Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Oct, 2024 08:57 AM
Ashtami Navmi tithi shubh muhurat 2024: 03 अक्तूबर 2024 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है, जो कि 12 अक्तूबर तक चलेंगे। नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस पर्व को पूरे भारत में बहुत ही धूमधाम से...
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Ashtami Navmi tithi shubh muhurat 2024: 03 अक्तूबर 2024 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है, जो कि 12 अक्तूबर तक चलेंगे। नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस पर्व को पूरे भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। माता के आगमन की खुशी में भजन-कीर्तन, जागरण, गरबा और तमाम धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। माना जाता है कि इन नौ दिनों के दौरान माता रानी अपने भक्तों के बीच पृथ्वी लोक पर ही रहती हैं। ऐसे में माता रानी का पूजन और उपासना करने से देवी मां अपने भक्तों के सभी कष्ट हर लेती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। बहुत से लोग इस दौरान नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और अष्टमी या नवमी के दिन व्रत खोलकर कन्या पूजन करते हैं। साल 2024 में अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर काफी कन्फयूज़न हो रही है। आज हम आपको बताएंगे इस साल शारदीय नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर पूरी जानकारी तो आईए जानते हैं...
पंचांग के अनुसार, साल 2024 में आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से शुरू हो रही है, जो 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी।
इस बार शारदीय नवरात्रि में सप्तमी और अष्टमी एक ही दिन है, जो 10 अक्तूबर को है। शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि में जब सप्तमी-अष्टमी एक साथ एक ही दिन हो, तो दुर्गाष्टमी का व्रत उस दिन नहीं करना चाहिए। इसे निषेध माना गया है।
चूंकि सप्तमी और अष्टमी का व्रत एक साथ रखना अशुभ होता है इसलिए इस साल 11 अक्टूबर को ही अष्टमी और नवमी दोनों मनाई जाएगी यानी अष्टमी और नवमी पर व्रत रखने वाले 11 अक्तूबर को ही व्रत रख सकते हैं।
इस साल शारदीय नवरात्रि व्रत पारण 12 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजकर 58 मिनट के बाद किया जा सकता है। नवरात्रि व्रत के पारण के लिए सबसे उपयुक्त समय नवमी की समाप्ति के बाद माना जाता है।
Ashtami Navami Worship Method अष्टमी नवमी पूजन विधि- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद पूजा स्थान की अच्छे से साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद माता रानी के समक्ष दीपक जलाएं और मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें। पूजा के दौरान माता रानी को अक्षत, सिंदूर लाल, फूल और प्रसाद अर्पित करें। प्रसाद में माता दुर्गा को सात्विक भोजन जैसे खीर, चने और पूरी अर्पित कर सकते हैं। धूप और दीप जलाने के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में सह परिवार माता की आरती करें।