Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Jan, 2024 11:53 AM
भगवान शिव और पार्वती जी के पुत्र कार्तिकेय और गणेश जी के बारे में तो सभी को पता है, लेकिन उनकी एक पुत्री भी थी, जिनका नाम अशोक सुंदरी है
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The Story of Ashok Sundari: भगवान शिव और पार्वती जी के पुत्र कार्तिकेय और गणेश जी के बारे में तो सभी को पता है, लेकिन उनकी एक पुत्री भी थी, जिनका नाम अशोक सुंदरी है, इसकी जानकारी कम लोगों को ही होगी। इनके बारे में पद्म पुराण में लिखा गया है। एक बार माता पार्वती द्वारा विश्व में सबसे सुंदर उद्यान दिखाने के आग्रह से भगवान शिव पार्वती को नंदनवन ले गए। वहां माता को कल्पवृक्ष से लगाव हो गया और उन्होंने उस वृक्ष को ले लिया। कल्पवृक्ष मनोकामना पूर्ण करने वाला वृक्ष है।
माता पार्वती ने अपने अकेलेपन को दूर करने हेतु उस वृक्ष से यह वर मांगा कि उन्हें एक कन्या प्राप्त हो, तब कल्पवृक्ष द्वारा अशोक सुंदरी का जन्म हुआ। वह उस वृक्ष को लेकर कैलाश आ गईं। अ+शोक अर्थात सुख। माता पार्वती को सुखी करने हेतु ही उनका निर्माण हुआ था और वह अत्यंत सुंदर थीं, इसी कारण इन्हें सुंदरी कहा गया। वह भगवान शिव और माता पार्वती की बेटी हैं तथा भगवान कार्तिकेय से छोटी, किंतु गणेश जी से बड़ी हैं। माता पार्वती ने कन्या को वरदान दिया कि उनका विवाह देवराज इंद्र जितने शक्तिशाली युवक से होगा।
एक बार अशोक सुंदरी अपनी दासियों के साथ नंदनवन में विचरण कर रही थीं, तभी वहां हुंड नामक राक्षस का प्रवेश हुआ, जो अशोक सुंदरी की सुंदरता से मोहित हो गया तथा उसने विवाह का प्रस्ताव किया, लेकिन अशोक सुंदरी ने अपने वरदान और विवाह के बारे में बताया कि उनका विवाह नहुष से ही होगा।
यह सुनकर राक्षस ने कहा कि वह नहुष को मार डालेगा। ऐसा सुनकर अशोक सुंदरी ने राक्षस को श्राप दिया कि जा दुष्ट तेरी मृत्यु नहुष के हाथों ही होगी। यह सुनकर वह राक्षस घबरा गया, तब उसने राजकुमार नहुष का अपहरण कर लिया लेकिन नहुष को राक्षस हुंड की एक दासी ने बचा लिया।
महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में नहुष बड़ा हुआ तथा आगे जाकर उसने हुंड का वध किया। इसके बाद नहुष तथा अशोक सुंदरी का विवाह हुआ। विवाह के बाद अशोक सुंदरी ने ययाति जैसे वीर पुत्र को जन्म दिया।