Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Jan, 2025 02:51 PM
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Aushadhi Snan: ग्रह प्रतिकूल होने पर प्राय: लोग ग्रह संबंधी रत्न की अंगूठी पहनते हैं या ग्रह संबंधी दान, जप, तप करते हैं। ये उपाय साधारण व्यक्ति के लिए हो सकता है कर पाना संभव नहीं हो। ऐसे लोग चाहें तो ग्रह संबंधी औषधि से स्नान करके लाभान्वित हो...
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Aushadhi Snan: ग्रह प्रतिकूल होने पर प्राय: लोग ग्रह संबंधी रत्न की अंगूठी पहनते हैं या ग्रह संबंधी दान, जप, तप करते हैं। ये उपाय साधारण व्यक्ति के लिए हो सकता है कर पाना संभव नहीं हो। ऐसे लोग चाहें तो ग्रह संबंधी औषधि से स्नान करके लाभान्वित हो सकते हैं। आदि ऋषियों ने ग्रहों की अनुकूलता के लिए औषधि स्नान करना भी एक उपाय बताया है। ज्योतिष में प्रत्येक ग्रह के लिए पेड़-पौधे और जड़ी-बूटियों का उल्लेख किया गया है।
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Medical Bath to Please Planets ग्रहों को प्रसन्न करता है यह औषधि स्नान
सूर्य : अर्क पर सूर्य का अधिकार है। इसे पहनने तथा आकड़े की लकड़ी से हवन करने से सूर्य प्रसन्न होते हैं। केसर, कमलगट्टा, जटामांसी, इलायची, मैनसिल, खस, देवदारू और पाटल का चूर्ण जल में डालकर स्नान करने से सूर्यजनित दोष समाप्त होते हैं।
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चंद्रमा : पलाश चंद्रमा के आधिपत्य में है। पलाश की जड़ धारण करने या उसकी समिधा से हवन करने से चंद्रमा प्रसन्न होते हैं। पंचगव्य, बेल गिरी, गजमद, शंख, सिप्पी, श्वेत चंदन, स्फटिक से स्नान करना चंद्रमा जनित अनिष्ट प्रभावों को कम करता है।
मंगल : खदिर यानी खेर के वृक्ष पर मंगल का प्रभाव है। बिल्व छाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, सिंगरफ, माल कांगनी, मौलसिरी आदि औषधि डालकर नित्य स्नान करने से मंगल ग्रह प्रसन्न होता है।
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बुध : अपामार्ग बुध की औषधि है। स्नान के लिए अक्षत, फल, गोरोचन, मधु व सुवर्ण मिश्रित जल से स्नान बुध ग्रह की प्रसन्नता के लिए है।
बृहस्पति : पीपल व पीले कनेर पर बृहस्पति का अधिकार है, मालती पुष्प, पीली सरसों, हल्दी आदि से युक्त जल से स्नान करना बृहस्पति को प्रसन्न करने वाला है।