भी त्रयोदश पक्ष की अशुभता देखी गई थी। अत: सभी धर्मावलम्बी अपने-अपने धर्मों के अनुसार त्रयोदश (तेरह) दिनों के पक्ष की अशुभता को देखते हुए विश्व कल्याण कारक प्रार्थनाओं से प्राणिमात्र के कल्याण के लिए प्रार्थना करें।
विशेषरूप से सनातन धर्मावलम्बी सभी जगत कल्याण की, आत्म कल्याण की तथा प्राणिमात्र के कल्याण के लिए परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना अवश्य करें जिससे त्रयोदश (तेरह) दिन के पक्ष की अशुभता दूर हो सके।