Edited By Prachi Sharma,Updated: 02 Jan, 2024 07:25 AM
अयोध्या में श्रीराम मंदिर में 22 जनवरी की दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर रामललाल विराजमान होंगे। राम मंदिर का निर्माण करा रही संस्था श्रीराम
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अयोध्या (एजैंसी): अयोध्या में श्रीराम मंदिर में 22 जनवरी की दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर रामललाल विराजमान होंगे। राम मंदिर का निर्माण करा रही संस्था श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने सोमवार को यह जानकारी दी। संवाददाताओं से बातचीत में चंपत राय ने कहा, ‘प्राण-प्रतिष्ठा दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर होगी। इसके बाद आरती करो, पास-पड़ोस के बाजारों में, मुहल्लों में भगवान का प्रसाद वितरण करो और सायंकाल सूर्यास्त के पश्चात दीपक जलाओ, ऐसा ही निवेदन प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने अयोध्या से सारे संसार का आह्वान करते हुए किया है।’
देशभर में अक्षत वितरण शुरू
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने साधु संतों के साथ घरों में जाकर पूजित अक्षत वितरण प्रारम्भ किया। राय ने रामलला नगर अयोध्या की वाल्मीकि बस्ती से अक्षत वितरण शुरू किया। उन्होंने घरों में जाकर पूजित अक्षत, पत्रक और नवीन राम मंदिर का फोटो देकर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद दर्शन के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि अपने स्थान को अयोध्या की तरह सजाएं।
श्याम वर्ण, 51 इंच ऊंची, मंदिर के लिए रामललाकी मूर्ति का चयन, कौन हैं शिल्पकार ?
इसी साल 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राणप्रतिष्ठा होनी है। रामलला की कौन सी मूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होगी, अब यह तय हो गया है. मैसूर के शिल्पकार अरुण योगिराज की मूर्ति का चयन हुआ है। मंदिर के गर्भगृह के लिए 3 मूर्तिकारों ने मूर्तियां बनाई थीं इनमें बेंगलुरु के जी एल भट्ट, मैसूर के अरुण योगिराज और राजस्थान के सत्यनारायण पांडेय शामिल थे। अरुण योगीराज की ओर से बनाई गई रामलला की श्याम वर्ण मूर्ति 51 इंच ऊंची है। मूर्ति में भगवान 5 साल के बालरूप में हैं। वह धनुष-तीर के साथ हैं। मूर्ति कर्नाटक की कृष्ण शिला से बनी है। इस मूर्ति को बनाने में अरूण योगीराज को 6 महीने का वक्त लगा है।
अरुण योगिराज का परिवार सालों से मूर्तियां बनाता रहा है
अरुण के मुताबिक, पांच पीढ़ियों से उनका परिवार मूर्ति बनाने के काम में लगा है। अरुण योगिराज ने एमबीए तक पढ़ाई की है। उन्होंने कुछ समय तक एक कंपनी में नौकरी भी की लेकिन, कुछ ही दिन में उनका मन नौकरी से उब गया। साल 2008 में अरुण योगिराज ने नौकरी छोड़ दी और मूर्तियां बनाने लगे।
अबतक 1000 से ज्यादा मूर्तियां बना चुके हैं अरुण योगिराज
अरुण योगिराज अबतक 1 हजार से ज्यादा मूर्तियां बना चुके हैं। केदारनाथ में आदिशंकराचार्य की मूर्ति अरुण योगिराज ने ही बनाई थी। इंडिया गेट पर स्थापित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भी मूर्ति भी इन्होंने ही बनाई थी। इनकी कला का पीएम मोदी भी कई बार तारीफ कर चुके हैं। मूर्ति के चयन के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था।
इन्होंने भी बनाई थी मूर्तियां
तीन मूर्तिकारों ने मंदिर के लिए 3 मूर्तियां बनाई थीं। इनमें एक मूर्ति सत्यनारायण पांडे की भी थे। सत्यनारायण पांडे के मुताबिक, उन्होंने 40 साल पुरानी मकराना की शिला से रामलला की मूर्ति बनाई थी। उनका दावा था कि उनकी बनाई रामलला की मूर्ति कभी खराब नहीं होगी। उन्होंने राम का बाल स्वरूप बनाया था।