Edited By Sarita Thapa,Updated: 11 Jan, 2025 09:26 AM
एक वर्ष पहले पौष शुक्ल द्वादशी (22 जनवरी, 2024) को भारतवासियों ने त्रेतायुग के बाद एक बार फिर अपने आराध्य भगवान श्रीराम के स्वागत में घर-घर दीप जलाए थे।
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एक वर्ष पहले पौष शुक्ल द्वादशी (22 जनवरी, 2024) को भारतवासियों ने त्रेतायुग के बाद एक बार फिर अपने आराध्य भगवान श्रीराम के स्वागत में घर-घर दीप जलाए थे। श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में बने भव्य मंदिर में जब श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई, तब प्रत्येक रामभक्त की आंखों से नेह की धारा बह रही थी। लगभग 500 वर्षों की प्रतीक्षा एवं संघर्ष के बाद यह दिन आया था।
प्रत्येक भारतवासी का मन था कि श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को उत्सव की परंपरा में शामिल कर दिया जाए। जैसे रावण का वध करके प्रभु श्रीराम के अयोध्या लौटने की घटना को हमने दीपोत्सव के रूप में त्रेतायुग से आज तक अपनी स्मृति में संजोकर रखा है, उसी तरह श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के उत्सव को भी ‘दीपावली’ की भांति ही मनाया जाए।
तब भी पौष शुक्ल द्वादशी को ‘राम दीपावली’ के रूप में प्रतिवर्ष मनाने की बात की गई थी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपत राय के अनुसार, हिंदू कैलेंडर के मुताबिक श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा पौष शुक्ल द्वादशी (22 जनवरी 2024) को की गई थी इसलिए उसकी वर्षगांठ हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ही पौष शुक्ल द्वादशी को मनाई जाएगी यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 11 जनवरी को।