Edited By ,Updated: 15 Feb, 2017 02:29 PM
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यमुना नगर के तीन मंदिर ऐसे हैं जहां पर शिव भक्त बडी ही श्रद्धा से माथा टेकने के लिए आते हैं। यमुना नगर के
यमुना नगर के तीन मंदिर ऐसे हैं जहां पर शिव भक्त बडी ही श्रद्धा से माथा टेकने के लिए आते हैं। यमुना नगर के भाटली शिव मंदिर का अपना ही एक महत्व है और कहा जाता है कि महाभारत के समय यही पर शिव मंदिर में पांडवों ने शिव की पूजा की थी जबकि इससे हटकर बात अगर बूडिया की करें तो यहां के पतालेश्वर मंदिर की अपनी महिमा है यह वह मंदिर है जहा पर स्थापित शिवलिंग धरती के काफी अंदर है माना जाता है की काफी प्राचिन मंदिर है। जमीन के लगभग 20 फिट से ज्यादा गहराई पर स्थापित इस शिव मंदिर को तभी से पतालेश्वर कहा जाता है। अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने जब से यहां शिव की पूजा अर्चाणा की है तभी से इस मंदिर में पूजा-अर्चना आरंभ हुई। भक्त शिवलिंग पर जल चढ़ा कर भोले बाबा का आशिर्वाद प्राप्त करते हैं।
इन दोनो मंदिरों से हटकर अगर हम कलेसर स्थित शिव मंदिर की बात करें तो यहां का शिव मंदिर आज से नहीं बल्कि प्राचीन समय से भक्तों के लिए श्रद्धा का केंद्र रहा है। इस मंदिर को कलेसर मंठ के नाम से जाना जाता है। यहां पर विशेष अवसरों पर भक्तों की लंबी-लंबी कतारे लगी होती हैं और मंदिर में माथा टेकने के लिए शिवरात्री को लोग रात से ही यहां पहुंच जाते हैं लेकिन इन सभी मंदिरों से ज्यादा शिव भक्त भाटली के मंदिर में आते है और रात को ही शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए श्रद्धलुओं की लंबी-लंबी कतारें लग जाती हैैं। मान्यता है कि शिवरात्री को यहां पर भगवान शंकर का नाग और कबूतर आम देखे जाते हैं। शिवरात्री के दिन मंदिर के अंदर ही कबूतरों का जोडा भी देखने को मिलता है।